एस पी मित्तल, अजमेर
राजस्थान में यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसी पर मेहरबान है तो उसकी पांचों अंगुलियां घी में और सिर कढ़ाई में होता है। यदि कहावत निरंजन आर्य पर चरितार्थ हो रही है। 31 जनवरी को प्रदेश के मुख्य सचिव के पद से मुक्त होते ही निरंजन आर्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार बन गए। आर्य दोपहर को सेवानिवृत्त होते इससे पहले ही कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर आर्य को सलाहकार के पद पर नियुक्ति दे दी। आर्य को सीएम का सलाहकार तब बनाया गया है, जब प्रदेश के छह विधायक पहले से ही मुख्यमंत्री के सलाहकार की भूमिका में है। मालूम हो कि जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, उन्हें सलाहकार का झुनझुना पकड़ा दिया गया था। इनमें तीन विधायक कांग्रेस के और तीन विधायक निर्दलीय हैं। निर्दलीय विधायकों में संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर व रामकेश मीणा तथा कांग्रेस विधायकों में डॉ. जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा और दानिश अबरार हैं। सलाहकार बन कर इन विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अब तक क्या सलाह दी है यह गहलोत ही जानते हैं। नियुक्ति के समय माना गया था कि सलाहकार बनने वाले विधायकों को राज्यमंत्री का दर्जा मिलेगा। लेकिन संवैधानिक अर्चनों के कारण इन विधायकों को सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिली है। जानकारों की माने तो निरंजन आर्य राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बनना चाहते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा संभव नहीं हुआ। अब सीएम गहलोत ने विधायकों की तरह आर्य को भी सलाहकार का झुनझुना हाथ में थमा दिया है। सीएम गहलोत आर्य पर पहले से ही मेहरबान है। दो वर्ष पहले 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघकर आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया। इस बीच आर्य की पत्नी संगीता आर्य को भी राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य मनोनीत कर दिया गया। आर्य का परिवार पहले से ही कांग्रेस विचारधारा का रहा है। संगीता आर्य पूर्व में सोजत से विधानसभा का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ चुकी हैं। लेकिन इस बार सोजत से खुद निरंजन आर्य कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। हालांकि अभी आर्य ने इसकी घोषणा नहीं की है, लेकिन चुनाव के समय टिकट बंटवारे में अशोक गहलोत की चली तो आर्य को कांग्रेस का टिकट मिल जाएगा। सोजत में ही आर्य का पैतृक गांव है। मुख्य सचिव बनने के बाद भी आर्य सोजत में सक्रिय नजर आए। चूंकि अगले चुनाव तक संगीता आर्य आयोग की सदस्य बनी रहेंगी, इसलिए निरंजन आर्य सोजत से चुनाव लड़ेंगे। 31 जनवरी को जिस तरह सीएम गहलोत ने आर्य को सलाहकार बनाकर आब्लाइज किया उससे अब हर नौकरशाही का मानना है कि यदि मुख्यमंत्री मेहरबान हैं तो कुछ भी हासिल हो सकता है। अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में सीएम गहलोत ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक रहे अधिकारियों को भी सेवानिवृत्ति के बाद महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है।