एसपी मित्तल अजमेर
जुर्माने की राशि विद्यार्थियों को नहीं, कॉलेज मालिकों को चुकानी है। क्या ऐसे विद्यार्थियों से फीस नहीं ली?
यूनिवर्सिटी को 80 हजार विद्यार्थियों पर 120 करोड़ रुपए की आय होगी। जोधपुर हाईकोर्ट में 10 अगस्त को सुनवाई।
ओम थानवी के विरुद्ध भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से शिकायत की
बगैर स्वीकृति के प्राइवेट कॉलेजों में विद्यार्थियों को प्रवेश देने के प्रकरण में अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी ने प्रति विद्यार्थी 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का जो निर्णय लिया है, उसके विरोध में अब कॉलेजों के मालिक लामबंद हो गए हैं। कॉलेजों के मालिक अपने रिश्तेदार सांसदों, विधायकों और अन्य प्रभावशाली नेताओं से दबाव डलवाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से यूनिवर्सिटी का फैसला बदल वाना चाहते हैं, लेकिन अभी तक कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी सीना तान कर खड़े हैं। थानवी ने अभी तक सभी दबावों को खारिज कर दिया है। थानवी का कहना है कि जुर्माने की राशि विद्यार्थियों से नहीं ली जा रही है। यह राशि कॉलेज मालिकों को चुकानी और साथ ही शपथ पत्र भी देना है कि जुर्माने की राशि संबंधित विद्यार्थी से नहीं ली गई है। थानवी के इस सख्त रुख की वजह से कॉलेज मालिकों में खलबली मची हुई है। 80 हजार अतिरिक्त विद्यार्थियों के कॉलेज मालिकों को यूनिवर्सिटी में करीब 120 करोड़ रुपए जमा करवाने हैं। यूनिवर्सिटी में पहले से ही 10 हजार रुपए प्रति विद्यार्थी जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन हर वर्ष कॉलेज मालिक घाल घुसेड़ कर जुर्माने की राशि को एक दो हजार रुपए करवा लेते हैं, लेकिन इस बार कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी ने स्पष्ट कह दिया है कि कॉलेज मालिकों को 15 हजार रुपए की राशि जमा करवानी ही पड़ेगी। अतिरिक्त विद्यार्थियों को परीक्षा में प्रवेश तभी दिया जाएगा, जब कॉलेज मालिक जुर्माने की राशि जमा करवाएगा। हालांकि परीक्षा आवेदन की अंतिम तिथि 6 अगस्त गुजर चुकी है और अभी तक अधिकांश कॉलेज मालिकों ने जुर्माना जमा नहीं करवाया है। 100 रुपए के विलम्ब शुल्क के साथ परीक्षा के लिए 12 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। सवाल यह भी है कि जब अतिरिक्त विद्यार्थियों से कॉलेज मालिकों ने पूरी फीस ली है, तब यूनिवर्सिटी को जुर्माना राशि क्यों नहीं दी जा रही है। किसी प्राइवेट कॉलेज का मालिक शिक्षा को बढ़ावा देने या विद्यार्थियों को सहयोग करने के उद्देश्य से कॉलेज का संचालन नहीं करता है। मालिकों का उद्देश्य अपने कॉलेज से मोटी कमाई करना होता है। कमाई के उद्देश्य के कारण ही कॉलेजों में स्वीकृत संख्या से ज्यादा विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। एक तरह से यह अपराध है, जिसका दंड कॉलेज मालिकों को मिलना चाहिए। प्रभावशाली लोग यूजीसी के मानदंडों का उल्लंघन कर कॉलेज चलाते हैं और फिर मोटी कमाई के लालच में अतिरिक्त विद्यार्थियों को प्रवेश दे देते हैं। इस बार प्रभावशाली कॉलेज मालिकों के सामने कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी सीना तान कर खड़े हैं, उसमें उन्हें शाबाशी मिलनी चाहिए।
हाईकोर्ट में 10 अगस्त को सुनवाई:
यूनिवर्सिटी द्वारा अतिरिक्त विद्यार्थियों पर लगाए गए जुर्माने के विरोध मेें प्राइवेट कॉलेज संचालकों ने की ओर से जोधपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में प्रति विद्यार्थी 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाने को गैर वाजिब बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी में बार बार आवेदन किया गया, लेकिन यूनिवर्सिटी ने ही नियमानुसार कार्यवाही नहीं की। ऐसे में यूनिवर्सिटी को जुर्माना लेने का अधिकार नहीं है। याचिका में जुर्माना राशि वसूलने पर रोक लगाने की मांग की गई है। इस याचिका पर 10 अगस्त को सुनवाई होगी।
राज्यपाल से शिकायत:
7 अगस्त को अजमेर के भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक वासुदेव देवनानी और शिक्षाविद प्रो. बीपी सारस्वत ने जयपुर में राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। इस मुलाकात में भाजपा नेताओं ने अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई। राज्यपाल को बताया गया कि थानवी अपनी विचारधारा को लेकर यूनिवर्सिटी का काम कर रहे हैं। इससे यूनिवर्सिटी के हालात बिगड़ गए हैं। शैक्षणिक योग्यता नहीं होते हुए भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने थानवी को यूनिवर्सिटी का कार्यवाहक कुलपति बना दिया हैै। चूंकि थानवी जयपुर स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति हैं इसलिए वे अजमेर नहीं आते हैं। जयपुर से ही फरमान जारी कर अधिकारियों को निर्देश देते हैं। भाजपा नेताओं ने कहा कि थानवी अपनी विचारधारा के तहत देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां करते हैं। राज्यपाल से आग्रह किया गया कि वे सरकार को निर्देश देकर किसी शिक्षाविद् और पात्र व्यक्ति को यूनिवर्सिटी का कुलपति बनवाए। थानवी के रहते यूनिवर्सिटी बर्बाद हो रही है। मुलाकात करने वाले भाजपा नेताओं ने बताया कि राज्यपाल इस बात से सहमत थे कि यूनिवर्सिटी में स्थायी और योग्य कुलपति की नियुक्ति होनी चाहिए। भाजपा नेताओं ने थानवी के विरुद्ध राज्यपाल को एक ज्ञापन भी दिया।