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नये साल में राम का नाम भी सियासत की कुंजी बन चुका है ?….

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राकेश अचल

नया साल दबे पांव कोहरे की चादर ओढ़े आ गया है। दुनिया भर में नए साल का स्वागत ऐसे किया जा रहा है जैसे नया साल दुनिया भर के रंजोगम का इलाज अपने साथ लेकर आया हो। भले ही ऐसा न हो लेकिन उम्मीद करने से तो कोई ,किसी को नहीं रोक सकता। पूरी दुनिया नए साल में शांति,मोहब्बत ,भाईचारा चाहती है ,केवल हम हैं जो नए साल में राम राज चाहते हैं। रामराज यानि सुशासन ,रामराज यानि भगवान राम का त्रेता वाला शासन नहीं। लेकिन यहीं गड़बड़ी हो रही है। हम कलयुग में हैं और त्रेता का शासन लाना चाहते हैं,जो न सिर्फ असम्भव है बल्कि कालातीत भी है। क्योंकि त्रेता में न इतनी आबादी थी और न अदावत। अब सब बदल गया है। राम का नाम भी अब सियासत की कुंजी बन चुका है।
बहरहाल नया साल देश-दुनिया में कुछ न कुछ तो नया लेकर आएगा ही। कम से कम हमारे देश में तो नए आम चुनाव होंगे । नया आधा-अधूरा राम मंदिर राम लला के नए विग्रह के साथ प्राण-प्रतिष्ठित होगा। हमारी सबसे बड़ी यही उपलब्धि यही प्राण-प्रतिष्ठा होगा । हमें लोकतंत्र से ज्यादा रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की फ़िक्र है ,क्योंकि ये आसान काम है । लोकतंत्र की प्राण- प्रतिष्ठा कठिन काम है। कठिन काम कोई करना नहीं चाहता। राम के नाम पर आप सब कर सकते हैं किन्तु लोकतंत्र के नाम पर नहीं। क्योंकि लोकतंत्र सभी का अपना-अपना है। सबके अपने-अपने मूल्य है लोकतंत्र को लेकर।
देश-दुनिया में कुछ लोगों ने नए साल की अगवानी खा-पीकर,जश्न मनाकर कर । कुछ आज सुबह से अपना राशिफल पढ़कर नए साल के लिए आश्वस्त हो जाना चाहते है। कुछ लोग नहा-धोकर मंदिरों में माथा तक रहे हैं और भगवान का आशीर्वाद मांग रहे हैं ,गनीमत ये है कि भगवान अपने भक्तों को सरकारों की तरह गारंटियां नहीं देता। बाजार वाले कारोबारी रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में कमी से खुश है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर खुश है। वे कहते हैं कि जो काम दूसरी सरकारें 75 साल में नहीं कर पैन वो काम उनकी सरकार ने 12 साल में कर दिखाया।
वीएचपी के अध्यक्ष अलोक कुमार इसलिए खुश हैं क्योंकि उन्होंने देश के 8 हजार विशिष्ट लोगों को राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रण पात्र बंटवाने में कामयाबी मिली है। बिहार वाले खुश हैं कि वहां राजद और जेडीयू की संयुक्त सरकार गिरने वाली ह। कोई मौसम के मिजाज से खुश है तो कोई गमजदा। आरएसएस के नेता देश में मुसलमानों से 22 जनवरी को कम से कम 11 बार राम-राम का जाप करना सहते है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री खुश हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई दामोदरदास मोदी का कार्यक्रम मन की बात रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिकों से ज्यादा लोकप्रिय हैं। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो सोमवार सुबह 10 अन्य पेलोड के साथ एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (एक्सपीओसैट) को लॉन्च करके भव्य तरीके से नए साल 2024 की शुरुआत करेगा। यानि सभी कीअपनी-अपनी तैयारियां हैं नए साल को लेकर।
नए साल में एनआईए ने विदेशों में भारतीय दूतावासों पर हमले करने वाले 43 से जायदा आतंकियों की शिनाख्त कर ली है। हमारे अपने सूबे मध्यप्रदेश में नए साल का आगाज पेट्रोल-डीजल के संकट के साथ हुई है । गजा में इस्राइल ने 34 और लोगों को हलाक कर दिखाया है किन्तु भारत के प्रधानमंत्री ने अयोध्या में एक निषाद के घर चाय पीकर क्रांति कर दिखाई। रहा है यानि हर जगह नए साल में कुछ न कुछ नया हो रहा है। नयापन ही नए साल की चिन्हार है। नए साल में कांग्रेस के कन्धों पर विपक्ष को एक कर देश में लोकतंत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। कांग्रेस को इंडिया गठबंधन की गांठों को और मजबूत करना है। केंद्र सरकार तहरीके हुर्रियत पर प्रतिबंध लगाकर खुश है। जो भी है अब साल 2023 अतीत का हिस्सा बन चुका ह। अब हम सब साल 2024 को पिछले साल के मुकाबले ज्यादा समृद्ध और यादगार बनाये । बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाइयाँ।

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