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शोषणमुक्त समाज-सृजन हेतु आधी आबादी के समावेशन-सूत्र

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(इंटरनेशनल विमेंस~डे स्पेशल)

      सोनी तिवारी, मेडिकल स्कॉलर 

      “प्रचारित आदर्श से परे का यथार्थ यह है : नवरात्रि में कन्यापूजन कर मातृशक्ति के प्रति हम अपनी महानता का पाखंड प्रदर्शित करते हैं और बाकी दिन क्या करते हैं?

    वर्ष भर, हर दिन कुत्तों की तरह लार टपकाते हुए फीमेल के पीछे पड़े रहते हैं। हम उसे इस हाल में भी लाते हैं कि वह कोठो तक पर तमाम लोगों से ज़िस्म नुचवाये. हम प्रेम के नाम पर अपने ज़ाल में फसाकर उसे उसे बेच भी देते हैं। हम उसे छेड़ते हैं, उसका रेप-गैंगरेप-मर्डर करते हैं। और तो और कोख तक में उसका कत्ल करते हैं।

   शिक्षालय अच्छे मार्क्स देने के लिए, कम्पटीशन-कॅरियर के सफल करने के लिए, नौकरी मे बनाये रखने के लिए भी उनका ज़िस्म हमें चाहिए. सरकारी अधिकारी और जज़ फीमेल्स तक शिकार बनती हैं. यहाँ तक की रिलेटिव, परिजन, भाई, बाप भी मौका पाने पर उन्हें नहीं छोड़ते. क्या कोई अर्थ है ऐसे में, वीमेंस डे का?”

             ~ डॉ. विकास मानव.

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    अपवाद की बात छोड़ दें तो महिलाएं सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव होती हैं। घर-बाहर दोनों जगहों पर उनका योगदान पुरुषों की अपेक्षा कहीं ज्यादा होता है। इसलिए शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल, राजनीतिक भागीदारी सभी क्षेत्रों में महिलाओं को प्रणालीगत बाधाओं का सामना न करना पड़े, यह सुनिश्चित करना जरूरी है।

    महिलाओं को राजनीति में उनके जीवन को प्रभावित करने वाली नीतियों और पहलों को आकार देने में उनकी आवाज़ सुनी जाए। 

    हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के लिए पूर्वाग्रह, रूढ़ियों और भेदभाव से मुक्त दुनिया रचने के लिए प्रेरित करता है।

   एक ऐसी दुनिया, जो विविध, न्यायसंगत और समावेशी हो। एक ऐसी दुनिया जहां महिला समानता पर जोर दिया जाता हो। महिलाओं की उपलब्धि का जश्न मनाएं, भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाएं और लैंगिक समानता लाने के लिए कार्रवाई करें।

*अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 की थीम :*

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 की थीम इंस्पायर इंक्लूजन (Inspire inclusion) है। जब हम महिलाओं के हर क्षेत्र में समावेश करने के महत्व पर जोर देने के लिए प्रेरित करते हैं, तो हम एक बेहतर दुनिया बनाते हैं।

     इंस्पायर इंक्लूजन संदेश एक ऐसी दुनिया बनाने का आग्रह करता है, जहां सभी महिलाएं अपनी पृष्ठभूमि, पहचान या परिस्थिति की परवाह किए बिना, मूल्यवान, सशक्त और समाज के हर पहलू में सक्रिय रूप से शामिल महसूस करती हैं।

*1. रूढ़ियों-पूर्वाग्रहों को चुनौती दें :*

    इसके लिए महिलाओं को सबसे पहले स्वयं को शिक्षित करना होगा। सक्रिय रूप से ऐसी जानकारी और संसाधनों की तलाश करनी होगी, जो महिलाओं के बारे में उनकी जातीयता, या अन्य पहचान के आधार पर रूढ़िवादिता और पूर्वाग्रहों को चुनौती दी जा सके।

     उन्हें अपने स्वयं के पूर्वाग्रहों की भी जांच करनी होगी। उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन करें या सेल्फ रिफ्लेक्शन अभ्यास में संलग्न हों। यहां आपके अपने पूर्वाग्रह समावेशिता में बाधा बन सकते हैं।

