अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

मोदी सरकार के लिए भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपराएं बेकार की चीज

Share

जगदीश्वर चतुर्वेदी

जो लोग फेसबुक से लेकर मोदी की रैलियों तक मोदी-मोदी का नारा लगाते रहते हैं, वे सोचें कि मोदी में नारे के अलावा क्या है ? वह जब बोलता है तो स्कूली बच्चों की तरह बोलता है, कपड़े पहनता है फैशन डिजायनरों के मॉडल की तरह, दावे करता है तो भोंदुओं की तरह, इतिहास पर बोलता है तो इतिहासअज्ञानी की तरह.

मोदी में अभी तक पीएम के सामान्य लक्षणों, संस्कारों, आदतों और भाषण की भाषा का बोध पैदा नहीं हुआ है. मसलन् पीएम को दिल्ली मेट्रो में सैर करने की क्या जरुरत थी ? वे क्या मेट्रो से कहीं रैली में जा रहे थे ? मेट्रो सफर करने का साधन है, सैर-सपाटे का नहीं.

मोदी सरकार के लिए भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपराएं बेकार की चीज है. असल है देश की महानता का नकली नशा. उसके लिए शांति, सद्भाव महत्वपूर्ण नहीं है, उसके लिए तो विकास महत्वपूर्ण है. वह मानती है शांति खोकर, सामाजिक तानेबाने को नष्ट करके भी विकास को पैदा किया जाय. जाहिर है इससे अशांति फैलेगी और यही चीज मोदी को अशांति का नायक बनाती है.

मोदी की समझ है स्वतंत्रता महत्वपूर्ण नहीं है, विकास महत्वपूर्ण है. स्वतंत्रता और उससे जुड़े सभी पैरामीटरों को मोदी सरकार एक सिरे से ठुकरा रही है और यही वह बिंदु है, जहां से उसके अंदर मौजूद फासिज्म की पोल खुलती है.

फासिस्ट विचारकों की तरह संघियों का मानना है कि नागरिकों को, अपनी आत्मा को स्वतंत्रता और नागरिकचेतना के हवाले नहीं करना चाहिए, बल्कि कुटुम्ब, राज्य और ईश्वर के हवाले कर देना चाहिए. संघी लोग नागरिकचेतना और लोकतंत्र की शक्ति में विश्वास नहीं करते बल्कि थोथी नैतिकता और लाठी की ताकत में विश्वास करते हैं.

पीएम मोदी की अधिनायकवादी खूबी है- तर्क-वितर्क नहीं आज्ञा पालन करो. इस मनोदशा के कारण समूचे मंत्रीमंडल और सांसदों को भेड़-बकरी की तरह आज्ञापालन करने की दिशा में ठेल दिया गया है. क्रमशः मोदीभक्तों और संघियों में यह भावना पैदा कर दी गयी है कि मोदी जो कहता है सही कहता है, आंख बंद करके मानो. तर्क-वितर्क मत करो.

लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं विकास में बाधक है, तेजगति से काम करने में बाधक हैं, अतः उनको मत मानो. सोचो मत काम करो. धर्मनिरपेक्ष दलों-व्यक्तियों की अनदेखी करो, उन पर हो रहे हमलों की अनदेखी करो. राफेल डील से लेकर लैंड बिल तक मोदी का यह नजरिया साफतौर पर दिखाई दे रहा है.

हिन्दुत्ववादी तानाशाही के 15 लक्षण –

  1. पूर्व शासकों को कलंकित करो,
  2. स्वाधीनता आंदोलन की विरासत को करप्ट बनाओ,
  3. हमेशा अतिरंजित बोलो,
  4. विज्ञान की बजाय पोंगापंथियों के ज्ञान को प्रतिष्ठित करो.
  5. भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों को संरक्षण दो,
  6. सार्वजनिकतंत्र का तेजी से निजीकरण करो,
  7. विपक्ष को नेस्तनाबूद करो,
  8. विपक्ष के बारे में का हमेशा बाजार गर्म रखो,
  9. अल्पसंख्यकों पर वैचारिक-राजनीतिक-आर्थिक और सांस्कृतिक हमले तेज करो,
  10. मतदान को मखौल बनाओ.
  11. युवाओं को उन्मादी नारों में मशगूल रखो,
  12. खबरों और सूचनाओं को आरोपों-प्रत्यारोपों के जरिए अपदस्थ करो,
  13. भ्रमित करने के लिए रंग-बिरंगी भीड़ जमा रखो, लेकिन मूल लक्ष्य सामने रखो. बार-बार कहो हिन्दुत्व महान है, जो इसका विरोध करे उस पर कानूनी-राजनीतिक-सामाजिक और नेट हमले तेज करो,
  14. धनवानों से चंदे वसूलो, व्यापारियों को मुनाफाखोरी की खुली छूट दो.
  15. पालतू न्यायपालिका का निर्माण करो.
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें