*ग्रीन बांड के तहत पैसा आने के बावजूद नहीं शुरू करवा पाए काम – चिंटू चौकसे*
इंदौर । इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव की नाकामी के कारण इंदौर नगर निगम को अपनी जेब से 54 करोड रुपए चुकाना पड़े हैं । ग्रीन बॉन्ड के तहत पैसा प्राप्त हो जाने के बावजूद जलुद में सौर ऊर्जा का संयंत्र लगाने का काम 1 साल में भी शुरू नहीं हो सका है ।
चिंटू चौकसे ने आज यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पिछले साल फरवरी के महीने में देश में सबसे पहले इंदौर नगर निगम के द्वारा ग्रीन बांड जारी किया गया था । इस ग्रीन बॉन्ड के तहत जलूद में नर्मदा का पानी इंदौर लाने के काम के लिए 60 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा का संयंत्र लगाने के लिए पैसा जुटाया गया था । इस ग्रीन बॉन्ड के तहत इंदौर नगर निगम को 300 करोड रुपए की राशि प्राप्त हुई थी । यह राशि 1 साल बीत जाने के बावजूद अभी तक ऐसी की ऐसी ही पड़ी हुई है । इस अवधि में नगर निगम के द्वारा दो बार इस काम के लिए टेंडर जारी कर दिए गए । पहली बार के टेंडर को निरस्त किया जा चुका है दूसरी बार का टेंडर अभी लंबित पड़ा हुआ है । इस टेंडर पर फैसला कमीशन के चक्कर में नहीं लिया जा रहा है ।
उन्होंने कहा कि नगर निगम परिषद की पिछली बैठक में इस टेन्डर को मंजूरी के लिए रखा गया था लेकिन सत्ता पक्ष ने ही इस टेंडर के प्रस्ताव को रुकवा दिया । दरअसल टेंडर भरने वाले ठेकेदार के साथ पैसों का हिसाब साधने के लिए टेंडर को रुकवाया गया । अभी यह निश्चित नहीं है कि कब टेंडर मंजूर होगा, कब वर्क आर्डर जारी होगा और कब सौर ऊर्जा के इस संयंत्र का काम शुरू होगा ? जब काम शुरू होगा उसके बाद में इस काम को पूरा होने में 3 साल का वक्त लगेगा ।
चौकसे ने कहा कि जबसे नगर निगम के द्वारा ग्रीन बॉन्ड का पैसा लिया गया है तबसे हर महीने नगर निगम को इस पैसे के ब्याज या दूसरे शब्दों में कहें तो पैसा लगाने वालों के लाभांश के रूप में 4 .5 करोड रुपए प्रति माह चुकाना पड़ रहा है । इस तरह एक साल में इस पैसे का कोई उपयोग किए बगैर नगर निगम को महापौर पुष्यमित्र भार्गव की लापरवाही के कारण 54 करोड रुपए चुकाना पड़ गए हैं । अभी यह सिलसिला निरंतर है । उन्होंने कहा कि ग्रीन बॉन्ड के तहत राशि जुटाने से पहले नगर निगम को टेंडर जारी कर वेंडर फाइनल कर लेना चाहिए था । फिर राशि जुटाकर तत्काल काम शुरू करना चाहिए था । नगर निगम के द्वारा 244 करोड रुपए की राशि प्राप्त करने के लिए ग्रीन ब्रांड जारी किया गया था लेकिन इंदौर के प्रति लोगों के विश्वास का ही यह परिणाम है कि इस ग्रीन बॉन्ड में 300 करोड रुपए की राशि पहले ही दिन जमा हो गई। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला इंदौर नगर निगम की परिषद के पदाधिकारी के भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया है ।