    जब आप पक्षपातपूर्ण या भेदभावपूर्ण भाषा या व्यवहार का सामना करती हैं, तो इसे सम्मानपूर्वक चुनौती दें और दूसरों को रूढ़िवादिता के हानिकारक प्रभाव के बारे में शिक्षित करें।

*2. विविधता वाले परामर्श कार्यक्रम :* 

    समुदाय में लैंगिक समानता और विविधता लाने की दिशा में काम करने वाले संगठनों का समर्थन करें। कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की युवा महिलाओं और लड़कियों को सलाह देने के लिए अपना समय स्वेच्छा से दें।

     अपने कार्यस्थल या संगठन के भीतर समावेशी नीतियों की वकालत करें, जैसे लचीली कार्य व्यवस्था।

*3. हाशिए पर रह गई महिलाओं की आवाज़ :*

विविध पृष्ठभूमि की महिलाओं के अनुभवों को सक्रिय रूप से खोजें और सुनें। इसमें महिला वक्ताओं के साथ बातचीत और कार्यक्रमों में भाग लेना, विविध लेखकों द्वारा लिखी गई किताबें और लेख पढ़ना या विभिन्न समुदायों के व्यक्तियों के साथ सम्मानजनक बातचीत में शामिल होना शामिल हो सकता है।

     हाशिए पर मौजूद समूहों की महिलाओं की कहानियों और योगदानों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करके या दूसरों को उनके काम की सिफारिश करके उनके काम और उपलब्धियों को बढ़ावा दें। विविध पृष्ठभूमि की महिलाओं के स्वामित्व वाले या उनके नेतृत्व वाले व्यवसायों और संगठनों का समर्थन करें।

*4. खुली बातचीत और समझ के लिए सुरक्षित स्थान निर्माण :*

   विभिन्न दृष्टिकोणों और अनुभवों को समझने पर ध्यान केंद्रित करने वाली चर्चाओं का आयोजन करें या उनमें भाग लें। सक्रिय रूप से सुनने का अभ्यास करें और बिना किसी आलोचना के दूसरों के अनुभवों को समझने का प्रयास करें।

     ऐसा माहौल बनाएं जहां हर कोई अपनी राय और अनुभव सम्मानपूर्वक साझा करने, सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देने में सहज महसूस करे।

*5. अस्मिता और स्वतन्त्रता से बड़ा कुछ नहीं :*

     स्त्री को सरेन्डर करने से बचना होगा. न मिले पढ़ाई-प्रैक्टिकल-शोध में अच्छे मार्क्स, चाहे फेल ही होना पड़े. नहीं मिले कम्पटीशशन में सक्सेज, नौकरी रहे चाहे जाये : औरतखोर कुत्तों, भडुओ, हराम के पिल्लों को अपना ज़िस्म सौंपने से इनकार करना होगा. इनको बेनक़ाब करना होगा.

  प्रेम के नाम पर भी नरपशुओं की ऐयासी को स्वीकार करने से बचना होगा. प्यार का मतलब ज़िस्म नहीं होता. ऐसी मांग करने वालों को बोलना होगा की ज़िस्म का नंबर शादी के बाद. 

  परिवार के भीतर यानी घर में इज्जत खतरे में है तो भी सरेंडर नहीं, अतिक्रमण करना होगा. ऐसे में एक सवाल उठता है की, सुरक्षा कहाँ मिले? रहें कहाँ? बालिका संरक्षणगृह और नारीनिकेतन तो वैसे ही हरमखाने हैं, जिनकी विभत्सता की तस्वीर आये दिन न्यूज मिडिया में उभरती है.

    तो ऐसी स्थति में हमें सूचित किया जा सकता है. हमसे प्रभावी सहयोग- संरक्षण प्राप्त किया जा सकता है. 

याद रखें, आपकी अस्मिता और नैसर्गिक स्वतन्त्रता से बढ़कर कुछ भी नहीं है. इसे मार देने का मतलब है जिंदा लाश हो जाना. ऐसे जीने के बजाए तो शरीर से भी मर जाना बेहतर होगा.

   समावेश के लिए उपरोक्त सूत्र प्रेरक और सतत प्रक्रिया के आधार हैं. इसके लिए सभी भले व्यक्तियों और संगठनों से निरंतर प्रयास और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

    इन कदमों को उठाकर हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां सभी महिलाएं अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए सशक्त महसूस करेंगी।

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