हिंदी के अप्रतिम कथाकार शेखर जोशी का आज गाजियाबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया।वे अरसे से बीमार थे और उम्र के नवें दशक में चल रहे थे।
शेखर जोशी यानी हिंदी कहानी का वह कालखण्ड जब नयी कहानी आंदोलन चरम पर था और वे कहानियाँ चर्चा के केंद्र में थीं जो लीक से,परम्परा से और समय पर लंबी लकीर खींच रही थीं।ऐसे घनघोर रचनात्मक दौर में उनका लेखन परवान चढ़ा और उस लेखन ने उन्हें शिखर तक पहुँचाया।
लेखन को एक बड़ी जिम्मेदारी माननेवाला हिंदी का यह शिखर ‘दाज्यू’,’कोशी का घटवार’,’हलवाहा’,’नौरंगी बीमार है’ और ‘आदमी का डर’ जैसी कभी न भूल सकनेवाली कहानियों से हर दौर में याद किया जाता रहेगा।उनकी कहानियों में पहाड़ की वे ध्वनियाँ उभरती हैं जिनमें दर्ज है गरीबी,उत्पीड़न,संघर्ष,यातना, प्रतिरोध और अंत में–उम्मीद।उनकी कहनियों के अंग्रेजी,चेक,पोलिश,रूसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुए हैं।
10 सितम्बर,1932 को अल्मोड़ा में जन्में हिंदी के इस अद्वितीय कथाकार ने आज दोपहर गाजियाबाद के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।
पर कभी नहीं,कहीं नहीं जाते शेखर जोशी।वे अपनी भाषा में,कथा में और समय की धार में रोज रोज अपने होने का अहसास दिलाते रहेंगे।
सादर नमन हिंदी कहानी के शिखर ( Harish Pathak )