मुनेश त्यागी
लड़ने का मौसम आया है
लेकर ऐके का ढाल खड़े हैं,
अब न भूखों और मरेंगे
भाईचारे के लाल खड़े हैं।
चल लिए सैकड़ों कोस
लिए पैरों में छाल खड़े हैं,
बहुत सह लिए वार तुम्हारे
मरने को बेताब खड़े हैं।
बहुत हुए षड्यंत्र तुम्हारे
मां बहनों के लाल खड़े हैं,
बहुत देख लिए खेल तुम्हारे
हुए बहुत बेहाल खड़े हैं।
देखेंगे गोली बंदूक तुम्हारी
लिए हाथों में ढाल खड़े हैं,
ललकार रहे हैं सत्ता को
लेकर झंडे लाल खड़े हैं।
डर रही हुकूमत दिल्ली की
एकजुट हुए किसान अड़े हैं,
मानेगी अब तो मांग हमारी
लेकर ऐसी आस खड़े हैं।
ये भगतसिंह के वारिस ठहरे
लेकर क्रांति का ढाल खड़े हैं,
अब न भूखों और मरेंगे
भारत मां के लाल खड़े हैं।