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इंदौर नगर निगम का महाघोटाला शहर के लिए कलंक, मिलकर आवाज़ उठाए शहर 

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स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश की महत्वपूर्ण चर्चा में पहुंचे सभी दलों एवं संगठनों की आम राय बनी

नगर निगम के महाघोटाले के दोषियों को मिले कड़ी सज़ा, शहर का पैसा वसूला जाए 

इंदौर। नगर निगम का फर्जी बिलों के आधार पर करोड़ों के भुगतान लेने का महाघोटाला शहर के ऊपर कलंक है। इसके खिलाफ पूरे शहर को, सभी संस्थाओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर आवाज़ उठानी चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस घोटाले की जांच सिर्फ खानापूर्ति होकर न रह जाए बल्कि दोषियों को कड़ी सजा भी मिले और उनके द्वारा लूटा गया जनता का धन भी फिर वसूला जाए।

यह वह सामान्य राय है जो स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित चर्चा – ‘ घोटाले में भी नंबर वन ‘ में विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों एवं विभिन्न मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा में बनी। इस चर्चा में भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष एवं विधायक श्री गोपीकृष्ण नेमा, इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष श्री चिंटू चौकसे, मप्र कांग्रेस कमेटी के सचिव श्री राकेश सिंह यादव एवं आप पार्टी के डॉ. पीयूष जोशी ने भाग लिया। वर्षों से नगर निगम बीट कवर रहे वरिष्ठ पत्रकारों श्री राजेश ज्वेल, सुश्री नीता सिसौदिया, श्री अभिषेक चेंडके, डॉ. जितेंद्र जाखेटिया एवं श्री उत्तम राठौर ने उनसे सवाल पूछकर घोटाले के आयाम उजागर किए।

नेता प्रतिपक्ष श्री चिंटू चौकसे ने कहा कि वे वर्षों से नाला टैपिंग जैसे कार्यों को लेकर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं और आरटीआई में जानकारी मांग चुके हैं लेकिन आजतक कोई जानकारी नगर निगम द्वारा उपलब्ध नहीं करवाई गई। क्षेत्र क्रमांक दो में एक अदृश्य संस्कार भवन बनाया गया और लाखों का भुगतान ले लिया गया। इतना बड़ा घोटाला बिना बड़े नेताओं की मिलीभगत के संभव नहीं है, ये छोटे कर्मचारियों के बस की बात नहीं है। इसके तार भोपाल से भी जुड़े हैं।श्री चौकसे ने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि इस घोटाले को सामने लाने वाली तत्कालीन आयुक्त सुश्री हर्षिका सिंह का स्थानांतरण किसके इशारे पर क्यों कराया गया ? वर्तमान आयुक्त श्री शिवम वर्मा ने अभय वर्मा में कौन सी खूबी देखी जो इतने कारनामें सामने आने के बाद भी उसे विद्युत विभाग का प्रभार दिया ? उन्होंने मांग की कि वर्तमान आयुक्त को हटाया जाए तथा महापौर यह बताएं कि क्या अभय राठौर की नियुक्ति उनसे पूछकर की गई थी ? श्री चौकसे ने चल रही जांच से कोई उम्मीद नहीं जताते हुए कहा कि इस समिति के सदस्यों पर ही भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। इसमें सिर्फ छोटे लोगों पर छोटी छोटी कार्यवाई की जायेगी। 

पूर्व नगर अध्यक्ष श्री गोपीकृष्ण नेमा ने कहा कि इस घोटाले के संदर्भ में शहर पहले है, पार्टी बाद में। इस घोटाले का आकर आज तक 140 करोड़ रुपयों का सामने आ चुका है और मेरा अनुमान है कि वह घोटाला एक हजार करोड़ रुपयों से ऊपर का है। यह अकल्पनीय घोटाला है और सारा शहर मिलकर इसकी चिंता करे कि कहां गड़बड़ हो गई, जिससे यह घोटाला हुआ। यह शहर का पैसा शहर में लगता तो कई सड़कें, पुल बन जाते, पेयजल शुद्ध मिलने लगता। सारा शहर और संस्थाएं दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह संकल्प ले कि मिलकर ऐसा दबाव बनाएंगे जिससे भविष्य में ऐसा घोटाला न हो और इस घोटाले में लूटा गया शहर का पैसा वापस वसूला जा सके। अभी तक सामने आए आरोपियों सिर्फ 15 – 20 करोड़ की संपत्ति के सुराग लगे हैं, शेष धन कहां गया इसकी जांच जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूर्व में ऐसा होता था कि खरीद ऊंचे दामों में की जाती थी या टेंडर में सिस्टम का हिस्सा होता था। लेकिन, यहां तो पूरी तरह फर्जी फाइलें बनकर बिना काम हुए ट्रेज़री से पेमेंट भी हो गया। आम तौर पर किसी बड़े काम की फाइल सौ पेज की बनती है जिसमें चरण बद्ध कार्य के अनुसार सभी जिम्मेदारों के बार बार दस्तखत और टिप्पणियां होती हैं, लेकिन इस घोटाले में सभी जिम्मेदार अपने दस्तखत होने से इंकार कर रहे हैं और जाली हस्ताक्षर की बात कर रहे हैं। उन्होंने व्यंग्य किया कि वे उस हस्ताक्षर विशेषज्ञ कलाकार का सम्मान करवाना चाहेंगे जिसने इतने लोगों के एक साथ दस्तखत इतने लंबे समय तक बनाए। उन्होंने जांच कमेटी के नतीजों से नाउम्मीदी जताते हुए कहा कि कमेटी की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि तीन सदस्यीय जांच कमेटी के सिर्फ दो सदस्य ही जांच करने आए हैं। पुलिस जांच का आलम यह है कि मात्र पंद्रह दिन में एक आरोपी को जमानत भी मिल गई। यदि शहरवासी ना संगठित हुए तो सभी आरोपी शीघ्र ही  छूट जायेंगे। उन्होंने आव्हान किया किया कि शहरवासी शहर के लिए खड़े हों। 

