मध्यप्रदेश की विधानसभा सीट बीना से विधायक निर्मला सप्रे ने कांग्रेस की सदस्यता त्याग कर भाजपा का दामन थाम लिया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण भी कर ली थी।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने मध्यप्रदेश विधानसभा के सभापति के समक्ष निर्मला सप्रे की विधायकी को निरस्त करने के लिए जो याचिका प्रस्तुत की थी, उसका निराकरण सभापति नरेंद्रसिंह तोमर द्वारा अब तक नहीं किया है, जिससे व्यथित होकर उमंग सिंघार ने हाईकोर्ट की शरण लेते हुए याचिका दायर की गई है और यह मांग की है कि निर्मला सप्रे की विधानसभा सदस्यता रद्द की जाए।
मुक्त यशिका की सुनवाई आज माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के समक्ष थी। सुनवाई के पश्चात माननीय न्यायालय द्वारा सभापति मध्य प्रदेश विधानसभा, नरेंद्र सिंह तोमर तथा विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी की है। उमंग सिंगार की तरफ से पैरवी अधिवक्ता श्री विभोर खंडेलवाल तथा जयेश गुरनानी द्वारा की गयी।
राज्य की ओर से पैरवी अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री आनंद सोनी द्वारा की गई जिन्होंने यह बताया कि उक्त मामले में जबलपुर से महाधिवक्ता पैरवी करने आएंगे इसीलिए याचिका की अगली सुनवाई 19 दिसंबर 2024 को की जावे।
उक्त याचिका में सभापति नरेंद्र सिंह तोमर को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया गया है तथा यह दलील दी गई है कि वह भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं इसीलिए वहां पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर नेता प्रतिपक्ष द्वारा प्रस्तुत की गई याचिका का निराकरण नहीं कर रहे हैं इसीलिए याचिका करता को माननीय न्यायालय की शरण लेनी पड़ी है।
भारतीय संविधान की अनुसूची 10 के पैराग्राफ 2(1)(क) के अनुसार यदि कोई विधायक दल बदल करता है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता निरस्त की जानी चाहिए। यदि दल-बदल के बाद ऐसे व्यक्ति को विधायक रहना हो तो उसे फिर से चुनाव लड़ना पड़ता है।हाल ही में शिवपुरी जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पूर्व नेता रामनिवास रावत ने भी भाजपा का दामन थाम कर पुनः चुनाव लड़ा और हार गए, इसीलिए निर्मला सप्रे की चिंताएँ बढ़ी हुई हैं।
Add comment