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भारतीय सिर्फ विदेश में Indian?

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शशिकांत गुप्ते

स्वायत्त संस्थाओं, विधान सभाओं,और लोकसभा के चुनाव की घोषणा के साथ ही सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियां सक्रिय हो जाती है। इन एंजेसियों के साथ एक गैर कानूनी खेल कहलाने वाला बाजार भी सक्रिय हो जाता है। इस बाजार में जिस किसी राजनैतिक दल और उम्मीदवार का भाव जितना काम होता है, वही चुनाव में जीतने की योग्यता रखता है।
सर्वेक्षण एजेंसियों के सर्वेक्षण समाचार माध्यमों पढ़,सुन और देख कर एक अहम सवाल जहन में उपस्थित होता है कि, क्या किसी भी चुनाव में कभी कोई भारतीय मतदाता मत देता है या नहीं?
कारण अधिकांश सर्वेक्षण जाति गत आधार पर होते हैं। किस क्षेत्र में कौन जाति या अगड़े और पिछड़े समाज से कौन उम्मीदवार है। भारतीय मतदाता तो कहीं नजर ही नहीं आता है।
इसका एक महत्वपूर्ण कारण है, भारतीय मूल का हरएक व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ विदेश में ही भारतीय होता है।
नब्बे के दशक में समाजवादी विचारक,चिंतक, स्व. किशन पटनायक ने एक समीकरण कहा था। भ्रष्ट सरकार,गैर जम्मेदाराना विपक्ष,और उदासीन जनता
सन दो हजार चौदह के बाद जो सियासी परिवर्तन हुआ है,इस परिवर्तन के बाद समीकरण,इस तरह हो गया है। विपक्ष में भ्रष्ट्राचार से कोई कितना भी सराबोर हो,धनबली हो,और बाहुबली हो,सब को प्रवेश मिलेगा,और पूर्व में जो भी दाग हो वे अभी बेदाग हो जाएंगे।
बेरोजगारी,महंगाई यह मुद्दे,तो सिर्फ विपक्ष को सत्ता पर महज आरोप लगाने के लिए ही रह गए हैं।
क्रिकेट मैच के दर्शकों की तादात और मैच को देखने के लिए, महंगे टिकिट को क्रय करने की क्षमता,धार्मिक आयोजनों में होने वाले व्यय,और राजनैतिक कार्यों में होने वाले व्यय पर,सांस्कृतिक कार्यक्रमों की चकाचौंध,और साहित्य के क्षेत्र में कवि सम्मेलनों में कवियों के दिया जाने वाला मानधन को ज्ञात करने के बाद महंगाई पर कोई कैसे सवाल उठाएगा। करोड़ों रूपयों का व्यापार करने वाली फिल्मों को कैसे भुलाया जाए।
बेरोजगार पर सवाल उठने के पूर्व ,उपर्युक्त धार्मिक राजनैतिक,सामाजिक,साहित्यिकऔर सांस्कृतिक आयोजनो में सक्रिय कार्यकर्ताओं की तादाद पर विचार करना अनिवार्य है।
चुनाव कोई भी दल जीते सरकार बन भी जाए लेकिन सत्ता पर वही विराजमान होंगे जो,विजयी उम्मीदवारों को पर्यटन स्थलों पर मौज मजा करवाने में सक्षम हैं।
इसलिए उपयुक्त मुद्दों पर सवाल उठना ही बेमानी हो गया है।
फिर भी व्यंग्यकर तो आदत से लाचार नहीं अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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