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क्या शांति संभव है? 

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डॉ. एवलिन लिंडनर के साथ जन-संवाद – रविवार, 2 फ़रवरी को 

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, राष्ट्रों के बीच कूटनीति और संवाद के माध्यम से भविष्य के युद्धों को टालने की आकांक्षा के साथ संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई थी। मगर आज हम कहाँ खड़े हैं? इस दुनिया के कई कोनों में युद्ध और सामूहिक हत्याएँ हो रही हैं। युद्ध के साथ ही असमानता, भेद-भाव, पर्यावरणीय संकट स्थाई शांति की संभावना और मानव गरिमा के लिए चुनौती हैं। इन स्थितियों में भी क्या विश्व शांति संभव है ? क्या मानव गरिमा को कायम रखा जा सकता है? इन प्रश्नों की पड़ताल करने के लिए डॉ. एवलिन लिंडनर के साथ जन-संवाद का आयोजन रविवार, 2 फ़रवरी को अभिनव कला समाज, गांधी हॉल में किया गया है। 

डॉ. लिंडनर मानवीय गरिमा और अवमान पर एक नामचीन विशेषज्ञ हैं। 2015, 2016 और 2017 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित, डॉ. लिंडनर ह्यूमन डिग्निटी एंड ह्यूमिलेशन स्टडीज (एचडीएचएस) की संस्थापक हैं, जो दुनिया भर में मानवीय गरिमा को बढ़ावा देने और अपमान को समाप्त करने के लिए समर्पित शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं का एक वैश्विक नेटवर्क है। डॉ. लिंडनर ने मानवीय गरिमा के विषय पर विस्तार से लिखा है, और उनके लेखन का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। 

संवाद का आयोजन  अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन और  स्टेट प्रेस क्लब मध्य प्रदेश द्वारा किया गया है।

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