आप पार्टी के डॉ. पीयूष जोशी ने कहा कि ऐसे ही घोटालों के कारण भारत अमीर लोगों वाला गरीब देश बना हुआ है। जनता की याददाश्त भी बहुत कमज़ोर है, हर नए घोटाले के साथ हम पुराना भूल जाते हैं। उन्होंने पूछा कि पिछले बीस वर्षों से लगातार भाजपा की परिषद के बाद ऐसे घोटालों की सौगात शहर को क्यों मिल रही है ? शहर के विकास के लिए फौजियों की वर्दी से काम नहीं चलेगा बल्कि फौजियों वाला जज़्बा भी लाना होगा। उन्होंने स्टेट प्रेस क्लब के आयोजन की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन इस बात के प्रमाण हैं कि शहर सोया हुआ नहीं है। जनता ने भ्रष्टचार को शिष्टाचार मान लिया है यह दुख की बात है। हमें भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानी होगी वरना आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। 

कांग्रेस नेता श्री राकेश सिंह यादव ने दावा किया कि इतना बड़ा घोटाला मात्र किसी अधिकारी या कर्मचारी के बस की बात नहीं है। हर तरह के चेक को, पासवर्डों आदि को बदलते हुए घोटाला करना बिना बड़े नेताओं की शह के संभव नहीं है। उन्होंने यह दावा भी किया कि ऐसे ही घोटाले प्रदेश के अन्य शहरों की पालिकाओं में भी हो रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि कई दशकों से अधिकारी शहर में जमे हुए हैं। शहर के जनप्रतिनिधि इसके विरुद्ध आवाज़ भी नहीं उठाते जिससे लगता है कि ये अधिकारी उनसे ज़्यादा प्रभावशाली हैं। आज अधिकारियों के पास पच्चीसों मकान – दुकानें हैं और सारे नेता चुप हैं क्योंकि ये अधिकारी नेताओं के वित्त पोषक हैं। शहर के राजनीतिक आयोजनों, भोजन भंडारे के आयोजनों की बड़ी राशि इन्हीं फर्जी फाइलों से उठाया जा रहा है। अब तक 2500 करोड़ रुपए तो सिर्फ खान नाले को नदी बनाने के नाम पर डकारे जा चुके हैं और यह क्रम अभी भी जारी है, जबकि उसे पुनः नदी बनाना संभव ही नहीं है।

पत्रकार श्री राजेश ज्वेल ने जानकारी देते हुए कहा कि ये सभी फर्जी फाइलें दो करोड़ से कम की हैं और मात्र 19 पेजों की हैं, जिनका कोई आवक जावक नहीं है। इस घोटाले में ठेकेदार फर्मों के नाम भुगतान हुआ लेकिन उन्हें मात्र दस से 15 % कमीशन मिला जबकि 50% अभय राठौर और बाकी ऑडिट –  लेखा शाखा आदि को बंटा। उन्होंने कहा कि कोई महापौर या आयुक्त इसमें शामिल नहीं है क्योंकि उन्हें वैसे ही इतना मिल जाता है कि उन्हें इस तरह के फर्जीवाड़े की ज़रूरत नहीं। सारा पैसा नकद बंटने से कोर्ट में इस फर्जीवाड़े के सिद्ध होने या रिकवरी की कोई उम्मीद नहीं। उन्होंने अभय राठौर को विद्युत विभाग का प्रभारी बनाने को महापौर की बड़ी भूल बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि नगर निगम के लूपहोल समझने वालों को घोटाला करने के लिए किसी पद या विभाग में होने की ज़रूरत नहीं। असलम खान और अभय राठौर दोनों पर आर्थिक अपराध की जांच कुछ वर्ष पूर्व बैठी थी लेकिन वे बच निकले। उन्होंने दावा किया कि निगम के फर्जीवाड़े में पक्ष, विपक्ष, पत्रकार, अधिकारी आदि सभी की भागीदारी है। श्री ज्वेल के एक प्रश्न के उत्तर में श्री चौकसे ने कहा कि अभय राठौर से ऊपर वीरभद्र शर्मा गुनाहगार है, जिन्हें जनरल पेमेंट किया गया था। वीरभद्र शर्मा एवं सुनील गुप्ता को भी गिरफ़्तार किया जाना चाहिए।  वहीं पूर्व महापौर श्री कृष्णमुरारी मोघे एवं श्रीमती मालिनी गौड़ का इस घोटाले से कोई सम्बंध नहीं है। 

