सुधा सिंह
“चमड़ी जाये पर दमड़ी ना जाए”
“कौड़ी के मोल बिकना”
“इसके पास तो एक फूटी कौड़ी भी नही है “
“ये लड़का तो एक धेले का भी काम नही करता”
“इसे तो मैं एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूंगा अपनी जायदाद में से”
“हमारी बहु तो पूरा दिन बस टीवी देखती रहती है , धेले भर का काम नही करती “
“पाई पाई का हिसाब दे दूंगा “
कई बार हम ये सोचते हैं कि ये शब्द कहाँ से आये होंगें। असल में ये शब्द हमारी पुराने जमाने की मुद्रा (Currency ) से आये हैं ! मतलब पुराने समय में पैसा , रुपया नही बल्कि कौड़ी , फूटी कौड़ी , दमड़ी , धेला , पाई ये सब चलते थे !
आज हम जो रुपया, पैंसे देखते हैं वो बहुत देर में बहुत सुधार होने के बाद आया। विश्व में सबसे पहले सिक्का (Coin ) भारत के प्राचीन मौर्या शासन काल में लगभग 6 वीं सदी में शुरू हुआ था और वहीँ से रुपया आया ! रुपया ,संस्कृत शब्द “रूप” से आया है ! मौर्य वंश में जो सिक्के प्रचलित थे उन पर किसी न किसी जानवर या भगवान की आकृति छपी रहती थी।
आकृति मतलब उसका रूप और वो ही रूप आगे चलकर रुपया हो गया ! इसी सिक्का मुद्रा को आगे मुग़ल लोगों ने भी जारी रखा लेकिन पहले जो आकृति इन पर अंकित की जाती थी उसकी जगह उर्दू -फ़ारसी में उस शासक का नाम लिखा जाने लगा ! फिर 1540 ईसवी के आसपास शेर शाह सूरी ने अपने सिक्के जारी किये.
हालाँकि इस बीच बहुत से शासकों ने अपने अपने सिक्के चलवाये जो चमड़े से लेकर सोने तक के बने हुए थे लेकिन वो ज्यादा प्रचलित नही हो सके !
लेकिन फूटी कौड़ी बंगाल -ओडिशा में 19 वीं शताब्दी तक प्रचलन में रही है ! हालांकि तब बाकी जगह तांबे के सिक्के चलते थे लेकिन कौड़ी की प्रसिद्धि इतनी थी कि कोई ताँबे के सिक्के लेता ही नही था। इस प्राचीन मुद्रा की कीमत आंकने का पैमाना ये था :
फूटी कौड़ी से कौड़ी
कौड़ी से दमड़ी
दमड़ी से धेला
धेला से पाई
पाई से पैसा
पैसे से रुपया
256 दमड़ी = 192 पाई
192 पाई = 128 धेला
128 धेला. = 64 पुराने पैसे
64 पुराने पैंसे = 16 आना
16 आना = 1 रुपया.