इंदौर मेें गर्मी शुरू होते ही जलसंकट गहराने लगा है। नगर निगम को किराए पर टैंकर लेने की नौबत आ गई। 180 पानी के टैंकरों पर अब तीन माह में करोड़ों रुपये खर्च होंगे, जबकि इंदौर में पानी भरपूर रहे, इसके लिए 800 करोड़ रुपये नर्मदा के तीसरे चरण पर खर्च किए जा चुके है, लेकिन शहर में तेजी से हो रही बसाहट के कारण पेयजल की समस्या कम नहीं हो रही है।नर्मदा का तीसरा चरण आने के बाद शहर में 30 से ज्यादा नई टंकियां बनाई गई, लेकिन नगर निगम सीमा बढ़ने के बाद 29 नए गांव शहर मेें जुड़ गए। अभी नगर निगम सीमा के 25 प्रतिशत हिस्से में नर्मदा लाइन नहीं है। इनमें बायपास, राऊ, गांधी नगर की काॅलोनियां शामिल है।
अभी भी शहर के कई इलाकों में नर्मदा लाइन नहीं है और वे काॅलोनियों बोरिंगों पर निर्भर है। इस माह जलूद में भी पानी लिफ्ट करने वाले पंप बार-बार बंद होने के कारण लोगों को पानी की परेशानी हो रही है। शनिवार को भी नर्मदा नदी के पास 1400 एमएम की लाइन फूटने के कारण पहले व दूसरे चरण के पंप बंद रहे और शहर के बड़े हिस्से में जलसंकट रहा।
वार्डों में बढ़ी पानी के टैंकरों की डिमांड
नर्मदा के तीनों चरणों से 500 एमएलडी पानी इंदौर आता है। इसके अलावा 30 एमएलडी पानी स्थानीय तालाबों से शहर को मिलता है। शहर में दस हजार से ज्यादा सार्वजनिक बोरिंग है। अफसरों का कहना है कि गर्मी में पानी की डिमांड बढ़ जाती है और बोरिंगों में पानी का दबाव कम हो जाता है, इसलिए टैंकरों से जल वितरण की मांग बढ़ जाती हैै। अभी नगर निगम के 100 टैंकर चल रहे है और 180 टैंकर किराए पर अप्रैल माह से लिए गए है। यह टैंकर जून माह तक इंदौर में चलेंगे। हर वार्ड में दो से तीन टैंकर दिए गए है।
25 प्रतिशत क्षेत्रों में नर्मदा लाइन नहीं
नर्मदा का तीसरा चरण आने के बाद शहर में 30 से ज्यादा नई टंकियां बनाई गई, लेकिन नगर निगम सीमा बढ़ने के बाद 29 नए गांव शहर मेें जुड़ गए। अभी नगर निगम सीमा के 25 प्रतिशत हिस्से में नर्मदा लाइन नहीं है। इनमें बायपास, राऊ, गांधी नगर, एरोड्रम क्षेत्र की काॅलोनियां है।अब नगर निगम नर्मदा के चौथे चरण की तैयारी कर रहा है। इस प्रोजेक्ट पर ही डेढ़ हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।