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अमरीकी कृषि, खाद्य व पोल्ट्री उत्पादों के लिए खुला भारतीय बाजार

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भागीरथ चौधरी
संस्थापक निदेशक, दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र और नाबार्ड कृषि निर्यात सुविधा केंद्र
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भारत ने सामरिक और कूटनीतिक दक्षता के साथ ‘डिफेंस से डिजिटल’ तक दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सर्वसम्मति बनाने में कामयाबी हासिल की। जी-20 शिखर सम्मेलन में जारी ‘जी-20 नई दिल्ली घोषणा पत्र’ में 10 प्रमुख क्षेत्रों पर जोर दिया गया है। इनमें मुख्यत: सतत और समावेशी विकास, हरित विकास समझौता, 21वीं सदी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफॉर्मेशन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, क्रिप्टो-करेंसी, सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग शामिल है। घोषणा पत्र में भुखमरी और कुपोषण मिटाने पर ‘जी-20 डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांत 2023’ के अनुरूप प्रतिबद्धता भी दोहराई गई। जैसे कि अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल किया गया है, उम्मीद की जा सकती है कि समूह में विकसित और विकासशील देशों के बीच संतुलन बनेगा और भविष्य में विकासशील देशों की अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में अहम भागीदारी सुनिश्चित होगी।

बदलते परिवेश में भारत व अन्य विकासशील देशों को अपने सामरिक और कूटनीतिक एजेंडे पर ध्यान देना होगा। इसके लिए आपसी सामंजस्य बनाने और अर्थव्यवस्था में समाज के निचले तबके के लोगों को मुख्यधारा में लाना होगा, जिससे आमजन को लाभ मिल सके। हालांकि, नई दिल्ली जी-20 घोषणा पत्र में भारत अपनी साख बढ़ाने में कामयाब रहा पर अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने जी-20 के संदर्भ में भारत के कृषि और खाद्य बाजार में सेंध लगाने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है। चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और आधे से ज्यादा जनसंख्या खेती व संबंधित व्यवसायों पर निर्भर है। 1991 की उदारीकरण की नीति से कृषि और खाद्य व्यापार में काफी वृद्धि हुई है, तो 2022-23 में भारत से कृषि और खाद्य उत्पाद निर्यात रेकॉर्ड बढ़ोतरी के साथ 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया, जो अनुमानित 2,000 बिलियन अमरीकी डॉलर के वैश्विक कृषि व्यापार का 2.5त्न है। संभावनाएं बहुत हैं पर भारत को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में किसान हित, कृषि तकनीक और व्यापार, और खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।

जब भारत जी-20 सम्मेलन की तैयारी कर रहा था तब अमरीकी राजनेताओं और कूटनीति विशेषज्ञों ने अमरीकी कृषि, खाद्य और पॉल्ट्री उत्पादों के निर्यात के लिए भारत को अपना बाजार खोलने पर सहमत करने की कूटनीति बनाई। अमरीका ने भारत के कृषि, वाणिज्य और व्यापार मंत्रालयों के बीच संयुक्त राज्य अमरीका भारत व्यापार नीति फोरम (भारत-यूएसए टीपीएफ) की 13वीं मंत्री-स्तरीय बैठक में 11 जनवरी, 2023 को इसकी रूपरेखा तैयार की। जून 2023 में, संयुक्त राज्य अमरीका और भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कृषि से संबंधित छह लंबित विवादों को समाप्त करने पर सहमत हुए। इसे प्रधानमंत्री मोदी की अमरीका की राजकीय यात्रा के दौरान मूर्त रूप दिया गया। इसके चलते भारत, अमरीका से आयातित चना दाल, बादाम, अखरोट, सेब, बोरिक एसिड और डायग्नोस्टिक किट सहित कुछ अमरीकी उत्पादों पर शुल्क कम करने पर सहमत हुआ। भारत-यूएसए टीपीएफ के अंतर्गत ‘2 बनाम 2 कृषि बाजार खोलने’ की व्यवस्था अनुरूप अमरीका ने भारतीय आम, अनार और अनार के दानों का बाजार इस शर्त पर खोला कि भारत अमरीकी चेरी व अल्फाल्फा घास के लिए अपना बाजार खोले।

जी-20 शिखर सम्मेलन में ही अमरीकी राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद अमरीका ने भारत के साथ पोल्ट्री विवाद के समाधान की घोषणा की। इस समझौते के तहत भारत ने एक ओर अमरीका से पोल्ट्री उत्पादों के आयात की अनुमति दी तो दूसरी ओर भारत अमरीकी उत्पादों जैसे टर्की व डक (फ्रोजन), और ब्लूबेरी और क्रैनबेरी (फ्रेश, फ्रोजन, ड्राई व प्रसंस्कृत) के आयात पर शुल्क कम करने के लिए सहमत हो गया है। इन समझौतों से अमरीका भारत के साथ कृषि, खाद्य और पोल्ट्री उत्पादों पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में लम्बे समय से चल रहे सारे विवादों को सुलझाने में कामयाब हो गया है। अब अमरीकी कृषि व्यापारी रियायती आयात शुल्क के तहत अपने कृषि उत्पाद भारत के बाजार में निर्यात कर सकेंगे। कृषि से जुड़े विवादों के निवारण से अमरीका अपने उत्पादों के लिए भारत जैसे महत्त्वपूर्ण बाजार को खोलने, कृषि उत्पादों के आयात के लिए राह आसान करने और अमरीका-भारत कृषि व्यापार के अंतर को कम करने में सफल होगा जो कि अमरीकी किसानों, व्यापारियों और व्यापार के पक्ष में है। पिछले कुछ वर्षों से भारत और अमरीका के बीच वस्तुओं और सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ रहा है और 2021 में यह लगभग 140 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। पर कृषि और खाद्य पदार्थों में द्विपक्षीय व्यापार भारत के पक्ष में रहा है। इसके तहत भारत ने 2021-22 में 1,802 मिलियन डॉलर आयात के बदले 5,930 मिलियन डॉलर का निर्यात किया। अमरीका इसे किसी भी हालत में संतुलित करना चाहता है, जो इन समझौतों से आने वाले वर्षों में संभव होगा।
अमरीका की कूटनीति और कृषि व्यापार चतुराई से हमें बहुत कुछ सीखना है। उल्लेखनीय है कि अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मार्च 2019 में भारत को संयुक्त राज्य अमरीका सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) में तकरीबन 6 बिलियन डॉलर के लाभों से वंचित कर दिया था। अब जब भारत ने अमरीका के कृषि और खाद्य उत्पादों के लिए व्यापार बाधाओं को दूर कर दिया है तो यह अमरीका का दायित्व है कि वह भारत को पुन: जीएसपी की वरीयता सूची में शामिल करे। तभी अमरीका-भारत संबंध दोनों देशों के लोगों के हित में होंगे।

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