नवनीश कुमार
“नवरात्रों और दीपावली यानी त्योहारों से पहले ही खाद्य पदार्थों की महंगाई चरम पर जा पहुंची है और लोगों का मुंह चिढ़ा रही है। रिफाइंड व सरसों का तेल 25 से 30 रुपये लीटर तक बढ़ गया है जबकि दालें हो या सब्जियां, चीनी हो या मसाले या फिर आटा, त्योहारों से पहले ही सबके दामों में आया बड़ा उछाल सभी को चौंका रहा है। अमूमन पितृ पक्ष में रेट नहीं बढ़ते हैं, लेकिन इस बार अब अगर पितृ पक्ष में महंगाई का ये आलम है तो नवरात्रों और दीपावली पर महंगाई और परेशान कर सकती है।”
हो भी क्यों नहीं, पिछले 10-15 दिन में ही रिफाइंड व सरसो तेल 25 रुपए तो दालों पर 30 रुपए किलो तक की बढ़ोत्तरी हो गई है। बाजार में आटे का रेट बढ़कर 48 रुपए किलो तक जा पहुंचा है। खुला आटा भी 30 रुपए किलो तक जा पहुंचा है तो नवरात्रों से पहले प्याज़ के दाम दोगुने से भी ज़्यादा बढ़ गए हैं। सरकारी प्रयासों के बावजूद प्याज 70 रुपए किलो तक जा पहुंचा हैं। चीनी के दाम 40 से 42 रुपये किलो से बढ़कर 48 रुपये तक पहुंच गए हैं जबकि जीरे के दाम भी हज़ारी होने की कगार पर हैं। राजमा, बेसन और चना दाल के दामों में भी तेज़ी आई है।
देखा जाए तो सिर्फ़ एक महीने में दाल के साथ-साथ बेसन, आटा, चावल, मैदा, सूजी के दाम काफ़ी बढ़ गए हैं। आटा महंगा होने से बेकरी उत्पाद भी 10-15 प्रतिशत महंगे हो गए हैं। सवाल है कि पितृपक्ष से पहले यह हाल है तो नवरात्रों में क्या होगा?। व्यापारियों के भी अनुसार पितृपक्ष से पहले इन दिनों में खाद्य पदार्थों के भाव नहीं बढ़ते हैं। इस बार दाम बढ़ रहे हैं। पितृपक्ष के बाद नवरात्रि में कीमतें और बढ़ने की संभावना व्यापारी अभी से मानकर चल रहे हैं। पिछले दो माह के अंदर दाल के भाव में 20 से 25 रुपये प्रति किलो की तेजी आई है। इसका प्रमुख कारण मांग के सापेक्ष आपूर्ति कम होना है। भाव में तेजी सिर्फ अरहर दाल में ही नहीं बल्कि चना दाल, बेसन, राजमा में भी देखी जा रही है।
सब्जियों के दामों में लगी आग, लहसुन व हरा धनिया हुआ 400 रूपए प्रति किलो
खाद्य तेल और दालें ही नहीं, लगातार बारिश की वजह से सब्जियां भी महंगी हो गईं हैं। सब्जी के साथ मुफ्त मिलने वाला धनिया 400 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। लहसुन का भी यही भाव चल रहा है। इसके अलावा अन्य सभी हरी सब्जियों के दामों में 15 से 20 रूपए किलो की तेज बीते दिनों में हुई है। गोभी, आलू, प्याज, टमाटर सभी आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चले हैं। आलम यह है कि लहसुन व हरा धनिया 400 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। यही नहीं, गोभी का रेट 100 पार कर गया है जबकि अरवी हो या शिमला मिर्च या फिर मौसमी सब्जी लौकी, तुरई व कद्दू हो सभी के दामों में उछाल दर्ज किया जा रहा है। दरअसल बारिश के कारण सब्जियों की आवक कम होना इसका मुख्य कारण है। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि मंडी में सन्नाटा पसर गया है और उनकी आय घट गई है। ग्राहक महंगाई से परेशान हैं। सब्जी विक्रेता शेरसिंह ने बताया बारिश की वजह से सब्जी की आवक कम है। इस वजह से दाम बढ़े हुए हैं।
टैक्स की वजह से खाद्य तेल की कीमतों में 30 रुपए तक उछाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में दस पंद्रह दिन में 25 रुपये से लेकर 30 रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि हुई है। इसका कारण केंद्र सरकार द्वारा रिफाइंड पर सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 करना है। इसका असर खाद्य तेलों पर पड़ा है। सूरजमुखी, पाम, सोयाबीन पर 10 से 15 रुपये प्रति लीटर तक उछाल आया है। खाद्य तेल से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक, सरकार ने पाम आयल, सोयाबीन व सूरजमुखी सीमा शुल्क बढ़ा दिया हैं। 5.5 प्रतिशत से 27.5 प्रतिशत, रिफाइंड पर 13.5 से 35.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, जिससे बाजार में तेलों के दाम में तेजी आई है। सरकार ने रिफाइंड तेल पर सीमा शुल्क को 12.5 से बढ़ाकर 32.5 फीसदी कर दिया है।
खुदरा दुकानदारों का कहना है कि तेल के दामों पर बढ़ोतरी पर सरकार फैसला ले। इंपोर्ट टैक्स कम करे, तो दाम भी घट जाएगी। ऊपर से दाम बढ़ने पर हमें मजबूरी में दाम बढ़ाने पड़ते हैं। कई बार ग्राहक भी नाराज हो जाते हैं।
