अजय असुर
हमारे देश का गृहमंत्री बोल रहा है- “12वी पास करके इंटर मे ऐडमिशन लेने वाले छात्रों को लैपटाप और फोन दिया जायेगा।”*
इन लोगों से अच्छा तो हमारे देश के गावं-देहात की जनता बोल लेती है। मगर उन्हें तो कहा जाता है कि तुम्हें देश चलाना नहीं आता। हमारे बेरोजगारों को भी कहा जाता है कि तुम बेरोजगार इसलिए हो क्योंकि तुम योग्य नहीं हो। जब कि मन्त्री महोदय को बारहवीं पास और इण्टर पास का मतलब भी समझ में नहीं आता।
क्या यही मंत्री होने की शैक्षिक योग्यता है? क्या इसी योग्यता पर किसी तड़ीपार व्यक्ति मंत्री बना दिया जाता है? नहीं, नहीं, यहां शैक्षिक योग्यता का सवाल ही नहीं है। इस चुनाव में सबसे ज्यादा काला धन की व्यवस्था जो कर सकता है, वहीं सबसे ज्यादा योग्य है, और सबसे ज्यादा काला धन उसी के पास होता है जिसके पास सबसे ज्यादा सफेद धन है। सफेद धन के बड़े-बड़े मालिक यानी सड़े-बड़े देशी-विदेशी पूंजीपति ही कालेधन के भी मालिक हैं। काले धन के मालिक अपना काला धन उसी को चुनावी चंदा आदि के तौर पर देते हैं जो सबसे ज्यादा विश्वसनीय होता है, सबसे ज्यादा विस्वसनीय वहीं होता है जो जनता के खिलाफ सबसे ज्यादा क्रूरतम् हमले कर सकता है। मौजूदा लोकतंत्र में यही योग्यता का पैमाना है।
देशी-विदेशी पूंजीपतियों को लूटपाट करने की छूट देने के लिये जो मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है तथा जनता को गुस्से को डायवर्ट करने के लिये जाति-धर्म के नाम पर ज्यादा से ज्यादा लाशें बिछा सकता है। वही सबसे योग्य होता है।
चाहे वह बहुत अच्छी हिन्दी बोलता हो या बहुत अच्छी इंग्लिश बोल लेता हो। अगर शोषक वर्गों का मुनाफा बढ़ाने में मदद नहीं कर सकता, तो वह न तो योग्य होता है न विस्वसनीय।
हिटलर बहुत योग्य था,और विश्वसनीय भी, मगर इस वक्त हमारे देश की सत्ता में हिटलर से भी ज्यादा योग्य लोग बैठे हैं। मगर किसके लिये जनता के लिए? या पूंजीपतियों के लिये?
हमारे बहुत से क्रान्तिकारी अशिक्षित थे मगर वो हमारे लिए मर मिटे, ..
अत: असल सवाल योग्यता का नहीं बल्कि असल सवाल यह है कि वह व्यक्ति किसके पक्ष में खड़ा है? आदमी के पक्ष में हैं या आदमखोरों के?
इसलिये मन्त्री महोदय की योग्यता पर सवाल उठाना निरर्थक है।
अजय असुर
राष्ट्रीय जनवादी मोर्चा