उज्जैन। आपने अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों और परिसर में भैंस बांधने के वाक्ये सूने होंगे लेकिन जिला मुख्यालय के नगरीय क्षेत्र में शक्करवासा गांव में ग्रामीणों, शिक्षकों ने लाखों का माध्यमिक स्कूल भवन बना डाला है। इसमें गांव के ईश्वर पटेल का विशेष सहयोग रहा है। ग्रामीणों के साथ ही स्कूल के वर्तमान,पूर्व शिक्षकों एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों ने तन,मन,धन से इसमें योगदान दिया है। स्कूल परिवार एवं ग्रामीणों ने आपस में मिलकर ही भवन का शुभारंभ भी कर लिया है।
उज्जैन नगर निगम के वार्ड 54 में त्रिवेणी के पास ग्राम शक्करवासा शामिल है। यहां पर शासकीय माध्यमिक विद्यालय गांव के करीब 150 बच्चे अध्ययनरत हैं। इन पर यहां हेड मास्टर सहित 7 शिक्षक पदस्थ हैं। यहां का विद्यालय भवन गांव के मुख्यमार्ग पर स्थित था और उसे शासन स्तर पर गिराउ घोषित करते हुए गिरा दिया गया था। स्कूल भवन को गिराने के बाद यहां के बच्चों को शिक्षा विभाग करीब 3 किलोमीटर दूर मालनवासा भेजने की तैयारी में था इस बीच गांव के पैतृक रूप से पटेल ईश्वर पटेल ने बच्चों के लिए अपने आवास का व्यवसायिक परिसर उपलब्ध करवा दिया । ग्रामीण विरोध की स्थिति की और बढते इससे पूर्व शिक्षकों ने गुरू धर्म के साथ उन्हें सृजनात्मक कार्य की और प्रेरित कर दिया। गांव भर के वासियों ने स्कूल भवन निर्माण के लिए सहयोग दिया। पूर्व शिक्षक श्री अग्रवाल एवं मेडम पांडे सहित अन्य ने भी धन से सहयोग दिया। वर्तमान शिक्षकों ने भी अपना धर्म निभाया और करीब 8 लाख से अधिक राशि से स्कूल भवन के 600 वर्ग फीट के दो हाल बना डाले। बच्चों के लिए नियमानुसार लेट बाथ अलग – अलग बनाए गए हैं। छत पर भी टाईल्स लगा कर उसे मजबूती दी गई । स्कूल भवन की बाउंड्रीवाल बनाई गई सभी काम व्यवस्थित अंजाम दिए गए और पूर्व भवन की ब्लू प्रिंट पर ही निर्माण किया गया। भवन पर सर्व शिक्षा अभियान का ही पिंक कलर किया गया है। यहां तक की स्कूल भवन पर रेडियम से नामकरण किया गया। स्कूल भवन का सोमवार को शुभारंभ किया गया जिसमें ग्रामीणों ,स्कूल के स्टाफ सहित पूर्व शिक्षकों ने भागीदारी की। सभी को साफा बांधा गया और स्कूल भवन में सजावट भी की गई। खास यह रहा कि पूरे मामले में किसी ने कोई श्रेय नहीं लिया और पूरा काम कानों कान किसी को पता नहीं चला।
जून में मरम्मती भवन गिराने से नाराज थे ग्रामीण –
माध्यमिक स्कूल का भवन पूराना था उसे गिराउ घोषित कर दिया गया था। बरसात से पहले जून में भवन को जेसीबी से गिरा दिया गया था,जबकि ग्रामीणों ने जनसहयोग से उसके पूर्व ही भवन को करीब 2 लाख रूपए खर्च कर मरम्मत करवाई थी। बताया जा रहा है कि मरम्मत करने की जानकारी भी ग्रामीणों एवं स्कूल के शिक्षकों ने दी थी लेकिन गिराउ घोषित करने की प्रक्रिया के बाद भवन को गिराने की मजबूरी बताते हुए भवन गिरा दिया गया था। उसके बाद माध्यमिक विद्यालय भवन विहीन हो गया था और स्कूल में पढने वाले बच्चे खुले आसमान के नीचे अध्ययन करने को बाध्य थे। बारिश सिर पर थी । इससे ग्रामीणों में नाराजगी की स्थिति बन गई थी और वे आंदोलन की राह पर आने वाले थे। यह देख गांव के ईश्वर पटेल ने स्वयं का भवन स्कूल संचालन के लिए बारिश के दौरान दिया। इस दौरान स्कूल भवन बनाने के लिए शिक्षकों एवं ग्रामीणों के सहयोग से रूप रेखा बनाई गई।
शिक्षकों ने राह ही बदल दी-
मरम्मती भवन को गिराने की स्थिति में ग्रामीण आंदोलन की राह पर आने वाले थे लेकिन शिक्षक समाज की दिशा बदलने की क्षमता रखता है और यहां भी वहीं हुआ। हेड मास्टर रमेशचंद्र चौहान सहित गांव के ईश्वर पटेल,अन्य शिक्षकों ने ग्रामीणों को जनसहयोग की राह दिखाई ओर सभी के सहयोग की स्थिति बनने पर स्कूल भवन खडा कर दिया गया।
शिक्षकों ने किया श्रमदान-
शक्करवासा माध्यमिक विद्यालय में करीब 150 बच्चों पर हेड मास्टर सहित 7 शिक्षक पदस्थ हैं। जनसहयोग से निर्मित स्कूल भवन में तन,मन,धन से सहयोग शिक्षकों के साथ ग्रामीणों ने किया है। यहां तक की निर्माण के काम को करने वाले ठेकेदार ने यह जनसहयोग देखा तो उसने भी नाम मात्र की राशि में काम को अंजाम दे दिया । कई बार तो दिन में स्कूल के बच्चों को पढाने के उपरांत रात में भवन निर्माण के काम में शिक्षकों ग्रामीणों ने सहयोग किया। ग्रामीण बताते हैं कि विद्यालय भवन निर्माण में मजदूरी तक इन लोगों ने की है। यहीं नहीं हेड मास्टर के पुताई करने की बात भी बताई जाती है। यहां तक तो ठीक उनके पुत्र जो कि पुलिस में आरक्षक हैं ने भी इस नेक काम में सहयोग करते हुए भवन में पुट्टी और पुताई की।
रेडियम स्ट्रीप कटवाकर लाए और चिपकाई-
विद्यालय भवन बनने के उपरांत उसकी बेहतर पुताई की गई। पुताई से पहले पुट्टी की गई । उसके उपरांत स्कूल भवन पर नामांकरण करने के लिए रेडियम स्ट्रीप कटवाकर लाई गई और सुंदर नामाकरण को अंजाम दिया गया।
-शक्करवासा माध्यमिक विद्यालय का भवन प्रोसेस के साथ जून में डिस्मेंटल किया गया था। इस दौरान जिले के करीब 50-51 स्कूल भवन तोडे गए थे। स्कूल भवन के लिए प्रपोजल भेजा गया है । बच्चों को मालनवासा स्कूल में शिफ्ट करने का था। शाला प्रबंधन समिति के कुछ अधिकार हैं। भवन बनाने को लेकर कुछ लोग आपत्ति ले रहे थे जिसे लेकर समिति ने हेड मास्टर के साथ ग्रामीणों ने कलेक्टर से मुलाकात की थी। हम जाकर देखेंगे कैसा स्कूल जन सहयोग से बना है।
-अशोक त्रिपाठी, जिला परियोजना समन्वयक शिक्षा, उज्जैन