वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने गुरुवार को एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया। वाईएसआरसीपी का यह समर्थन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उसके पास 4 फीसदी वोट शेयर है। ओडिशा की बीजू जनता दल पहले ही मुर्मू के समर्थन की घोषणा कर चुकी है।
एक बयान में, पार्टी ने कहा कि जगन का मानना है कि मुर्मू का समर्थन करना एससी, एसटी, बीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधित्व पर हमेशा जोर देने की उनकी विचारधारा के अनुरूप है। इसमें कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में मुख्यमंत्री ने इन समुदायों के उत्थान को बहुत महत्व दिया है और यह भी सुनिश्चित किया है कि कैबिनेट में उनका प्रतिनिधित्व अच्छी तरह से हो
शुक्रवार को नामांदन दाखिल करेंगी मुर्मू
मुर्मू को मंगलवार को एनडीए का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था। वह शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगी। वाईएसआरसीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री एक निर्धारित कैबिनेट बैठक के कारण मुर्मू द्वारा नामांकन दाखिल करने में शामिल नहीं हो पाएंगे। हालांकि, राज्यसभा सांसद विजयसाई रेड्डी और लोकसभा सांसद मिधुन रेड्डी मौजूद रहेंगे। मुर्मू मूल रूप से ओड़िशा के मयूरभंज जिले की हैं और वह आदिवासी समुदाय संताल (संथाल) से ताल्लुक रखती हैं। झारखंड के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल भी निर्विवाद रहा है जबकि संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का भी झारखंड से गहरा नाता रहा है।
पीएम मोदी, गृह मंत्री शाह से मिलीं मुर्मू
राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू बृहस्पतिवार को अपने गृह राज्य ओडिशा से दिल्ली पहुंचीं और शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल करने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा से भेंट की।झारखंड की पूर्व राज्यपाल 64 वर्षीय मुर्मू शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल करेंगी। नामांकन के दौरान ओडिशा की सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) के प्रतिनिधि के रूप में राज्य सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहेंगे। बीजद ने मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
क्यों NDA चुनाव से पहले ही होगा मगन
बीजद द्वारा मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा के बाद राजग को कुल मतों में से 52 प्रतिशत से अधिक मत मिलना तय माना जा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव में कुल मत 10,86,431 हैं। राजग के खाते में अब 5,67,000 मत आने के आसार हैं। इसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ओर उसके सहयोगी दलों के सांसदों के 3,08,000 मत भी शामिल हैं। निर्वाचक मंडल में बीजद के कुल 32,000 मत हैं जो कि कुल मत का 2.9 प्रतिशत हिस्सा है। वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से ये मत और भी बढ़ गया है।
भाजपा को उम्मीद है कि राजग के उम्मीदवार को वाईएसआर कांग्रेस के अलावा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों का समर्थन भी मिल सकता है। राज्यसभा के हाल के द्विवार्षिक चुनाव के बाद उच्च सदन में भाजपा के सदस्यों की कुल संख्या 92 हो गई है जबकि लोकसभा में उसके 301 सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत से भी राजग उम्मीदवार की जीत की संभावनाओं को बल मिला है। किसी अन्य राज्य के मुकाबले उत्तर प्रदेश के विधायकों के मत का मूल्य सर्वाधिक है।
हालांकि 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले इस बार के चुनाव में राजग के विधायकों की संख्या कम है। लेकिन उसके सांसदों की संख्या बढ़ गई है। बहरहाल, भाजपा ने मंगलवार को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में झारखंड की पूर्व राज्यपाल मुर्मू का नाम घोषित कर सभी को चौंका दिया था। मुर्मू यदि चुनाव जीत जाती हैं तो वह रामनाथ कोविंद का स्थान लेंगी।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक संसद के दोनों सदनों के कुल 776 सदस्यों में भाजपा के कुल 393 सदस्य हैं। इनमें राज्यसभा के चार मनोनीत सदस्य शामिल नहीं हैं क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में वे मतदान नहीं कर सकते। जनता दल (यूनाईटेड) के 21 सांसदों के अलावा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल और पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय व सहयोगी दलों के सांसदों की सदस्य संख्या को जोड़ लिया जाए तो भाजपा उम्मीदवार और मजबूत स्थिति में पहुंच जाती हैं।
राज्यसभा व लोकसभा के सदस्यों के वोट का मूल्य 700 हैं। राज्यों में कुल 4033 विधायक हैं। राज्य के हिसाब से इन विधायकों का मत निर्धारित है। लोकसभा की तीन सीटों पर उपचुनावों और राज्यसभा की 16 सीटों के लिए हुए चुनावों के परिणामों के बाद निर्वाचकों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।
राज्यसभा और लोकसभा या राज्यों की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं, इसलिए, वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते। इसी तरह, विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं।