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WTO की बैठक में भारतीय किसानों के हितों की रक्षा की मांग…किसान सभा ने, लिखा प्रधानमंत्री को पत्र*

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नई दिल्ली। अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र लिखकर जिनेवा में 12-15 जून 2022 तक आयोजित होने वाले विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय बैठक में भारतीय किसानों के हितों की रक्षा करने की मांग की है। किसान सभा ने कहा है कि नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के सभी पहलुओं को उलटने की जरूरत है और भारत को डब्ल्यूटीओ के साथ-साथ असमान मुक्त व्यापार समझौतों से कृषि को बाहर रखना चाहिए, क्योंकि व्यापार उदारीकरण की नीतियां, कृषि और खाद्य सब्सिडी को हटाने, आयात शुल्क को खत्म करने के साथ-साथ मात्रात्मक प्रतिबंध हटाने जैसे कदम गरीब भारतीय किसानों को विकसित देशों के बड़े पूंजीवादी किसानों के साथ एक असमान प्रतिस्पर्धा में धकेल देंगे और यह भारतीय कृषि के तबाही का रास्ता होगा।

अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक ढवले तथा महासचिव हन्नान मोल्ला ने अपने पत्र में कहा है कि कृषि क्षेत्र में नवउदारवादी नीतियों को लागू करने के कारण वर्ष1995 के बाद से अब तक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार ही, 4 लाख से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की हैं। भारतीय किसान कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट से पीड़ित हैं तथा उर्वरक, ईंधन और अन्य आदानों की लागत में लगातार वृद्धि से उनके उत्पादन लागत में वृद्धि हुई हैऔर वे फसलों के लिए अलाभकारी मूल्य के कारण कर्ज के जाल में फंस गए हैं। इससे करोड़ों भारतीयों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। वैश्विक खाद्य संकट और खाद्य पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतों के समय में, यह हमारे देश में खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर संकेत हो सकता है। इसलिए विश्व व्यापार संगठन में भारतीय किसानों के हितों की रक्षा करना बेहद जरूरी है, क्योंकि विकसित देशों के हितों को यहां आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन के इशारे पर ही तीन कृषि कानून लाये गए थे, जिसके खिलाफ संघर्ष में 700 से ज्यादा किसानों को अपनी शहादत देनी पड़ी है। लेकिन सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की सार्वजनिक खरीद सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की मांग अभी तक अधूरी है।

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि करोड़ों भारतीय किसान और उनके संगठन कृषि विषय को विश्व व्यापार संगठन से बाहर रखने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि अमीर देश अपने किसानों और निगमों को भारी सब्सिडी दे रहे हैं और विकासशील देशों को ऐसा करने पर चुनौती दे रहे हैं। यह भारत के संप्रभु अधिकार पर, आर्थिक मामलों पर निर्णय लेने, किसानों के अधिक उत्पादन करने और अच्छी आजीविका कमाने और अपने देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के अधिकार पर ज़बरदस्त हमला है। उन्होंने कहा है कि विकसित देश अपने बाजार की ताकत को बढ़ाने की साजिश कर रहे हैं और ऐसे समय यदि भारतीय हितों की रक्षा नही की गई, तो यह सरकार द्वारा हमारे देश के किसानों के गले में फंदा कसना होगा। इसलिए भारतीय किसानों को अस्थिरता, अनिश्चितता और अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए सरकार को सभी विकासशील देशों को एकजुट करने के लिए भी अपनी भूमिका निभानी होगी।

किसान सभा ने आशा व्यक्त की है कि विश्व व्यापार संगठन की इस बैठक में भारत सरकार किसानों और देश की जनता के हितों की रक्षा करने में सफल होगी। यदि कृषि मुद्दों पर उत्पन्न समस्याओं के स्थायी समाधान की मांग नहीं मानी जाती, तो इस संगठन से भारत बाहर आ जायेगा।

*(छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते द्वारा प्रसारित)*

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