यह बुनियादी तथ्य है कि देश में जो कुछ भी बेहतरीन और उच्चतम है, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) उस सबके खिलाफ है. यहां तक कि पूंजीवादी लोकतंत्र के समानता, बंधुत्व और आजादी की बुनियादी उसूल के भी खिलाफ है, जो फ्रांसीसी क्रांति का केन्द्रीय नारा था. विजयी फ्रांसीसी क्रांति ने इस नारे को समूची दुनिया में फैलाया और खुद का अपना संविधान भी इसी आधार पर निर्मित और विकसित किया.
अंग्रेजी हुकूमत के झंडे तले इस औपनिवेशिक देश भारत ने भी इस नारे को अपनाया और अंग्रेजों के नेतृत्व में काफी हद तक पुरानी कबिलायी सामंती समाज से बाहर निकलने का प्रयास किया. आजादी के आन्दोलन और उसके बाद र्नििर्मत भारतीय संविधान ने भी काफी हद तक इसी नारे – समानता, बंधुत्व और आजादी – के तहत खुद को विकसित करने का प्रयास किया. लेकिन अपनी ही कमियों के कारण भारतीय सत्ता आये दिन इस नारे से दूर भटकते हुए हत्यारों और भांडों के कब्जे में आता चला गया, जिसकी अंतिम परिणती 2014 में अपराधियों और हत्यारों के विशाल गिरोह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व में मोदी गिरोह ने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया.
2014 में देश की सत्ता पर काबिज यह मोदी गिरोह देश के सर्वाधिक प्रतिक्रियावादी विचारों का प्रतिनिधित्व करते हुए अब देश को बकायदा उल्टी दिशा में ले जा रहा है, जहां समानता, बंधुत्व, आजादी की बात करना देशद्रोही बन जाना है. इसका सबसे बेहतरीन अभिव्यक्ति देते हुए अमेरिकी संसद में एक भारतीय अमेरिकी सांसद के द्वारा उठाये गये सवाल हैं, जो इस प्रकार है –
2014 से भारत पर एक कट्टरपंथी और तानाशाह सरकार ने कब्जा कर लिया है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं. मोदी सरकार बार-बार संवैधानिक संस्थाओं को कंट्रोल करती है, ताकि जो उनकी गलत नीतियां है उनसे अन्तराष्ट्रीय संस्थानों और साथ ही यहां अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों का ध्यान भी हटा रहे. ये कट्टरपंथी लोग खासकर जो अमेरिका में मोदी का समर्थन करते हैं, वो सिर्फ अमेरिका की राजनीति में हस्तक्षेप करने की कोशिश ही नहीं कर रहे हैं बल्कि वे यह भी कोशिश कर रहे हैं कि उनको और उनकी गलत नीतियों को अमेरिका में भी स्वीकृति मिल जाए, जिससे कि वे भारत में ‘सब चंगा सी’ के एजेंडे को जिंदा रख सके.
मैं जो कि हिन्दू हूं और अमेरिका में रहती हूं इनकी बड़ी साजिश को बेनकाब करने के लिए मजबूर हूं. इसमें साजिश सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी की ही नहीं बल्कि अमेरिका में रहने वाले उनके समर्थकों की भी है. प्रधानमंत्री मोदी आरएसएस के उत्पाद हैं. आरएसएस वहीं संगठन है, जो हिटलर की औलादों से प्रभावित है. यह काम आरएसएस की जो अन्तराष्ट्रीय संस्थाएं हैं, जैसे कि एचएसएस, हिन्दू कांउसिल ऑफ अमेरिका, हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन, हिन्दू स्टूडेंट्स कांउसिल. ये सभी अमेरिका के विश्वविद्यालयों में अपना काम कर रहे हैं या हिन्दू संस्कृति और त्यौहारों को मनाने के नाम पर अपना एजेंडा फैला रहे हैं.
मोदी और उनके मंत्री अल्पसंख्यकों के खिलाफ हद से ज्यादा नफरत फैला रहे हैं, जो कि सिर्फ मुस्लिमों को ही नहीं, ईसाई और सिखों को भी टारगेट करते हैं, जिसकी आड़ में मोदी सरकार खूब भ्रष्टाचार और लूटने का काम कर रही है. भारत में कोरोना के दौरान 50 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गये. और मोदी सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है. मोदी और उनके भक्त, हिन्दुत्व की विचारधारा के नाम पर भगवा आतंकवाद फैला रहे हैं. बड़ी बात यह है कि इन भगवाधारियों का कहीं से भी हिन्दू से कोई वास्ता नहीं है.
अमेरिका की संसद में उठी यह अवाज दुनिया भर के प्रगतिशील ताकतों की प्रतिनिधि आवाज है, जिसकी गूंज दुनिया भर में उठी. भारत लगातार अन्तराष्ट्रीय स्तर पर न केवल बदनाम ही हो रहा है, अपितु दुत्कारा भी जा रहा है. कोरोना दौर के बाद पहली बार अमेरिका गये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, जो भारतीय अमेरिकी भी है और जिसके खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव में प्रचार भी किया, ने मूंह पर दुत्कार लगा दी.
भारत और भारतीयों की यह बदनामी उन मुस्लिम देशों से भी आने लगी जहां-जहां भारतीयों ने हिन्दू कट्टरतावाद का झंडा बुलंद कर रहे हैं. हालत की नजाकत इसी बात से समझी जा सकती है कि आरएसएस के इन हिन्दुत्ववादी कट्टरवादियों को विदेशों से भगाया जा रहा है. अगर हालत नहीं बदली गई और देश को आरएसएस के गुंडों-व्यभिचारियों से मुक्त नहीं कराया गया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अछूत बना दिया जाये और दुनिया भर से निकाल-निकाल कर भगाये जाये.