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रवीश कुमार को नहीं खरीद पाए तो एन डी टी वी ही खरीद लिया !

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सुसंस्कृति परिहार

ये यकायक नहीं हुआ इसकी पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार थी। रवीश कुमार और उनके दो तीन साथी सरकार की आंखों का कांटा थे।प्राईम टाईम जिसे संपूर्ण भारत में नही बल्कि खबर की प्रमाणिकता के लिए दुनिया भर में देखा जाता था उसकी कड़वाहट सरकार को बर्दाश्त हो नहीं रही थी।पहले ये खबरें आती रही हैं उन्हें बुरी तरह टोल किया जाता रहा फिर मारने की धमकियां भी मिली।इस सबसे बेखबर रवीश अपने काम में जुटे रहे।उनकी लोकप्रियता में इससे काफी इज़ाफ़ा भी हुआ उन्हें सवालों के बीच कई  कई बार गुफ्तगू के लिए आमंत्रित किया जाने लगा। जहां वे सरकार की खुलकर ख़बर लेते रहे । जनहितकारी उनकी बुलंद आवाज का ही परिणाम था उन्हें मेगसेसे पुरस्कार से सम्मानित होना।

प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी मित्र माने जाने वाले उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी एएमजी मीडिया नेटवर्क लिमिटेड ने मीडिया हाउस एनडीटीवी में हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है। अडानी समूह एनडीटीवी यानी नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड में 29.18% हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। वहीं, खुली पेशकश के जरिए एनडीटीवी में 26% हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। इससे पहले ही एनडीटीवी की बड़ी हिस्सेदारी अंबानी के करीबी व्यापारी महेंद्र नाहटा की कंपनी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड के हाथों बिक चुकी है।इस तरह अडानी समूह की कुल हिस्सेदारी 55 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी और वह मीडिया कंपनी में मेजर स्टेकहोल्डर कहलाएगी। यह डील करीब 495 करोड़ रुपये में होने की उम्मीद है। इस बीच, एनडीटीवी के शेयर मंगलवार 23 अगस्त को 5 पर्सेंट की तेजी के साथ 376.55 रुपये पर बंद हुए हैं

हालाँकि एनडीटीवी प्रबंधन ने अडानी समूह के इस क़दम पर हैरानी जताई है और कहा है कि उसे इस डील के बारे में कुछ भी पता नहीं था।अडानी ने जिस तरह से एक अनजान सी कंपनी के ज़रिये एनडीटीवी में हिस्सा ख़रीदा उसे जानकार ‘होस्टाइल टेकओवर’ यानी प्रबंधन की इच्छा के विरुद्ध कंपनी पर क़ब्ज़े की कोशिश मान रहे हैं।हालाँकि एनडीटीवी प्रबंधन ने अडानी समूह के इस क़दम पर हैरानी जताई है और कहा है कि उसे इस डील के बारे में कुछ भी पता नहीं ।

 एन डी टी वी  को आनन फानन में दुनिया के चौथे नंबर के रईस गौतम अडानी ने खरीदा है तो यह स्पष्ट है कि इसके पीछे साहिब का खुला खेल है। तमाम मीडिया को खरीदने के बाद सबसे लोकप्रिय मीडिया संस्थान को खरीदकर यह जाहिर हो चुका है कि सरकार का अब मीडिया पर पूरा नियंत्रण हो चुका है।यह संस्थान अब सरकार की भजन कीर्तन मंडली में शामिल हो गया है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस संस्थान के शेयर होल्डरों को भी इस बात का ज़रा सा भी आभास नहीं हुआ।हालाँकि एनडीटीवी प्रबंधन ने अडानी समूह के इस क़दम पर हैरानी जताई है और कहा है कि उसे इस डील के बारे में कुछ भी पता नहीं था।इसे एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय और राधिका रॉय की हिस्सेदारी सिमट जाएगी ।रॉय दंपत्ति देश में टेलीविजन पत्रकारिता उद्योग के सबसे प्रतिष्ठित नामों में गिने जाते हैं.

अडानी समूह ने पूर्व में उद्योगपति मुकेश अंबानी से जुड़ी एक कंपनी का अधिग्रहण किया था, जिसने 2008-09 में एनडीटीवी को 250 करोड़ रुपये का ऋण दिया था।अब अडानी समूह की कंपनी ने इस ऋण को समाचार चैनल में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी में बदलने के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया है.

विदित हो एनडीटीवी न्यूज चैनल के  भारतीय पत्रकार रवीश कुमार (44) को 2019 रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुना गया था। उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार आवाजहीनों को आवाज देने के लिए पत्रकारिता का उपयोग करने के लिए दिया गया है। उन्होंने उन आवाजों को सामने लाने की पुरजोर कोशिश की जो रोजगार,शोषण और भ्रष्टाचार से सम्बंधित रही है रोजगार के लंबे चले ऐप्पीसोड से बहुत से बेरोजगारों को रोजगार भी मिला है। उन्होंने राजनीति के उन अध्यायों को भी खोला जो देश विरोधी थीं।भला ऐसे व्यक्ति को सरकार कैसे बर्दाश्त कर सकती थी। इसलिए रवीश नहीं एन डी टी वी को खरीदकर उनकी आवाज़ दफ़न करने की ये नापाक कोशिश हुई है

 लेकिन रवीश की आवाज इससे और मुखर होगी वे यह कह रहे हैं मुझे जो कहना होगा वो चैनल के बाहर भी कहा जा सकता है वे अपनी बात निरंतर कह भी रहे हैं। चूंकि उन्हें जान से मारने की धमकियां मिली है इससे उन्हें अनुरोध है वे अपनी बात यूं ट्यूब के जरिए अजीत अंजुम, आरफा खानम,अभिसार शर्मा आदि की तरह सोशल मीडिया के ज़रिए सामने लाते रहे।इसके श्रोताओं की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है।जब तक ये स्वतंत्रता है तब तक इस्तेमाल कीजिए।पता नहीं कब यह भी छिन जाए। अभिव्यक्ति खतरे बहुत हैं पर ज़िंदादिल रास्ते निकाल ही लेते हैं आमीन।

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