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भारत एशिया में भ्रष्टाचार का सिरमौर 

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मुनेश त्यागी

   हाल ही में प्रकाशित,अंतरराष्ट्रीय संस्था फोर्ब्स की सूची के अनुसार भारत एशिया में भ्रष्टाचार का सिरमौर बन गया है। इस सूची के अनुसार वियतनाम दूसरे नंबर पर, थाईलैंड तीसरे नंबर पर और पाकिस्तान चौथे नंबर पर है। उसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में घूस देने की दर 89 परसेंट है। यह सूची ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के 18 महीने के सर्वेक्षण पर आधारित है। 2015 में भारत का 168 भ्रष्ट देशों की सूची में 76 वां स्थान था। 2014 में 100 भ्रष्ट देशों में भारत का स्थान 38 वां था और आज यह भ्रष्टाचार में, एशिया में सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंच गया है।

     यहां पर सवाल उठता है कि आखिर आजादी प्राप्ति के बाद भारत में भ्रष्टाचार क्यों बना हुआ है और यह क्यों लगातार ऊंचाइयां छूते चला जा रहा है? भ्रष्टाचार को जानने के लिए हमें थोड़ा भूतकाल में जाना पड़ेगा। हमारे देश में भ्रष्टाचार दास व्यवस्था से शुरू होता है और सामंती व्यवस्था से होता हुआ, वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था तक पहुंच जाता है। पहले जमाने में भी जमींदार और सामंत लोग आम जनता के साथ शोषण, अन्याय, गैर बराबरी और भेदभाव किया करते थे। यह सब एक प्रकार का भ्रष्टाचार ही था।

     इसके बाद पूंजीवादी व्यवस्था आई और यह अपने साथ उस भ्रष्टाचार को भी ले आई। इसने  हजारों वर्षों से चले आ रहे सामंती भ्रष्टाचार को खत्म ही नहीं किया, बल्कि उसके साथ गठजोड़ कर लिया और आज हालत यह है कि अगर दुनिया में सबसे ज्यादा वृद्धि कहीं हुई है तो वह भ्रष्टाचार में हुई है। आजादी मिलने के बाद सोचा गया था कि भारत से शोषण, गैर बराबरी,  छलकपट, मक्कारी, भेदभाव और भ्रष्टाचार का खात्मा किया जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। उल्टे यह दिनों दिन बढ़ता चला गया और आज स्थिति यह है कि भारत एशिया में सबसे भ्रष्ट देशों में शामिल हो गया है। 

      आजकल भ्रष्टाचार पर बहुत बात हो रही है हमें यहां पर यह समझने की जरूरत है कि आखिर भ्रष्टाचार क्या है? कानून का पालन न करना, कानून को तोड़ना मरोड़ना, बेईमानी मक्कारी, झूठ, छल कपट, रिश्वतखोरी, न्यूनतम वेतन न देना, दूसरों को कानूनी ड्यूटी को अंजाम देने से रोकना, घूस देना, हमारा आचार विचार और व्यवहार कानून विरोधी होना, मक्कारी, छल कपट और ठगी से दूसरों से पैसा ऐंठना, दूसरों को कानून का पालन करने से रोकना, अपने गैर कानूनी मंसूबों को अमल में लाना और इसके लिए घूसखोरी रिश्वतखोरी करना, अपने गैर कानूनी उद्देश पूर्ति के लिए लोगों के साथ शोषण अन्याय जुल्म करना आदि आदि आचार विचार और व्यवहार भ्रष्टाचार की श्रेणी में आते हैं।

    आखिर इसकी वजह क्या है? भारत के स्वतंत्रता संग्राम में, स्वतंत्रता सेनानियों और जनता ने, यह कामना की थी कि अंग्रेजों के चले जाने के बाद, हमारे देश में हजारों साल पुराने शोषण, अन्याय, गैरबराबरी, भेदभाव और भ्रष्टाचार और तमाम तरह की विसंगतियों का खात्मा हो जायेगा। मगर यह सपना सच न हो सका। भारत में लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाया गया। जैसा कि हम जानते हैं वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था दुनिया की सबसे भ्रष्ट व्यवस्थाओं में से एक है। यह पूरी की पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार पर आधारित है। हकीकत यह भी है कि अगर भ्रष्टाचार का खात्मा हो जाएगा या कर दिया जाएगा, तो यह लुटेरी और जनविरोधी व्यवस्था भी भरभरा कर गिर जाएगी और भ्रष्टाचार का खात्मा हो जाएगा

    भ्रष्टाचार में मजदूरों का शोषण, मजदूरों की मेहनत को हड़प लेना और उनको उनके कार्य का पूरा दाम न देना, शामिल हैं। मजदूरों और किसानों की और आम जनता की लूट जारी रही, उनके साथ बेईमानी और मक्कारियां की गई। इस प्रकार यह भ्रष्टाचार लगातार बढ़ता चला गया। अगर हम अपना इतिहास उठाकर देखें तो भारत में हजारों साल पुराने भ्रष्टाचार के विभिन्न स्रोतों से लड़ने की कभी कोशिश नहीं की गई। सिर्फ वामपंथी ताकतें ही भ्रष्टाचार के खात्मे की बात करती हैं।

     हमारे देश में, वर्तमान समय के सामंत और पूंजीपति, इस भ्रष्टाचार को खत्म करना नहीं चाहते हैं और न ही भ्रष्टाचार का खात्मा,उनके एजेंडे में है। हम बिल्कुल मुत्मइन होकर कह सकते हैं की वर्तमान लुटेरी और मजदूरों की मेहनत हड़पने वाली वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था, भ्रष्टाचार को कभी खत्म नहीं कर सकती क्योंकि जिस दिन भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, उस दिन वर्तमान लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था का विनाश हो जाएगा।

     उपरोक्त के आकलन में हम यह कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार का खात्मा सिर्फ और सिर्फ जाग्रत जनता, वामपंथी विचारधारा और समाजवादी व्यवस्था कायम करके ही किया जा सकता है, क्योंकि समाजवादी व्यवस्था में सबको शिक्षा, सबको काम, सब को रोटी, सबको आवास, सब को रोजगार, सबको बुढ़ापे की पेंशन की व्यवस्था की जाएगी। मजदूरों के शोषण पर पूर्णतया विराम लगा दिया जाएगा क्योंकि समाजवादी व्यवस्था में मालिक और दास व गुलाम और मजदूर नहीं रहेंगे। उस व्यवस्था में भ्रष्टाचार करने के समस्त रास्ते खत्म कर दिए जाएंगे और उन पर पूर्णतया रोक लगा दी जाएगी अतः किसी को भ्रष्टाचार करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

     क्योंकि यहां पूंजीवादी व्यवस्था का खात्मा कर दिया जाएगा। यहां मजदूरों की मेहनत को हड़पने वाला पूंजीपति वर्ग नहीं रहेगा, भ्रष्टाचार के सब स्रोतों पर रोक लगा दी जाएगी और भ्रष्टाचार को जन्म देने वाली तमाम परिस्थितियों का खात्मा कर दिया जाएगा। जब यह लुटेरा और भ्रष्टाचार पर आधारित लुटेरा वर्ग नहीं रहेगा, तो भ्रष्टाचार भी नही किया जा सकेगा। अतः वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था का खात्मा और विनाश करके ही भ्रष्टाचार का खात्मा किया जा सकता है। भ्रष्टाचार के पूरी तरह से खात्मे के लिए समस्त किसानों, मजदूरों, विद्यार्थियों, नौजवानों और समाज के सभी लोगों बुद्धिजीवियों, लेखकों, कवियों, नाटककारों, साहित्य कर्मियों, वकीलों और जजों आदि सबको मिलकर एकजुट संघर्ष चलाना पड़ेगा और एक ऐसी व्यवस्था कायम करनी होगी जिसमें वसुधैव कुटुंबकम की भावना हो जिसमें विश्व बंधुत्व की भावना हो और जो पूरी तरह से समता समानता और पूरी जनता के आपसी भाईचारे पर आधारित हो।

     भ्रष्टाचार पर आधारित इस लुटेररी और भ्रष्टाचारी पूंजीवादी व्यवस्था का समूल विनाश करना होगा और इसके स्थान पर समाजवादी व्यवस्था का की स्थापना करनी होगी जिसमें भ्रष्टाचार को उत्पन्न करने वाली सभी स्थितियों और परिस्थितियों का और सामंतों व पूंजीपतियों का खात्मा कर दिया जाएगा। अतः उस अवस्था में भ्रष्टाचार करने वाला भी कोई नहीं रहेगा और भारत बेईमानियों, मक्कारियों और भ्रष्टाचार विहीन समाज बन जाएगा और तब हमारा भारत बेईमानी, मक्कारी और भ्रष्टाचार का सिरमौर नहीं बल्कि इमानदारी का ध्वजवाहक बन जायेगा। तभी हम गर्व, अभिमान और सम्मान के साथ, इकबाल की ये पंक्तियां गुनगुनाएंगे कि,,,,

सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा,
हम बुलबुले हैं इसकी ये गुलसितां हमारा।

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