*अखंड परमधाम में चल रही भागवत कथा का सम्मान समारोह के साथ समापन*
इन्दौर।बर्तन कितना ही सुंदर हो, यदि उसमें छिद्र होगा तो उत्तम पदार्थ भी बह जाएगा। हमारी जीवन यात्रा में भी ऐसे अनेक छिद्र बनते रहते हैं, जो हमारे सदगुणों को बहा ले जाते हैं। कुसंग से बड़ा कोई छिद्र नहीं होता, लेकिन यदि सत्संग का कवच होगा तो आत्मकल्याण के साधन बचे रहेंगे। साधना-आराधना और उपासना तभी सार्थक होगी, जब उनमें वासना नहीं होगी। भागवत मौत को मोक्ष में बदलने की कालजयी चाबी है। सुदामा की भक्ति और मित्रता में स्वार्थ नहीं था। वे कृष्ण के पास मांगने नहीं, मिलने गए थे। भागवत कथा मनोरंजन के लिए नहीं, मनोमंथन के लिए नहीं मनोमंथन का विषय है।

कथा में तो हम सातों दिन बैठलिए, अब कथा को भी अपने अंदर बिठाने की जरूरत है। भागवत मनीषी पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी ने खंडवा रोडस्थित अखंड परम धाम आश्रम पर अग्रवाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कृष्ण सुदामा मैत्री एवं परीक्षित मोक्ष प्रसंगों की व्याख्या के दौरान उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। कथा में कृष्ण सुदामा मिलन का भावपूर्ण उत्सव भी मनाया गया। कथा शुभारंभ के पूर्व रामबाबू लक्ष्मीदेवी अग्रवाल, राजेश रितु अग्रवाल, जिनेश-कृष्णा, मनीष डॉ. नीनू, रत्नेश-प्रांजुल अग्रवाल, सुरेश अनिता, रमेश-कांता एवं श्याम बाबू अग्रवाल ने व्यासपीठका पूजन किया। महिला मंडल की ओर से मीना गर्ग, लता मोदी, मोना गर्ग, सोनू शर्मा,कृतिका पोत्दार, प्रियंका, सुरभि, संगीता, दीपिका अग्रवाल ने विद्वान वक्ता की अगवानी की।

आरती में मुंबई से आए विजय-रुचि अग्रवाल, अजय-ऋचा अग्रवाल सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कथा समापन प्रसंग पर आयोजन समिति की ओर से भागवत मनीषी आचार्य पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी का शाल-श्रीफल भेंटकर सम्मान भी किया गया। संचालन राजेश रामबाबू अग्रवाल ने किया।

कृष्ण सुदामा मैत्री प्रसंग की व्याख्या करते हुए पं. तिवारी ने कहा कि धन, संपत्ति और ऐश्वर्य-वैभव हमें अहंकारी बनाते हैं। भगवान कृष्ण ऐश्वर्य के ही धनी रहे, लेकिन उनके जीवन में कभी कहीं अहंकार देखने को नहीं मिला। सुदामा की भक्ति स्वार्थ की नहीं थी। वे कृष्ण के पास मांगने नहीं, मिलने गए थे। हम भी जब भगवान के समक्ष जाएं तो मांगने नहीं, दर्शन के भाव से जाएं। सुख और दुख तथा उतार-चढ़ाव जीवन के क्रम है। अपने दृढ़ निश्चय से भटके बिना सुदामा ने श्याम सुंदर के प्रति श्रद्धा-विश्वास का रिश्ता बनाए रखा। हमें भी अपने श्याम सुंदर के प्रति आस्था और श्रद्धा का रिश्ता अपने लक्ष्य से भटके बिना बनाए रखनाचाहिए।
कलियुग में सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं। संसार में कांटे चुभाने वाले बहुत हैं, निकालने वाले कम। भागवत कथा का श्रवण केवल सुनने के लिए ही नहीं, पचाने के लिए भी होना चाहिए। भागवत के संदेशों को आत्मसात किए बिना और आचरण में उतारे बिना हमारा श्रवण सार्थक नहीं होगा। गोशाला के लिए आर्थिक सहयोग, नेत्र मरीजों के लिए रियायत-अखंड परमधाम आश्रम पर युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज की प्रेरणा से कथा शुभारंभ दिवस से लेकर 13 फरवरी तक खंडवा रोड स्थित परमानंद चिकित्सालय आने वाले आंखों के मरीजों की जांच नाम मात्र शुल्क पर की गई, बल्कि जरूरतमंद मरीजों को चश्में भी लागत से आधी कीमत पर दिए गए। शेष राशि का वहन रामबाबू अग्रवाल परिवार के ट्रस्ट की ओर से किया जाएगा। संयोजक राजेश रामबाबू अग्रवाल ने बताया कि कथा के दौरान आश्रम की गोशाला के विकास हेतु धनराशि संग्रह अभियान में लगभग 10 लाख की राशि एकत्र होने के संकल्प प्राप्त हो चुके हैं। समापन अवसर पर सभी दानदाता एवं सहयोगी बंधुओं का सम्मान भी किया गया।