बढ़ती कीमतों से गृहणियों को भी लगा झटका
त्योहारों के मौसम में तेल की मांग में वृद्धि के कारण व्यापारी भी कीमतों में इस उछाल को लेकर चिंतित हैं तो कीमतों से गृहणियों को भी झटका दिया है। खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि ने त्योहारों के मौसम में घरेलू बजट पर असर डाला है। खाद्य तेलों के दाम में आयी इस उछाल की कई वजहें हैं, जिनमें प्रमुख कारण केंद्र सरकार द्वारा बेसिक इंपोर्ट टैक्स में 20 फीसदी की बढ़ोतरी है। जिसके प्रभाव से सरसों तेल, सोया रिफाइंड और पाम रिफाइंड के दाम में वृद्धि देखने को मिली है।
आसमान पर गेहूं-अरहर के दाम
अरहर दाल की खुदरा कीमत 200 रुपये किलो के पार निकल गई है। निर्यात पर रोक हटने के बाद प्याज भी 40 से 65-70 रुपये किलो पर पहुंच गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गेहूं 2275 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले खुले बाजार में 2700 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। गेहूं के दाम आने वाले दिनों में भी बढ़ने की आशंका है। दरअसल, गेहूं की कमजोर खरीदारी की वजह से सेंट्रल पूल में गेहूं का स्टॉक 299 लाख टन है जो पिछले साल जून में 313 लाख टन था, जिससे आने वाले महीनों में गेहूं के दाम बढ़ सकते हैं। रबी की नई फसल के बावजूद मई में गेहूं समेत सभी अनाज की खुदरा कीमत में 8.69 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
रोजमर्रा के सामानों के और बढ़ेंगे दाम, काबू में नहीं आ रही महंगाई!
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रोजमर्रा के सामानों के दाम और बढ़ सकते हैं। दरअसल आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक नोट में लिखा है कि कंपनियां 2024-25 में औसतन कीमत 1 से 3 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। वहीं नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की कीमतों के दाम फिर बढ़ सकते हैं। खास है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर कंट्रोल में नहीं आ रही है। इसे बढ़ाने में दाल, प्याज, गेहूं, आलू जैसे रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले खाने के सामानों का सबसे बड़ा हाथ है। रिटेल महंगाई दर घटकर पौने 5 फीसदी पर आने के बावजूद खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 8.69 फीसदी के हाई लेवल पर है, लेकिन हालात आने वाले समय में भी सुधरने के संकेत नहीं दे रहे हैं।
देश में बढ़ती महंगाई के बीच रोजमर्रा के सामान बेचने वाली एफएमसीजी कंपनियों ने भी आम लोगों की मुश्किल बढ़ा दी है। बीते दो-तीन महीनों में इन कंपनियों ने फूड और पर्सनल केयर से जुड़े प्रोडक्ट्स के दाम में 2 से 17 फीसदी तक का इजाफा किया है। यही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टाटा, डाबर और इमामी जैसी कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि वो भी अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ा सकती हैं। कंपनियां इसकी वजह कच्चे माल की कीमतों में इजाफे को बता रही हैं। एफएमसीजी कंपनियों ने साबुन-बॉडी वॉश के दाम 2 से 9 फीसद, हेयर ऑयल के 8 से 11 और चुनिंदा फूड आइटम्स के 3 से 17 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। इसी सब से आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपने नोट में लिखा है कि कंपनियां 2024-25 में औसतन कीमत 1 से 3 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। वहीं नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि FMCG प्रोडक्ट्स की कीमतों के दाम फिर बढ़ सकते हैं। यही नहीं, महंगाई को लेकर ह्यूमन रिसोर्स कंसल्टेंसी मर्सर के एक सर्वे में दावा किया गया है कि दूसरे शहरों से आए लोगों के लिए मुंबई देश के बाकी शहरों के मुकाबले काफी महंगा है। कॉस्ट ऑफ लिविंग 2024 की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में पर्सनल केयर, बिजली, यूटिलिटी, ट्रांसपोर्टेशन और किराए का घर लेना महंगा है। देश में सबसे महंगे शहरों में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु शामिल हैं।
साभार : सबरंग