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ISF: जो बंगाल के पंचायत चुनाव में ममता को दे रहा चुनौती

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कोलकाता

तीन मौतें, जलती बसें, मातम और डर का माहौल। ये माहौल पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना जिले में आने वाले भांगड़ का है। यहां 13 और 15 जून को पंचायत चुनाव के नॉमिनेशन के दौरान खूब हिंसा हुई थी। सैकड़ों लोग घायल हुए। बसें-टैम्पो जला दिए गए। इसी में तीन लोगों की जान चली गई। बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत इलेक्शन होना है। इनका नतीजा 11 जुलाई को आएगा।

कोलकाता से महज 30 किमी दूर भांगड़ पहुंचने पर पता चला कि फिलहाल हिंसा तो रुक गई है, लेकिन लोग खौफ के साथ लड़ाई की तैयारी में भी हैं। भांगड़ में लड़ाई TMC और BJP के बीच नहीं है, बल्कि यहां TMC की लड़ाई इंडियन सेक्युलर फ्रंट यानी ISF से है।

साउथ 24 परगना जिले के भांगड़ में पंचायत चुनाव के नॉमिनेशन के दौरान पॉलिटिकल पार्टियों के वर्कर्स में टकराव हुआ था। इस दौरान कई वाहन और दुकानें जला दी गईं।

साउथ 24 परगना जिले के भांगड़ में पंचायत चुनाव के नॉमिनेशन के दौरान पॉलिटिकल पार्टियों के वर्कर्स में टकराव हुआ था। इस दौरान कई वाहन और दुकानें जला दी गईं।

ISF का गठन फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दकी ने 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के वक्त किया था। फुरफुरा शरीफ में हजरत अबु बकर सिद्दीकी की दरगाह बंगाली मुसलमानों में पवित्र मानी जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि अजमेर शरीफ के बाद ये मुसलमानों की भारत में दूसरी पवित्र दरगाह है।

अब्बास सिद्दकी के भाई नौशाद सिद्दकी ने भांगड़ से विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत गए थे। वो ISF की तरफ से जीतने वाले इकलौते कैंडिडेट हैं। यही वजह है कि भांगड़ TMC और ISF के बीच जंग का मैदान बन चुका है। ISF की कोशिश है कि पंचायत चुनाव में भी उसके कैंडिडेट जीतें।

ऊपर से सब शांत, अंदर आग लगी है…
भांगड़ पहुंचने पर सबसे पहले मेरी मुलाकात मोहम्मद अबुल हसन से हुई। उनका परिवार कई साल से TMC को सपोर्ट कर रहा था, लेकिन 2021 में ISF के साथ जुड़ गया। अब वे पार्टी के एक्टिव मेंबर हैं। अबुल अपने दोस्तों के साथ खड़े थे। मैंने पूछा कि क्या हिंसा अब पूरी तरह से थम चुकी है?

जवाब मिला, ‘ऊपर से सब शांत दिख रहा है, लेकिन अंदर आग लगी हुई है। जितनी हिंसा अभी हुई है, वोटिंग के वक्त उससे भी ज्यादा हो सकती है। हम जीतें या हारें दोनों ही स्थितियों में हम पर हमला होगा।’

हमने कहा, सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुए थे, उसमें तो आपके लोग भी हमला करते नजर आए थे, दोनों ही तरफ से पत्थर फेंके जा रहे थे। इस पर बोले, ‘हम लोग नॉमिनेशन के लिए जाने वाले थे। हमें पता चला कि BDO ऑफिस में TMC के गुंडे मौजूद हैं और हमें नॉमिनेशन नहीं करने देंगे। इसलिए हमने पहले तीन-चार लोगो को वहां ये सब देखने के लिए भेजा। वो लोग जख्मी होकर लौटे।’

