उज्जैन
पाेहा क्लस्टर… यह जुमला अफसरों के लिए फुटबॉल बन गया है। आठ साल पहले औद्योगिक केंद्र विकास निगम (एकेवीएन) ने शहर से 17 किमी दूर ताजपुर में 80 हेक्टेयर जमीन विकसित की। इस औद्योगिक क्षेत्र में पोहा क्लस्टर बनाने की घोषणा हुई। बात सिर्फ घोषणा तक सीमित होकर रह गई।
एक भी पोहा उद्योग नहीं लग पाया। अन्य उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन आवंटित कर दी गई। यहां 196 प्लॉट में से 20 की रजिस्ट्री हुई है, जिनमें से 2 उद्योग चालू हुए हैं। एक में प्लास्टिक दाने का निर्माण हो रहा है, जबकि दूसरे में गेहूं से आटा बनाया जा रहा है।
दूसरी बार देवास रोड के तिलहन संघ की खाली पड़ी 45 एकड़ जमीन पर पोहा क्लस्टर की योजना बनाई। कलेक्टर आशीष सिंह ने उद्योग आयुक्त को पत्र भेजा। उन्होंने जमीन की सरहदबंदी और नक्शा बनवाने की बात कही। पत्र में कहा कि एक जिला-एक उत्पाद की अवधारणा के तहत यहां पोहा क्लस्टर और फूड प्रोसेसिंग इकाइयां स्थापित की जाना है। जिले में 40 से अधिक पोहा इकाइयां कार्यरत हैं। पोहा निर्यात की संभावना है।
जिला उद्योग केंद्र को 25 से अधिक पोहा इकाइयों और 100 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के प्रस्ताव उद्यमियों से प्राप्त हुए हैं। इन औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए शहर में तिलहन संघ की देवास रोड पर रिक्त जमीन सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। इस आधार पर मुख्यमंत्री ने कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में शाबाशी भी दी थी।
जगह ही तय नहीं कर पा रहे
लघु उद्योग भारती के पूर्व प्रांताध्यक्ष उल्लास वैद्य के अनुसार पोहा क्लस्टर के लिए पहले एकेवीएन ने ताजपुर के औद्योगिक क्षेत्र में जमीन देने तय किया था। उसके बाद प्रशासन ने देवास रोड स्थित तिलहन संघ की खाली पड़ी जमीन दिखाई। अब तक तय नहीं हो पाया कि आखिर कहां बनाएंगे या बनाएंगे भी की नहीं।
सैद्धांतिक मंजूरी के बाद आगे नहीं बढ़ी योजना
जनवरी 2021 में योजना के तहत पोहा निर्माण का क्लस्टर बनाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी। कलेक्टर ने मक्सी रोड की पोहा निर्माण इकाइयों के उद्योगपतियों से चर्चा भी की। पोहा निर्माण, कच्चे माल, कितने लोगों को रोजगार दिया जा सकता है, इस पर विमर्श हुआ। एक साल बाद प्रशासन ने पोहा को छोड़ भैरवगढ़ प्रिंट को एक जिला-एक उत्पाद में शामिल कर लिया।
दावा था- ब्रांड बनाएंगे, जीआई टैग भी लेंगे
एक जिला-एक उत्पाद में शामिल होने के बाद प्रशासन ने दावा किया था कि उज्जयिनी पोहा ब्रांड की पहचान देश-विदेश में बनाने के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह भी कागजों से बाहर नहीं आ सका। उद्योगपतियों का कहना है कि हमारा पोहा इंदौर में इंदौरी पोहा के नाम से बिकता है। समय रहते उसकी ब्रांडिंग नहीं हो पाई।
सरकार मदद करे तो धरातल पर तक आएगी घोषणा
राज्य सरकार की घोषणा के बाद जिले के किसान भी आगे आए। उन्होंने धान का रकबा बढ़ाकर दो हजार हेक्टेयर तक पहुंचा दिया। ग्राम पिपलिया हामा के उन्नत किसान अश्विनी सिंह चौहान ने इसकी पहल की थी। पोहा परमल उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरीश माहेश्वरी और सचिव मयंक पटेल कहते हैं कि यह घोषणा धरातल पर तब आ सकती है, जब सरकार मदद करे।