भारत डिजिटल क्रांति के मोर्चे पर दुनिया में सबसे आगे है। देश ने डिजिटल भुगतान में तेजी लाकर न सिर्फ वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) को अपनाया है बल्कि इसे अपनाने में दुनिया की अगुवाई कर रहा है। आरबीआई की ताजा करेंसी एंड फाइनेंस 2023-24 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फिनटेक को अपनाने की दर सबसे ज्यादा 87 फीसदी है। यह दर 64 फीसदी के वैश्विक औसत से 23 फीसदी अधिक है। 22 जुलाई, 2024 तक देश में फिनटेक कंपनियों की संख्या बढ़कर 8,011 पहुंच गई है।रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने की सरकार की कोशिशों की बदौलत भारतीय फिनटेक कंपनियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इसका अंदाजा फिनटेक कंपनियों के बढ़ते राजस्व से लगाया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने की सरकार की कोशिशों की बदौलत भारतीय फिनटेक कंपनियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इसका अंदाजा फिनटेक कंपनियों के बढ़ते राजस्व से लगाया जा सकता है। 2030 तक फिनटेक कंपनियों का राजस्व 11.17 गुना बढ़कर 190 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। 2022 में यह आंकड़ा 17 अरब डॉलर रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय फिनटेक कंपनियों को जनवरी, 2018 से दिसंबर, 2023 के बीच करीब 27 अरब डॉलर की फंडिंग मिली है। इसमें घरेलू और विदेशी फंडिंग दोनों शामिल है।
डिजिटल क्रांति की कहानी बताते आंकड़े
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिसकी आबादी सबसे ज्यादा डिजिटली कनेक्टेड है। यही आबादी भारत की डिजिटल क्रांति की मजबूत स्तंभ बनकर खड़ी है।
आंकड़ों ेको समझें…
42.4 करोड़ यूपीआई यूनिक यूजर्स
95.4 करोड़ इंटरनेट सब्सक्रिप्शन
46.7 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स
116.5 करोड़ वायरलेस सब्सक्रिप्शन
75.0 करोड़ स्मार्ट फोन यूजर्स
138 करोड़ आधार जारी हुए हैं
डिजिटल बैंकिंग समाधान पेश करने में काफी मददगार
आरबीआई ने कहा, 84 फीसदी बैंक व 35 फीसदी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां डिजिटल बैंकिंग समाधान पेश करने के लिए फिनटेक से साझेदारी कर रही हैं। 92 फीसदी बैंकों और 60 फीसदी एनबीएफसी का मानना है कि फिनटेक का साथ डिजिटल बैंकिंग समाधान पेश करने में मददगार साबित हो रहा है।
अर्थव्यवस्था को संगठित बनाने में मिली सहायता
2014 से अब तक 116 अरब से अधिक आधार आधारित और 20 अरब से ज्यादा ई-केवाईसी प्रमाणीकरण हुए हैं। इससे अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद मिली है। जीएसटी नेटवर्क ने 1.4 करोड़ करदाताओं को जोड़ा है और 400 करोड़ से अधिक ई-वे बिल जारी किए जा चुके हैं।
डीबीटी: बचाए 3.4 लाख करोड़ रुपये
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिये 2023-24 में 176 करोड़ लाभार्थियों को 6.9 लाख करोड़ रुपये सीधे हस्तांतरित किए गए हैं। इससे मार्च, 2023 तक करीब 3.4 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।