‘फिर हमने भी अपने समर्थकों को इकट्‌ठा किया और हम 6-7 हजार लोग एक साथ प्रत्याशियों के साथ निकले। हमारी सुरक्षा में पुलिस भी थी, लेकिन रास्ते में अराबुल इस्लाम के लोगों ने हम पर हमला कर दिया। जान बचाने के लिए हम लोगों ने भी जवाब दिया।’

‘बड़ी मुश्किल से हमारे करीब 200 प्रत्याशी नॉमिनेशन कर पाए थे, लेकिन उनमें भी 113 के नॉमिनेशन गलतियां बताकर खारिज कर दिए गए। ममता बनर्जी नहीं चाहतीं कि यहां ISF मजबूत हो। पहले ही उनकी पार्टी यहां विधानसभा चुनाव हार चुकी है।’

जली हुई गाड़ियां खड़ीं, बाहर से गुंडे आए थे…
नॉमिनेशन के वक्त भांगड़ में जहां हिंसा हुई थी, वहां जली हुई गाड़ियां अब भी खड़ी हैं। स्थानीय लोगों ने इशारे से बताया कि ये गाड़ियां दूसरे जिले से आईं थीं। स्थानीय मोहम्मद शाबिर ने बताया कि, ‘इन गाड़ियों में दूसरे जिले से गुंडे-बदमाश आए थे। उनके पास गोला-बारूद और हथियार थे। ज्यादातर लोग पड़ोसी विधानसभा सीट कैनिंग से थे।

भांगड़ की सड़कों पर जली गाड़ियां। लोगों का आरोप है कि इन्हीं में दूसरे जिलों से गुंडे आए थे, जिन्होंने गांव में हमला किया।

भांगड़ की सड़कों पर जली गाड़ियां। लोगों का आरोप है कि इन्हीं में दूसरे जिलों से गुंडे आए थे, जिन्होंने गांव में हमला किया।

ISF से जुड़े मोहम्मद शाबिर कहते हैं, ‘कैनिंग में TMC के शौकत मोल्ला विधायक हैं। वे बाहुबली नेता हैं। TMC ने भांगड़ को संभालने की जिम्मेदारी शौकत को ही दी है, क्योंकि अराबुल तो यहां से 2021 का चुनाव हार चुके हैं। इसलिए इस बार शौकत को इंचार्ज बनाया गया। वही अपने लोगों को लेकर आए थे।’

जब हम भांगड़ में घूम रहे थे, तभी पता चला कि हिंसा में मारे गए एक लड़के के घर प्रार्थना सभा चल रही है। वहां पहुंचे तो मुलाकात सलाउद्दीन मोल्ला से हुई। बोले, ‘मेरा भाई ISF कैंडिडेट के साथ BDO ऑफिस गया था। वहीं उसे TMC के गुंडों ने गोली मार दी। उसकी स्पॉट पर ही डेथ हो गई थी।’

सलाउद्दीन जब हमसे बात कर रहे थे, तो उनकी पत्नी उन्हें बात करने से मना कर रही थीं। मैंने पूछा कि आप डर क्यों रही हैं, तो बोलीं, ‘यहां का माहौल खराब है। उन लोगों को पता चल गया कि ये कैमरे पर बात कर रहे हैं, तो इन पर भी हमला हो सकता है। इसलिए हमें कोई बात नहीं करनी।’

खुद काे पीर का बेटा बताता है, लेकिन हमला माओवादियों जैसा…
गांव में घूमने के बाद हम TMC नेता अराबुल इस्लाम के घर पहुंचे। अराबुल भांगड़ में TMC के सबसे बड़े नेता हैं। हालांकि 2021 में चुनाव हार गए थे। हिंसा पर बोले, ‘हम तो सबसे शांति की अपील कर रहे हैं। नौशाद सिद्दकी खुद को पीर का बेटा बताता है, लेकिन माओवादियों की तरह हमले करता है।’