पत्रकार श्री अभिषेक चेंडके ने पूछा कि क्या इस मुद्दे पर विशेष सम्मेलन की माँग करेगी ? इस पर श्री चौकसे ने कहा शत प्रतिशत और आचार संहिता समाप्ति के बाद कांग्रेस इस मुद्दे पर बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगी। वरिष्ठ पत्रकार सुश्री नीता सिसौदिया ने दुःख व्यक्त किया कि शहर के जनप्रतिनिधियों में आम तौर पर इस घोटाले को लेकर कोई चिंता, पीड़ा या जागरूकता नहीं दिखाई देती। इस मुद्दे पर कई रिपोर्ट्स लिखने के बाद भी आज तक पक्ष या विपक्ष के किसी जन प्रतिनिधि ने इस पर उनसे सम्पर्क कर अपनी बात कहने की कोशिश नहीं की। श्री राकेश यादव ने उत्तर में जोड़ा कि पिछले दिनों सरकारी पोर्टल कि हैक होना और फिर उनका डेटा गायब होना इसी घोटाले का भाग है तथा ऐसा करके प्रदेश के कई शहरों में चल रहे ऐसे घोटालों को दबाने की कोशिश की गई है। पत्रकार श्री उत्तम राठौर ने कुछ वर्ष पूर्व निगम की आर्थिक अनियमितता को उठाने वाले एमआईसी सदस्य श्री दिलीप शर्मा को तत्कालीन नगर अध्यक्ष के रूप में श्री गोपीकृष्ण नीमा द्वारा अनुशासनहीनता का नोटिस दिए जाने पर सवाल किया। श्री नीमा ने पूरे मामले को दो भाजपा पार्षदों की अंदरूनी  खींचतान से सम्बंधित बताते हुए कहा कि उस सारे मुद्दे का भ्रष्टाचार से कोई सम्बंध नहीं है। ये दो नेताओं के आपस में एकदूसरे को नीचा दिखाने का मामला था तथा लिखी गई चिट्ठी संगठन के पास आने से पहले मीडिया में प्रकाशित हो गई थी, इसलिए अनुशासनहीनता का नोटिस दिया गया था। डॉ. जितेंद्र जाखेटिया ने सभी वक्ताओं से सवाल किया कि घोटाले पर कार्यवाही हेतु बनी जाँच कमेटी से कितनी उम्मीदें हैं। इस पर लगभग सभी वक्ताओं ने एकमत से कहा कि नगण्य। जाँच कमेटी की जाँच में अभय राठौर के अलावा कोई नहीं फँसेगा और उस पर भी इतने ढीले-ढाले ढंग से आरोप लगाए जाएँगे कि वह भी शीघ्र ही छूट जाएगा। बेहद संजीदा वातावरण में हुई ऊर्जा से भरी इस सार्थक चर्चा में शहर में सभी मतभेदों से ऊपर उठकर शहर के हित में आवाज़ उठाने की इच्छाशक्ति और उम्मीद की किरण नज़र आई।  

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार खारीवाल, श्री नवनीत शुक्ला, श्री कमल कस्तूरी,कार्टूनिस्ट श्री इस्माईल लहरी, सुश्री सोनाली यादव, श्री विजय गुंजाल ने किया। कार्यक्रम का  संचालन पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी श्री आलोक बाजपेयी ने किया। आभार प्रदर्शन स्टेट प्रेस क्लब के वरिष्ठ महासचिव श्री नवनीत शुक्ला ने किया। शहर के हित में इस महत्वपूर्ण चर्चा में शहर की अनेक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए। मप्र बैंक अधिकारी संघ के श्री आलोक खरे, सद्भावना मंच के  मो. शफ़ी शेख़, एमपी मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. माधव हसानी, सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुनील अजमेरा, भाजपा नेता श्री बालकृष्ण अरोरा ‘लालू’, कांग्रेस नेता श्री सादिक़ मंसूरी, कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय, राजनीतिक विश्लेषक गिरीश मालवीय, अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन के नगर अध्यक्ष श्री सुदेश गुप्ता प्रमुख हैं।

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