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भारत अगले आयोजन के लिए तैयार-दुबई में बोले पीएम मोदी

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विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन सीओपी28 की उच्च-स्तरीय बैठक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्बन उत्सर्जन घटाने और भारत की मेजबानी में आयोजन का प्रस्ताव भी रखा। बता दें कि सीओपी28 का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक हो रहा है।

सीओपी-28 के दौरान भारत और सर्बिया संबंधों पर सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक ने कहा, “हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। मैंने भारत का दौरा किया और गुजरात गया। मैंने कई साल पहले पीएम मोदी से बात की थी। इस बीच हमारे बीच राष्ट्रपति और भारत के उपराष्ट्रपति सर्बिया गए। हम अपने संबंधों को बहुत अच्छे तरीके से संभाल रहे हैं। वुसिक ने का, उन्होंने अपना निमंत्रण पीएम मोदी को अभी अनौपचारिक तरीके से दिया है मुझे उम्मीद है कि हम जल्द से जल्द सर्बिया में उनकी मेजबानी करने में सक्षम होंगे।

संबोधन की शुरुआत में पीएम ने जलवायु परिवर्तन को बताया गंभीर समस्या

सीओपी28 समिट में अपने संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन को गंभीर समस्या बताया। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसद की कमी लाने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने भारत की मेजबानी में अगला सम्मेलन आयोजित कराने का प्रस्ताव भी रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए सबके हितों की सुरक्षा बहुत जरूरी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के बीच हमें सफल होना ही होगा। उन्होंने ग्रीन क्रेडिट इनिशिएटिव की भी वकालत की। पीएम मोदी ने कहा कि 2030 तक कार्बन उत्सर्जन घटाने पर तत्परता से काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी देशों को एक-दूसरे का साथ देना चाहिए। पीएम मोदी ने यूएई और भारत के रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों की साझेदारी आने वाले दिनों में अहम भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री ने 21 घंटे के अपने प्रवास के दौरान सात बड़ी बैठकों में भाग लिया।

2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य
पीएम मोदी ने COP33 सम्मेलन भारत में कराए जाने का प्रस्ताव दिया और कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबकी भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भारत ने इकोलॉजी और अर्थव्यवस्था के उत्तम संतुलन का उदाहरण विश्व के सामने रखा है। भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी होने के बावजूद ग्लोबल कार्बन एमिशन में हमारी हिस्सेदारी 4 प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन का शेयर बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य की ओर भी बढ़ते रहेंगे।

भारत विश्व की उन कुछ अर्थव्यवस्थाओं में एक है, जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) का लक्ष्य पूरा करने की राह पर है। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन से संबंधित लक्ष्यों को भारत 11 साल पहले ही हासिल कर चुका है। उन्होंने कहा कि गैर जीवाश्म इंधन का लक्ष्य भारत समय से पहले ही हासिल कर चुका है।

कार्बन उत्सर्जन 2 बिलियन टन तक घटाने के प्रयास
सीओपी28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के अध्यक्ष साइमन स्टिल के साथ उद्घाटन पूर्ण सत्र में शामिल होने वाले मोदी एकमात्र नेता थे। प्रधानमंत्री ने ऊर्जा के इस्तेमाल को घटाने और प्रारूपों के रुपांतरण के बीच संतुलन बनाए रखने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में ऊर्जा परिवर्तन “न्यायसंगत और समावेशी” होना चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि इस दृष्टिकोण को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन 2 बिलियन टन तक कम किया जा सकता है।

LiFE आंदोलन के समर्थन में पीएम मोदी
उन्होंने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए अमीर और तकनीक से लैस विकसित देशों से प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान पर भी जोर दिया। बता दें कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती की गंभीरता को देखते हुए पीएम मोदी पर्यावरण के लिए जीवन शैली (Lifestyle for Environment या LiFE आंदोलन) का भी समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने अलग-अलग देशों से धरती के अनुकूल जीवन पद्धती अपनाने और गहन उपभोक्तावादी व्यवहार से दूर जाने की अपील कर रहे हैं।

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