*किसान संघर्ष समिति की 284 वीं किसान पंचायत सम्पन्न
किसान अपने खेत की गिरदावरी स्वयं दर्ज कराए
*प्राकृतिक संसाधनों की लूट और मजदूर की मजदूरी की लूट से पूंजीवाद आगे बढ़ता है
*देश में ताकतवर तबका कमजोर तबके के खिलाफ फौज का इस्तेमाल कर रहा है
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में 284वीं किसान पंचायत ऑनलाइन सम्पन्न हुई। ऑनलाइन किसान पंचायत को संबोधित करते हुए डॉ सुनीलम ने कहा कि दिल्ली की बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन को आज 258 दिन हो गए हैं लेकिन केंद्र सरकार 3 किसान विरोधी कानून रद्द करने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने तथा सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी देने को तैयार नहीं है। उन्होंने प्रदेश के किसान संगठनों से अपील की है कि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर किसान अपने अपने गॉंव में तीरंगा मार्च निकालें तथा तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर जिले में किसान संसद आयोजित करने की अपील भी की।
छत्तीसगढ़ के गांधीवादी, मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने कहा कि नई आर्थिक नीतियों के आने के बाद जो अंतर्राष्ट्रीय पूंजी थी वह गरीब देशों की ओर बढ़ रही थी। यह पूंजी प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा कर रही थी। भारत में भी ऐसा ही हुआ , छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने 2004 में 100 मल्टीनेशनल कंपनी के साथ समझौते किये। उसके बाद सरकार ने बिना ग्राम सभा की सहमति के आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन पर कब्जा करने गुंडे और सीआरपीएफ के बल पर गॉंव खाली कराने के लिए आदिवासियों पर हमले किये। 644 गॉंव जला दिये गए, हजारों आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मार दिए गए। उनके अनाज , जलस्त्रोतों को नष्ट कर दिए गए। कुओं में जहर डाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि उनका 18 वर्ष पुराना आश्रम सिर्फ इसलिए ढहा दिया गया क्योंकि वे आदिवासियों के इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की ,आदिवासियों के मुद्दे पर उनका रुख नहीं बदलता है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को या किसानों की आवाज उठाने वालों को सरकारें नहीं छोड़ती। सरकार ने सबसे ज्यादा पैरामिलिट्री आदिवासी क्षेत्रों में लगाई है। यह आदिवासियों को सुरक्षा देने के लिए नहीं बल्कि आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने के लिए लगाई हैं ताकि पूंजीपतियों की तिजोरी भरी जा सके। अमीर पूंजीपतियों की तिजोरी भरने के लिए भारत के ताकतवर तबके ने कमजोर तबके के खिलाफ अपनी फौज का इस्तेमाल किया है। आबादी का एक हिस्सा, दूसरी आबादी के खिलाफ फौजें इस्तेमाल कर रहा हो तो उसे ग्रह युद्ध कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि पूंजीवाद दो चीजों से ही आगे बढ़ता है, पहला प्राकृतिक संसाधन और दूसरा मजदूर की मजदूरी की लूट। इन दोनों की लूट से ही पूंजीपति मजबूत बनता है। इसके लिए पूंजीपतियों को सरकार की मदद की जरूरत पड़ती है। सरकार ही मजदूर को पूरी मजदूरी मांगने पर पिटती है। इसी क्रम में सरकार ने नए कानून लाए हैं इन कानूनों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई गई तो आदिवासी इलाकों में जो दमन चल रहा है वह पूरे देश में चलेगा। सारे देश में अर्धसैनिक बल लगाकर पूरे देश के किसानों की जमीन पर कब्जा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल जंगल जमीन बचाने के लिए संगठित होकर संघर्ष करना होगा। अल्पसंख्यकों, दलितों, छात्रों के संघर्षों को साथ लेकर शोषण मुक्त व्यवस्था निर्मित की जा सकती है।
