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सोमवार की रात दो उपग्रहों को लॉन्च करेगा इसरो

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सोमवार की रात दो उपग्रहों को लॉन्च करेगा। इन उपग्रहों का मकसद अंतरिक्ष में जोड़ने और अलग करने (डॉकिंग और अनडॉकिंग) की तकनीक का परीक्षण करना है। जिससे भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो यह उपलब्धि हासिल करेगा।इसरो कल रात श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से दो उपग्रहों को लॉन्च करेगा। इन उपग्रहों की लॉन्चिंग पीएसएलवी-सी60 रॉकेट से होगी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्पेडेक्स मिशन भारत को उन देशों के समूह में शामिल करेगा, जो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक उपयोग में ला चुके हैं। 

इस मिशन के तहत इसरो का प्रमुख रॉकेट ‘पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’ (पीएसएलवी) दो उपग्रहों एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को 476 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कक्षा (ऑर्बिट) में स्थापित करेगा। इससके बाद, इन उपग्रहों के माध्यम से ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपरिमेंट'(स्पेडेक्स) जनवरी के पहले हफ्ते से किया जाएगा। 

मिशन को लेकर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने क्या कहा
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, यह मिशन भारत को उन देशों के समूह में शामिल करेगा, जो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक उपयोग में ला चुके हैं। यह मिशन भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, जिसमें चांद से मिट्टी और पत्थरों को धरती पर लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीआईएस) बनाना और चांद पर अंतरिक्ष यात्री भेजना शामिल है। 

स्पेडेक्स मिशन का उद्देश्य क्या है?
इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक, स्पेडेक्स मिशन का मुख्य उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों (एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02) की डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक विकसित करना है, जो एक धरती की निचली कक्षा (लो-अर्थ ऑर्बिट) में एक साथ जुड़ेंगे। मिशन का दूसरा मकसद यह साबित करना है कि डॉक किए गए उपग्रहों के बीच बिजली का स्थानांतरण (ट्रांसफर) कैसे किया जा सकता है। यह भविष्य में अंतरिक्ष रोबोटिक्स और अंतरिक्ष कार्यों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा। 

मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, यह क्षमता भारत के चांद और अंतरग्रही (जैसे मंगल, शुक्र आदि) मिशनों के लिए जरूरी है। डॉकिंग तकनीक से मल्टी-लॉन्च मिशन संभव होंगे और भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ान को भी मदद मिलेगी। 

उपग्रह और पेलोड क्या काम करेंगे 
डॉकिंग और अनडॉकिंग के बाद ये उपग्रह धरती की कक्षा में दो साल तक काम करते रहें। इन उपग्रहों का काम अलग-अलग होगा, जैसे तस्वीर लेना, पृथ्वी के संसाधनों की जानकारी एकत्र करन और दूसरे वैज्ञानिक काम करना। एसडीएक्स01 उपग्रह में एक उच्च-रिजॉल्यूशन कैमरा (एचआरसी) है।

जबकि एसडीएक्स02 में दो पेलोड ‘मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल’ (एमएमएक्स) और ‘रेडिएशन मॉनिटर’ (रेडमॉन) हैं। ये पेलोड उच्च रिजॉल्यूशन की तस्वीरें, प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी, वनस्पति अध्ययन और अंतरिक्ष में विकिरण की माप करेंगे। इन पेलोड का उपयोग कई कामों में किया जा सकता है। इसके अलावा, पीएसएलवी-सी60 मिशन के तहत 24 अन्य पेलोड भी लॉन्च किए जा रहे हैं। ये पेलोड इसरो की विभिन्न प्रयोगशालाओं, निजी स्टार्ट-अप्स और शिक्षण संस्थानों से हैं और इनका मकसद अंतरिक्ष में विभिन्न प्रयोग करना है। 

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