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समय रहते चेतें तो कटने से बच सकते हैं स्तन 

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(ब्रेस्ट कैंसर के निदान में जेनेटिक टेस्टिंग)

     डॉ. नेहा, नई दिल्ली 

    ब्रेस्ट कैंसर दुनिया भर में महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले कैंसर रोगों में शामिल है। वज़हें कई हैं, लेकिन गलत तरीके से स्तन मर्दन मूल कारण है. तरीके जानना कौन चाहता है?  हवस के दौरान पुरुष जंगली जानवर बन जाता है और उत्तेजित स्त्री भी प्रतिरोध नहीं करती. कई बार तो वह और ज्यादा मसलवाती है. अगर दक्ष मसाजर से माह में एक बार ही सही, स्तन मसाज ली जाती रहे तो ऐसी क्षति की भरपाई होती रहे. विकार की कोई संभावना ही नहीं बने. हम इसके लिए कोई शुल्क भी नहीं लेते.

      ब्रेस्ट स्त्री सौंदर्य का शिखर होता है. बेशक़ दर्शक की नज़र पहले फेस पर जाती है, मगर टिकती स्तनों पर ही है. कमर, जाँघ, हिप्स, योनि तो बहुत आगे के पहलू हैं. इसलिए स्तनों की देखभाल को फर्स्ट प्रायोरिटी देनी चाहिए.

        स्तन कैंसर का शुरुआती स्टेज में निदान करना इस रोग के मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होता है, जिससे न सिर्फ महत्वपूर्ण जीवन बचाया जा सकता है, बल्कि परिणामों में भी सुधार होता है। इसके लिए भी हमारे यहां बहनों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.

 अगर आपके परिवार में पहले से ही स्तन कैंसर का इतिहास रहा है, तो आपको जीन टेस्ट या जेनेटिक टेस्टिंग  करवानी चाहिए। 

   ब्रेस्ट कैंसर और जेनेटिक टेस्टिंग

जेनेटिक टेस्टिंग ब्रेस्ट कैंसर से बचाव में एक ताकतवर टूल है, जो खासतौर से BRCA1 तथा BRCA2 जीन्स में म्युटेशंस का पता लगाने में मददगार साबित होता है।

     ये जीन्स जब सही तरीके से काम करते हैं, तो डीएनए की रिपेयरिंग में महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं और सैलुलर हेल्थ को भी मेंटेन रखते हैं। लेकिन इन जीन्स में म्युटेशन होने पर ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है।

     यही वजह है कि जेनेटिक टेस्टिंग इस रोग के शुरुआती डायग्नॉसिस तथा इंटरवेंशन में महत्वपूर्ण रिसोर्स है।

*क्या हैं BRCA1 तथा BRCA2 जीन्स?*

     BRCA1 तथा BRCA2 जीन्स ऐसे प्रोटीन का निर्माण करते हैं, जो क्षतिग्रस्त डीएनए को रिपेयर करता है। ये कोशिकाओं के जेनेटिक मैटिरियल की स्थिरता बनाए रखने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। 

   जब इनमें से कोई भी जीन्स म्युटेट होता है, तो क्षतिग्रस्त डीएनए सही ढंग से रिपेयर नहीं हो पाता, और इस वजह से कैंसर का रिस्क बढ़ता है।

      किसी भी महिला की BRCA1 या BRCA2 जीन्स में म्युटेशन होने पर उन्हें अपने जीवनकाल में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा 45-65% हो जाता है। जबकि सामान्य आबादी में यह रिस्क करीब 12% होता है। इतना ही नहीं, इन म्युटेशन्स की वजह से ओवेरियन कैंसर समेत अन्य कैंसर का रिस्क भी बढ़ता है।

*कैसे की जाती है जीन्स में म्युटेशन की जांच?*

      BRCA1 तथा BRCA2 म्युटेशंस की जेनेटिक टेस्टिंग के लिए रक्त या लार के सैंपल की जांच कर इन जीन्स में होने वाले किसी भी बदलाव की पहचान की जाती है। 

    ये टेस्ट बेशक, आसान होते हैं लेकिन इनके परिणाम काफी गंभीर भी हो सकते हैं। पॉजिटिव टेस्ट रिजल्ट का मतलब यह नहीं होता कि कैंसर निश्चित रूप से होगा, बल्कि यह अधिक रिस्क का संकेत होता है, और लोगों को एक्टिव उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है.

   मैं महज 20 वर्षीय अपनी एक क्लाइंट का उदाहरण देती हूँ : नंदिनी ने रूटीन मैमोग्राफी में असामान्यता का पता चलने के बाद जेनेटिक टेस्टिंग करायी। उनके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री भी रही है। 

  नंदिनी अपने संभावित रिस्क को लेकर पहले से ही सतर्क थीं। अपनी हेल्थ पर सही ढंग से नियंत्रण रखने के लिए उन्होंने टेस्ट करवाने का फैसला किया।

    इस टेस्ट रिजल्ट में BRCA1 म्युटेशन की पुष्टि हुई. नतीजे काफी हिला देने वाले थे, लेकिन उनकी आगे की राह भी स्पष्ट हुई। टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने अपनी बार-बार स्क्रीनिंग करवाने और रिस्क कम करने के लिए बचाव के उपायों पर विचार किया।

    अन्यान्य जाँचों से उनकी सेक्सुअल अन-सटिस्फैक्शन की लॉग हिस्ट्री भी सामने आई. उन्हें कभी 7-10 मिनट से अधिक का संभोग नहीं मिला, जबकि कम से कम 30-45 मिनट मिलना चाहिए था. इसलिए वे नेचुरली डिस्चार्ज तक नहीं हुई कभी.