किसान पंचायत को संबोधित करते हुए किसंस की उपाध्यक्ष एड. आराधना भार्गव ने कहा कि गॉंव स्तर पर पहुंचकर तीनों कृषि कानूनों की जानकारी प्रत्येक किसानों तक पहुंचाने का प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि वे 15 अगस्त को गाँव में पहुंचकर किसान,आदिवासी, दलित एवं छात्रों के बीच पंहुचकर कृषि कानूनों सहित संविधान के नीति निदेशक तत्वों पर चर्चा की जाएगी।
किसान संघर्ष समिति के मालवा निमाड़ संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि हमें जिला मुख्यालयों के अलावा गांव-गांव तक आंदोलन के उद्देश्यों को ले जाना होगा क्योंकि नए कृषि कानून का न केवल किसानों पर असर पड़ेगा बल्कि आम जनता की जीवन शैली पर भी असर पड़ेगा। रीवा से शहीद राघवेंद्र सिंह किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि किसानों को सस्ते दर पर खाद बीज दिया जाना चाहिए तथा प्राकृतिक आपदा से नष्ट हुई फसल का समय सीमा में फसल बीमा दिया जाना चाहिए। ग्वालियर से किसान संघर्ष समिति के ग्वालियर- चंबल क्षेत्र संयोजक एड. विश्वजीत रतौनिया ने कहा कि आज किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नही मिल रहा है। पेट्रोल, डीजल महंगा होने से किसानी की लागत में बढ़ोतरी होने से किसान कर्जे में डूब रहा है।
सागर से किसंस के जिला अध्यक्ष अभीनय श्रीवास ने कहा कि प्रदेश के किसान आवेदन और ज्ञापन तक ही सीमित न रहे। किसान विरोधी कृषि कानून रद्द कराने और सभी फसलों की एम एस पी पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग हेतु अब हमें किसान आंदोलन को और गति देना होगा।
सिवनी से किसंस के प्रदेश सचिव डॉ राजकुमार सनोडिया ने कहा कि जो अन्नदाता देश की जनता का पेट भरता है उसे सरकार 5 किलो घटिया अनाज देकर उसका अपमान कर रही है। उन्होंने बताया कि पटवारी को वर्ष में दो बार अपने क्षेत्र के किसानों के पास जाकर गिरदावरी रिपोर्ट तैयार कर राजस्व विभाग में दर्ज करनी होती है। लेकिन पटवारी अपने कार्यालय में बैठकर मनमर्जी से गिरदावरी रिपोर्ट तैयार करते है। इसलिए सभी किसान स्वयं अपने खेत की फसल की गिरदावरी राजस्व विभाग में दर्ज कराए ताकि फसल नुकसानी पर फसल बीमा या मुआवजा की प्रक्रिया में परेशानी ना हो।
रायसेन से किसंस के प्रदेश सचिव श्रीराम सेन ने कहा कि इस समय देश में सामंतशाही शासन चल रहा है। विपक्ष भी सक्रियता से अपनी भूमिका नहीं निभा रहा है। इस समय देश महंगाई से जूझ रहा है। इससे निपटने के लिए सभी को एकजुट होना होगा।
किसंस महामंत्री भागवत परिहार ने कहा कि सरकार ने 15 लाख टन सोयामील आयात की अनुमति देकर अपना किसान विरोधी होने का सबूत पेश किया है। सोयाबीन के वर्तमान भाव देखकर किसानों को अच्छे भाव की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने सोयामील का आयात कर किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है।
किसान पंचायत को सिवनी से किसंस के जबलपुर संभाग के संयोजक राजेश पटेल, टीकमगढ़ से किसंस के प्रदेश सचिव महेश पटेरिया, झाबुआ से प्र सचिव राजेश बैरागी, मंडला से जिलाध्यक्ष राम सिंह कुलस्ते, ग्वालियर से जिलाध्यक्ष शत्रुघ्न यादव, सिवनी से किसान नेता शिवराम सनोडिया, सागर से तहसील अध्यक्ष राजीव कोष्टी ने भी ऑनलाइन किसान पंचायत को संबोधित किया।
भागवत परिहार
कार्यालय सचिव