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मेहमान जिस घर में ठहरा है , यदि वहां आग लग जाए तो ऐसे मौके पर उसके भी अपने कर्तव्य होते हैं । यही आपद काल धर्म है .

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अजय खरे*

रीवा । यूक्रेन पर हुए रूसी हमले के पहले वहां पढ़ने गए हजारों भारतीय छात्र-छात्राओं को समय रहते वापस लाने का राजधर्म मोदी सरकार नहीं निभा सकी है । इधर रूस ने यूक्रेन को घेरते हुए हमले तेज कर दिए है । ऐसे समय जब यूक्रेन अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है , वहां से भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालना बहुत मुश्किल भरा काम हो गया है । रूसी सेनाएं यूक्रेन के नागरिक आबादी वाले क्षेत्रों पर हमला करके युद्ध के नियमों के साथ क्रूर खिलवाड़ कर रही हैं , जो अत्यंत आपत्तिजनक निंदनीय बात है । संकट के दौर में वहां के एक यूक्रेनी परिवार के बीच में पेइंग गेस्ट के रुप में रह रही भारतीय छात्रा नेहा ने भारत में अपने चिंतित परिवार के काफी आग्रह के बाद भी युद्ध के दौरान वहां से वापस लौटने से इनकार कर दिया है । यही सच्चा धर्म और इंसानियत है कि जिनके बीच हम रह रहे हैं , संकट के समय उन्हें छोड़कर हम भागे नहीं।युद्ध पीड़ित राष्ट्र यूक्रेन के जो हालात हैं , वह किसी से छिपे नहीं हैं । वह युद्ध प्रभावित देश बन चुका है । 
अपने नागरिकों को बचाने के साथ दूसरे देशों के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए वह हर संभव प्रयास कर रहा है । फिलहाल युद्ध में फंसे हुए यूक्रेन से किसी अन्य देश के नागरिक को सुरक्षित वापस भेजने की बात करना , उस पर अनावश्यक दबाव बनाना है । अभी तो उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता रूसी सेना के बढ़ते कदम को रोकना और रूसी सैनिक हमलों से देश का बचाव करना है । ऐसे समय में मोदी सरकार को यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए भारतीय छात्रों के संबंध में बात करना चाहिए । यूक्रेन की संप्रभुता पर अनावश्यक दबाव बनाने के लिए रूस ने युद्ध की शुरुआत की है , यूक्रेन तो अपना बचाव कर राष्ट्र धर्म का निर्वाह कर रहा है । वहां फंसे हुए भारतीय छात्रों को लेकर इधर भारत की भाजपाई सरकारें घड़ियाली आंसू बहा रही हैं । यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को भी ऐसे समय पर नेहा से सीख लेना चाहिए । मेहमान जिस घर में ठहरा है , यदि वहां आग लग जाए तो ऐसे मौके पर उसके भी अपने कर्तव्य होते हैं । यही आपद काल धर्म है । नेहा यही आपद धर्म संदेश दे रही है । सन 1959 में तिब्बत पर चीनी आक्रमण के बाद परम पावन दलाई लामा सहित हजारों तिब्बती लंबे समय से भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं ।यदि कभी भारत पर संकट आएगा तो क्या कोई उम्मीद करता है कि ऐसे समय इनमें से कोई भी भारत छोड़कर भागेगा ?
 

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