हमने कहा- TMC से मुस्लिम वोट बैंक दूर जा रहा है। मुस्लिम बहुल भांगड़ आप हार गए। मुर्शिदाबाद भी हार गए। क्या इसी डर से भांगड़ में दूसरे दलों के लोगों को नॉमिनेशन करने से रोकने की कोशिश हुई। इस पर बोले, ‘यहां 75% मुस्लिम हैं। 2021 में हमसे कुछ गलतियां हुईं थीं, इसलिए हार हुई। अब ऐसा नहीं होगा। आने वाले चुनाव में हम जीतेंगे। मुस्लिमों के साथ 25% हिंदू भाइयों का भी हमें सपोर्ट है।’

भांगड़ TMC के लिए इतना जरूरी क्यों
पश्चिम बंगाल में TMC 2011 में सत्ता में आई थी, लेकिन भांगड़ में इसके 5 साल पहले ही 2006 में TMC जीती थी। तब TMC के कैंडिडेट अराबुल इस्लाम थे। उस वक्त ममता बनर्जी का वामपंथियों को सत्ता से उखाड़ने का अभियान चल रहा था। TMC की जीत भांगड़ के मुस्लिम वोटर्स की वजह से हुई थी। 2011 में TMC ये सीट हारी, लेकिन 2016 में फिर जीत गई।

TMC के एक सीनियर लीडर ने कहा कि CPI (M) के सभी वोट ISF के साथ जुड़ चुके हैं। इसलिए भांगड़ पर ISF की पकड़ मजबूत हो गई है। पार्टी से मुस्लिम वोट धीरे-धीरे स्लिप होते नजर आ रहे हैं, इसलिए दोबारा पकड़ मजबूत करना जरूरी है।

नौशाद सिद्दकी को जेल भेजने का फैसला भी सही नहीं रहा। पार्टी पर इसका नेगेटिव इम्पैक्ट देखने को मिला। पार्टी ये जानती है कि मुस्लिम वोट ISF और थर्ड फ्रंट यानी लेफ्ट-कांग्रेस की तरफ खिसक गया तो सत्ता में बने रहना चुनौती हो जाएगा।

सिद्दकी को केंद्र सरकार ने वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी दी
भांगड़ में हुई हिंसा पर कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार ने ISF नेता और विधायक नौशाद सिद्दकी को वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी दी है। उनकी सुरक्षा में सात जवान तैनात हैं। इनमें से पांच हथियारों से लैस हैं। हालांकि उन्होंने सरकार से जेड कैटेगरी की सिक्योरिटी मांगी थी।

चुनाव के दौरान तैनात रहेगी सेंट्रल फोर्स
कोलकाता हाईकोर्ट ने सभी जिलों में सेंट्रल फोर्स तैनात करके चुनाव करवाने का आदेश दिया था। ममता सरकार और पश्चिम बंगाल का चुनाव आयोग इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया था। 20 जून को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया।

पंचायत चुनाव के लिए सेंट्रल फोर्स की कंपनियां पश्चिम बंगाल पहुंचने लगी हैं। फोटो 30 जून की है, जब जवान बालुरघार रेलवे स्टेशन पहुंचे थे।

पंचायत चुनाव के लिए सेंट्रल फोर्स की कंपनियां पश्चिम बंगाल पहुंचने लगी हैं। फोटो 30 जून की है, जब जवान बालुरघार रेलवे स्टेशन पहुंचे थे।

इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से तुरंत सेंट्रल फोर्स भेजने के लिए कहा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 24 घंटे में जवाब देकर बताया कि पंचायत चुनाव के लिए सेंट्रल फोर्स की 315 कंपनियां जल्द भेजी जाएंगीं।

2018 में 34% सीटें निर्विरोध जीती थी TMC
इससे पहले पश्चिम बंगाल में 2018 में पंचायत चुनाव हुए थे। तब TMC को एकतरफा जीत मिली थी। पिछले चुनाव में भी हिंसा की वजह से अपोजिशन पार्टी के ज्यादातर कैंडिडेट्स नॉमिनेशन फाइल नहीं कर पाए थे। इससे TMC 34% सीटें निर्विरोध जीत गई थी, यानी इन सीटों पर चुनाव ही नहीं हुए।

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