मुनेश त्यागी
कुछ समय पहले एक केस के सिलसिले में देहरादून जाने का सुअवसर मिला, आते वक्त एक गाडी हमसे आगे आगे आ रही थी जिस पर पीछे की तरफ लिखा हुआ था,,,,, ,
“रानी बनाकर रखना, राजा बना दूंगी “
पहले तो मैं कुछ समझ न पाया, मगर अगले ही पल मै इसके मतलब को समझ गया कि वाह! लिखने वाले ने एक वाक्य में पूरा दर्शन ही लिख डाला.
जैसे गाडी कह रही हो कि ऐ मिस्टर मेरे मालिक यदि तुम मेरा ध्यान रखोगे, मेरी सर्विस, मेरा रखरखाव समय से कराओगे, मेरी टूट-फूट की मरम्मत सही समय पर करवाते रहोगे तो मैं तुम्हें बहुत कुछ कमा कर दूंगी, तुम्हारी मुफलिसी, अभाव, वंचना, महरूमियां, सब दूर कर दूंगी, इस प्रकार तुम्हें राजा बना दूंगी, यानि कि मालामाल कर दूंगी. तुमहारा घर धनदौलत और खुशियों से परिपूर्ण कर दूंगी ,तुम्हारी जिंदगी को दोजख से निकालकर जन्नत बना दूंगी.
हालांकि राजा रानियों की बातें और कहानियां सामंती युग की बातें हैं और इनमें सामंती युग की मानसिकता और सोच झलकती है। इनका वर्तमान जनतांत्रिक और समाजवादी मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है क्योंकि जनतांत्रिक और समाजवादी व्यवस्था में राजा रानियां नहीं होतीं। यहां मजदूर होते हैं, मालिक होते हैं, किसान और जमीदार होते हैं, गरीबी शोषण जुल्म अन्याय और भेदभाव होता है। मगर फिर भी एक वाक्य बडे गहरे अर्थ लिये हुए है.
अगर हम अपनी बीवी का ख्याल और ध्यान रखते हैं तो वह बिना कुछ मांगे अपनी सारी जिंदगी हम पर वार देती है, अपना सर्वस्व हम पर निसार देती है, बदले में कभी कुछ भी नही मांगती, बस हंस कर सब कुछ सह जाती है. हमारी सूनी सी जिंदगी में दुनिया की सारी खुशियां भर देती है, जिंदगी को इंद्र धनुषी बना डालती है, बेरंग और बेनूर दुनिया में जिंदगी के सारे रंग भर देती है. रेगिस्तानी जिंदगी को हरा भरा और शरशार कर देती है, हरी भरी बना देती है, जैसे वीराने में बहार आ गयी हों.
यही काम हमारी मां भी करती है, वह भी इसी एक वाक्य को पूरी जिंदगी पूरा करने में ही लगा देती है, हमसे कोई तवक्को नही रखती, बहुत ज्यादा ख्वाहिशें नही पालती, बहुत कुछ इच्छायें नही रखती. बस सारे वक्त हमारा ही ध्यान रखती है, हमारे भविष्य को सजाने संवारने में अपनी सारी चाहते हमारे लिए कुरबान कर देती है, बदलें में बहुत कुछ कामनायें नही पालती है जैसे हमारी उन्नति और प्रगति ही उसके लिए सब कुछ है।
वैसे जिंदगी का यह सकारात्मक पक्ष यानि जब हम मर्द जाति भी अपनी पत्नी मां बेटी और बहू का ध्यान रखने लगते हैं उनका ख्याल करने लगते हैं उन्हें सम्मान देने लगते हैं और एक दूसरे का ध्यान और ख्याल रखने लगते हैं ,एक दूसरे के रंज-ओ-गम में शामिल होने लगते हैं तो यह हम सब पर भी लागू होता है, वह परिवार हो, समाज हो, देश हो, दुनिया हो, अगर यहा सब कुछ करीने से हो रहा है, अन्याय, शोषण, भेदभाव, वंचना, अभाव, मुफलिसी, असुरक्षा, बेरोजगारी स्वार्थ, इगो आदि नही है तो जिंदगी जन्नत जैसी बन जाती है, जीवन में समता, समानता, भाईचारा, आपसी मेलमिलाप और आपसी सहयोग व सौहार्द छा जाता है, सब प्यार मुहब्बत और मेलजोल से रहने लगते हैं.
ऐसा होने पर,,”रानी बनाकर रखना, राजा बना दूंगी ” वाली कहावत और मान्यता हमारे सब के जीवन में घट सकती हैं, घटने लगती हैं, आईये हम सब इस मान्यता को अपनी पत्नी अपनी बहू अपनी मां और अपने सास-ससुर के साथ पूर्ण रूप से निभाए, सब एक दूसरे का ध्यान रखें सब एक दूसरे का सम्मान करें अपनी बहुओं को नौकरानी और दासिया ना समझें बहु बेबी अपने सास-ससुर का अपने माता पिता की तरह सम्मान और आदर करें और घर परिस्थिति के अनुसार अपने घर और ससुराल में मिलजुल कर रहे हैं तो हमारी बहुत सारी समस्याएं रोजाना होने वाले पारिवारिक झगड़े मिल सकते हैं।
आइए हम सब मर्द औरत बेटे बेटियां सास ससुर बहू में आपस में मिलजुल कर रहे हैं।हम सब आपस में सम्मान और प्यार से मोहब्बत से रहें, एक दूसरे का ख्याल रखें, एक दूसरे का सम्मान करें और इन सब बातों को, विचारों और मानसिकता को, अपने परिवार, समाज, देश और दुनिया और सामाजिक या राजनैतिक संगठन में, जिसमे हम काम करते हैं, में चरितार्थ करें और समाज, परिवार, देश, दुनिया और सामाजिक या राजनैतिक संगठन को दोज़ख से जन्नत बना डालें और उसमें मानवतावाद के इंद्रधनुषी रंग भर डालें।