नासिक
महाराष्ट्र का नासिक जिला और उससे जुड़े क्षेत्र अंगूर और प्याज के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। स्थानीय किसान इनकी पैदावार से अच्छी कमाई करते हैं। लेकिन कोरोना की मार से ये किसान बुरी स्थिति में हैं। महामारी की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है, नए मामलों के लिहाज से यह दुनिया एकाध ही देश से ही पीछे है। इसीलिए महामारी को रोकने के लिए राज्य सरकार जगह-जगह लॉकडाउन लगा रही है।
लॉकडाउन से राज्य के किसान मुश्किल में आ गए, क्योंकि खेत में फसल तो तैयार है और खपत के लिए इनकी डिमांड औसत से भी आधी हो गई है। इसका नतीजा यह है कि किसान तैयार माल को सस्ते दाम में निकाल रहे हैं। इससे खेती की लागत तो डूबी ही साथ में आजीविका की आस भी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कुल अंगूर उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 81% है। इसी तरह प्याज उत्पादन में भी राज्य देश में सबसे आगे है। कुल उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 28.32% है। निर्यात के लिहाज से भी राज्य कहीं ज्यादा आगे है।
लॉकडाउन के चलते घर में ही रहना पड़ता है, आमदनी जीरो हो जाती है
नासिक जिले की महिला किसान अंगूर की खेती करती हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के चलते हमें पहले ही कई महीने घर में रहना पड़ा। अब अगर फिर से लॉकडाउन लगता है तो हमारी लिए दिक्कतें बढ़ जाएंगी। क्योंकि इससे ट्रांसपोर्टेशन प्रभावित होगा और हमारा माल खेत नहीं निकल पाएगा। यही एक आमदनी का जरिया है, लगता है कि अब यह भी हाथ से चला जाएगा।
जिले में अंगूर बेचने वाले दुकानदार योगेश निकुंभे कहते हैं कि राज्य सरकार ने लॉकडाउन का बोला है, लेकिन हमें टाइमिंग का पता नहीं है। ऐसे में जब पुलिस की गाड़ी आती दिखाई देती है तो हम दुकान बंद कर देते हैं। उन्होंने बताया कि अंगूर उत्पादन करने वाले किसानों की सबसे बड़ी समस्या स्टोरेज की है। चूंकि इसे ज्यादा समय तक रख नहीं सकते तो इसे सस्ते दाम पर बेचा जा रहा है।
अंगूर की मांग बढ़ेगी लेकिन सीजन खत्म होने को है
दूसरी ओर लोकल अंगूर एक्सपोर्टर संजय सांगले कहते हैं कि इस साल का अंगूर का लगभग खत्म होने को है। अभी किसानों के पास सिर्फ 10 या 15% माल बचा है। चूंकि गर्मी बढ़ने लगी है तो अंगूर की मांग भी बढ़ रही है। इससे अंगूर की कीमत बढ़ेगी। यह पिछले हफ्ते 40 से 45 रुपए प्रति किलोग्राम था, जो अभी 50-55 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है।
जिले में प्याज का उत्पादन भी बड़ी मात्रा में होती है। देशभर में प्याज की डिमांड को काफी हद तक नासिक ही संभालता है। लेकिन लेट खरीफ सीजन और रबी सीजन में तैयार माल के चलते मंडी में भारी मात्रा में प्याज है, लेकिन डिमांड घट रही है। इससे क्षेत्र के किसान भी तकलीफ में हैं। दूसरी ओर एक बार फिर लॉकडाउन की संभावना ने चिंता और बढ़ा दी है।
प्याज की खेती करने वाले गोकुल पवार बताते हैं कि अगर लॉकडाउन लगता है तो प्याज की सही कीमत नहीं मिलेगी। पिछले लॉकडाउन को याद करते हुए बताते हैं कि सालभर पहले भी हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा था। अबकी बार लॉकडाउन की संभावना के चलते तैयार माल को सस्ते दाम पर ही निकालना पड़ रहा है। क्योंकि देरी करने पर प्याज सड़ने लगेगा।
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कोरोना के मामले बढ़ने से मंडी करीब 10 दिन बंद रहा, जिससे हम हाईवे पर ही माल बेच रहे हैं। उत्पादन के लिए मैंने 5 हजार खर्च किए ,लेकिन अभी यह 700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा है। मजबूरन हमें माल निकालना पड़ा रहा है।
प्याज की सप्लाई ज्यादा और डिमांड कम, नतीजा आधे से भी कम भाव पर बिक रहा
प्याज व्यापारी इम्तियाज पटेल के मुताबिक मंडी में ज्यादा मात्रा प्याज होने से इसका रेट कम हो गया है। दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते भी डिमांड तेजी घटी है। इसलिए जितनी डिमांड है उससे ज्यादा प्याज मंडी में आ रहा है। ऐसे में जब तक लेट खरीफ की प्याज आना बंद नहीं होगी, तब तक रेट पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
स्थानीय बाजार में प्याज का रिटेल भाव 15-20 रुपए किलो है, जबकि किसानों से प्याज 5 रुपए में खरीदा जा रहा है। थोक भाव की बात करें तो यह 11 रुपए प्रति किलो पर बिक रहा है।
राज्य में बेतहासा बढ़ रहे कोरोना के मामले
महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 47 हजार 288 मामले सामने आए हैं और 155 की संक्रमण से जान गई है। आंकड़ों के लिहाज से महाराष्ट्र दुनिया का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बन गया है। नए केसों के मामले में महाराष्ट्र अब केवल अमेरिका से पीछे है, जहां पिछले 24 घंटों में 50 हजार 329 मरीज मिले हैं। कोरोना के हालात देखते हुए राज्य में 30 अप्रैल तक वीकेंड लॉकडाउन है। रात में धारा 144 भी लागू की गई है।