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इंदौर का एमवाय अस्पताल ब्लड कैंसर का करेगा अत्याधुनिक इम्यूनो थैरेपी से इलाज

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  • 20 नवम्बर को पहले मरीज को मिलेगा सीएआर टी सेल का लाभ, देश के निजी अस्पतालों में अभी तक सिर्फ 150 मरीजों का ही हुआ है इस तकनीक से इलाज, अमेरिका में खर्च होते हैं 4 करोड़ से ज्यादा

इंदौर । अमेरिका में कैंसर के जिस इलाज का खर्चा 4 करोड़ रुपए तक आता है वह अत्याधुनिक इलाज अब इंदौर के एमवाय अस्पताल में भी किया जा रहा है, जिस पर खर्च का अनुमान 30 लाख रुपए है, मगर यह राशि भी शासन स्तर या दानदाताओं के जरिए गरीब मरीज को प्राप्त हो जाती है। इंदौर का एमवाय 20 नवम्बर को एक नया इतिहास रचने जा रहा है और वह देश का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बनेगा जो ब्लड कैंसर के मरीज का अत्याधुनिक इम्यूनो थैरेपी से इलाज करेगा। अभी तक पूरे देश में निजी अस्पतालों के जरिए सिर्फ 150 मरीजों का ही इस नई तकनीक से इलाज हुआ है और इंदौर में तो किसी निजी अस्पताल में भी ये इलाज किसी मरीज का नहीं हुआ है। आईआईटी मुंबई और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने इस तकनीक को विकसित किया है।

उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने एक जानकारी में बताया कि उच्च स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं अब सरकारी अस्पतालों में भी सुलभ कराई जा रही है और इसी कड़ी में इंदौर के एमवाय अस्पताल में इम्यूनो थैरेपी जैसी तकनीक का इस्तेमाल एक मील का पत्थर साबित होगा। यह पहल उन मरीजों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है, जिनके इलाज में पारंपरिक पद्धतियाँ कारगर नहीं रही हैं। यह कदम चिकित्सा के क्षेत्र में न केवल इंदौर बल्कि पूरे प्रदेश की पहचान को एक नई दिशा देगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार का यह प्रयास है कि स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिकतम चिकित्सकीय तकनीकों और सेवाओं से युक्त कर मध्यप्रदेश को देश का प्रमुख चिकित्सा हब बनाया जाये। एमवाय अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने बताया कि काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (सीएआर) नामक तकनीक बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद भी लाभ नहीं मिलने वाले मरीजों के लिए कारगर साबित हो सकती है।

सीएआर-टी थेरेपी की प्रक्रिया के लिए पहले मरीज का रक्त सैंपल ले लिया गया है। इसके तहत बी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (्ररुरु) से पीडि़त मरीज की श्वेत रक्त कोशिकाओं को एफरेसिस मशीन द्वारा एकत्रित किया जाता है। इसके बाद, इन कोशिकाओं को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाएगा ताकि ये विशेष काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (सीएआर) ला सकें, जो कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। संशोधित सीएआर-टी कोशिकाओं को मरीज में प्रत्यारोपित करने के बाद, ये ट्यूमर कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से समाप्त करती हैं। एमवायएच में इस सुविधा की शुरुआत के साथ ही देश में शासकीय स्तर पर यह सुविधा उपलब्ध कराने वाला एमवायएच पहला अस्पताल बन गया है। यहां पर इम्यूनोथेरैपी का खर्च लगभग 30 लाख रुपये है, जो कि अमेरिका में इसी तकनीक के लिए लगने वाले लगभग 4 करोड़ रुपये की तुलना में बेहद कम है।

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