कुवैत सिटी: कुवैत में आग लगने की घटना में 45 भारतीयों) की मौत हो गई। इसकी शुरुआती जांच में अब बड़ी खामियों का खुलासा हुआ है। सात मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर दो दर्जन गैस सिलेंडर, कागज, कार्डबोर्ड और प्लास्टिक जैसी ज्वलनशील चीजें रखी हुई थीं। कमरों को बांटने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि छत पर ताला लगा था, जिस कारण श्रमिक भाग नहीं सके। ये जानकारी तब सामने आई है जब दुर्घटना में जिंदा बचे लोगों से भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने मुलाकात की और कुवैती जांचकर्ताओं ने आग लगने की घटना की जांच शुरू की।
कुवैती अधिकारियों के मुताबिक 49 मृतकों में से 45 की पहचान भारतीय और तीन की फिलीपींस के नागरिक के रूप में की गई है। एक शव की पहचान अभी भी नहीं हो सकी है। कुवैत शहर के दक्षिण में मंगफ में 196 प्रवासी श्रमिकों को रखने वाली इमारत में आग लगने से 50 अन्य घायल हो गए। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कुवैत में भारतीय राजदूत आदर्श स्वाइका के साथ जिंदा बचे लोगों और कुवैती सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की।
पूरे बिल्डिंग में फैल गई आग
रिपोर्ट्स के मुताबिक आग लगने का संभावित कारण ग्राउंड फ्लोर पर शॉर्ट-सर्किट प्रतीत होता है, जो वहां रखे दो दर्जन गैस सिलेंडरों के कारण और भी ज्यादा बढ़ गया। आग तेजी से फैल गई, क्योंकि कमरे में पर्याप्त ज्वलनशील पदार्थ थे। कार्डबोर्ड, कागज और प्लास्टिक का इस्तेमाल भीड़भाड़ वाले कमरों को अलग करने के लिए किया गया था, जहां इमारत के हर कमरे में एक दर्जन से ज्यादा लोग रह रहे थे। आग तेजी से फैली और धुआं इमारत के भूतल और ऊपरी मंजिल के कमरों में भर गया।
Kuwait Fire Update: कुवैत की जलती इमारत में नहीं जाती 42 भारतीयों की जान.. मामले में कैसा खुलासा ?
छत का दरवाजा बंद था
ऊपरी मंजिल पर मौजूद लोगों ने छत पर जाने की कोशिश की लेकिन दरवाजा बंद होने के कारण मजदूर आग में फंस गए। रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा जगह बनाने के लिए बिल्डिंग को अंदर से बदल दिया गया और कुवैत में बिल्डिंग कोड का उल्लंघन हुआ। इससे फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों को भी मुश्किल हुई। यह कुवैत के रिहायशी इमारतों में सबसे भयानक आग मानी जा रही थी। अधिकारियों ने बिल्डरों और भवन मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर दिया है।