     ऐसी स्थितियों में जो इंटर्नल जैविक गरमी होती है, वह ब्लड, एचआर फैक्टर, हॉरमोनल सिस्टम के गड़बड़ी पैदा करके मनतन के तमाम रोगों की जमीन तैयार करती है. मैं इंटीमेट होती हूँ हमारे ‘गॉड ऑफ़ सेक्स’ डॉ. मानवश्री से. मेरे तन-मन-प्राण बसते हैं उनमें. अपने शरीर और आत्मा के साथी से इतनी अटैच कोई नारी उसको किसी और के साथ इन्वॉल्व नहीं होने दे सकती. लेकिन एक डॉक्टर का पहला धर्म पेसेंट की रक्षा होता है. इसलिए नंदिनी को समय-विशेष के लिए मानवश्री देने पड़े.

*जरूरी है शुरुआती स्टेज पर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाना :*

     ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगने पर इलाज को अधिक कारगर बनाया जा सकता है।

    BRCA1 या BRCA2 म्युटेशंस होने पर, सामान्य से कहीं कम उम्र से ही रैगुलर मैमोग्राम तथा एमआरआई करवाने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार मॉनीटरिंग करने से एब्नॉर्मेलिटीज़ का शुरुआती चरण में पता लगाने, और इलाज को काफी हद तक सफल बनाने के अवसरों में भी सुधार होता है।

    नंदिनी के मामले में, उनके प्रोएक्टिव दृष्टिकोण का एक और फायदा यह हुआ कि उनके परिवार के अन्य सदस्य भी प्रेरित हुए। नंदिनी ने अपनी बड़ी भाभी महिमा तथा उसकी वयस्क बेटियों को भी जेनेटिक टेस्टिंग करवाने की सलाह दी। बेशक, महिमा का नेगेटिव रिजल्ट राहत देने वाला था, लेकिन रिया में BRCA1 म्युटेशन पॉजिटिव पाया गया। अपनी आशंका और अनिश्चितता के बावजूद, रिया ने इस जानकारी के मद्देनज़र, अपनी हेल्थ को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए बचाव के उपायों का अधिक सख्ती के साथ पालन किया। वह भी ठीक हुई.

*क्या है निदान में जेनेटिक टेस्टिंग की भूमिका?*

    यह ध्यान रखना होगा कि ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह अधिक सतर्क तरीके से मॉनीटरिंग और शुरुआती स्टेज में ही इंटरवेंशन करने में मददगार होती है। जिससे उपचार के नतीजों में सुधार होता है।

      नंदिनी और रिया के मामले में, डॉ. विकास मानवश्री की ऊर्जा और जेनेटिक टेस्टिंग ने उन्हें अपना हेल्थ मैनेज करने के उपायों को सक्रियतापूर्वक लागू करने में मदद दी। 

    रेग्युलर स्क्रीनिंग्स तथा बचाव के उपायों का पालन कर आप अपने रिस्क कम कर सकती हैं और स्थतियों को बिगड़ने से बचा सकती हैं। कोई भी फीमेल अपने जेनेटिक रिस्क का पता लगाकर आवश्यकतानुसार कार्रवाई करवा सकती है।

     जेनेटिक टेस्टिंग से परिवारों के स्तर पर साझा जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है और आपस में सहयोग भी बढ़ता है।

     नंदिनी का उदाहरण इस बात का सबूत है कि जानकारी और मिल-जुलकर साहस की भावना से हालात बदले जा सकते हैं। नंदिनी और उनके परिजनों ने अपनी आशंकाओं से सीधे टक्कर ली, नतीजों के अनुसार अपनी हेल्थ पर नियंत्रण अपने हाथों में लिया और मिल-जुलकर भविष्य से मुकाबला करने के लिए आपस में एक-दूसरे को सशक्त बनाया।

*याद रखें :*

    BRCA1 या BRCA2 म्युटेशंस के लिए जेनेटिक टेस्टिंग, ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगाने में काफी महत्वपूर्ण होती है। 

   बेशक, पॉजिटिक नतीजे काफी भयावह हो सकते हैं और चुनौतीपूर्ण लग सकते हैं, लेकिन ये आपको समय रहते जरूरी कदम उठाने के लिए प्रेरित करते हैं।

     निगरानी और बचाव की रणनीतियों का अधिक सक्रियता के साथ पालन करने से, कैंसर का रिस्क काफी हद तक कम किया जा सकता है। नंदिनी के उदाहरण से टेस्टिंग का महत्व स्पष्ट है और इससे यह भी प्रदर्शित होता है कि किस तहर से डर या आशंकाओं को सशक्तिकरण में और अनश्चितता को एक्शन में बदला जा सकता है।

       जैसे-जैसे हम जेनेटिक रिसर्च तथा टेस्टिंग क्षमताओं के लिहाज से एडवांस बन रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा परिवारों को शुरुआती स्टेज में डायग्नॉसिस का फायदा मिल रहा है, जिससे जीवनरक्षा करने और हेल्थ को लेकर अधिक एक्टिव बनने में भी मदद मिलती है। (चेतना-स्टेमिना विकास मिशन).

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