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सचमुच सेहत का मित्र है प्राकृतिक मिष्ठान गुड़ 

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       ~ पुष्पा गुप्ता 

     प्राकृतिक मिठाई के तौर पर पहचाना जाने वाला गुड़, स्वाद के साथ ही सेहत का भी खजाना है, गुड़ उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जिनके शरीर में खून की कमी (एनीमिया) होती है, क्योंकि गुड़ आयरन का एक बहुत ही अच्छा स्रोत होता है और यह शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाने में मदद करता है।

      गुड़ हमारी पाचन क्रिया के लिए भी काफी अच्छा होता है, इसलिए गुड़ को थोड़ी मात्रा में खाना खाने के बाद जरूर खाना चाहिए।

           गुड़ का प्रयोग पीलिया रोग का उपचार करने के लिये भी किया जाता है। गुड़ का इस्तेमाल विभिन्न तरह के अलग अलग पकवान बनाने में किया जाता है, जैसे – तिल गुड़ की चिक्की, गुड़ की खीर, गुड़ का परांठा आदि। इन सभी पकवानों को हम सर्दियों के मौसम में बना सकते हैं।

      गुड़ में अधिक मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में सहायता करता है। अगर कब्ज की समस्या से परेशानी है तो रात में खाना खाने के बाद एक टुकड़ा गुड़ खाने से हम कब्ज की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं।

           ५ ग्राम सौंठ १० ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है। गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढती है। ५ ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खाने से श्वास रोग से छुटकारा मिलता है। पाचन तंत्र को ठीक करता है गुड़। गुड़ खाने से खून साफ होता है। रोज खाना खाने के बाद गुड़ खाने से पेट में ठंडक मिलती है और गैस नहीं बनती है।

      दूध के साथ गुड़ खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। जिन महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दर्द रहता हो उन्हें गुड़ खाना चाहिए, इससे पेट को आराम मिलता है और दर्द में राहत मिलती है। 

            गुड़ में खून के लिए जरूरी लौह तत्व भरपूर मात्रा में होता है। अतः इसे खून की कमी वाले मरीजों को खाना चाहिए। गुड़ खाने से खून के विषाक्त तत्व साफ हो जाते हैं, जिससे त्वचा में निखार आता है और कील मुहांसों की समस्या भी दूर रहती है। सर्दी खांसी में भी गुड़ खाने से राहत मिलती है और चाय में या लड्डू में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

       गुड़ खाने से हमें ऊर्जा मिलती है, जब भी थकान या कमजोरी लगे तो गुड़ खाने से तुरंत आराम मिलता है। दमा के मरीजों को गुड़ का सेवन फायदेमंद रहता है। 

          चीनी को सफेद जहर कहा जाता है जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है, क्योंकि गुड़ खाने के बाद यह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है ( इसीलिए वागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है ), जबकि चीनी अम्ल पैदा करती है, जो शरीर के लिए हानिकारक है। 

      गुड़ को पचाने में शरीर को यदि १०० कैलोरी ऊर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में ५०० कैलोरी खर्च होती है। गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फास्फोरस भी होता है, जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और अस्थियों को बनाने में सहायक होता है। जबकि चीनी को बनाने की प्रक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फास्फोरस जल जाता है।

       चीनी में कोई प्रोटीन नहीं, विटामिन नहीं, कोई सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं होता, केवल मीठापन है और वह मीठापन भी शरीर के काम का नहीं होता है, इसलिये अच्छे स्वास्थ्य के लिए गुड़ का उपयोग करना चाहिए। 

           गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन और कुछ मात्रा में कॉपर जैसे स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ होते हैं। आँकड़ों के अनुसार गुड़ में ब्राउन शुगर की अपेक्षा पाँच गुना अधिक और शक्कर की अपेक्षा पचास गुना अधिक मिनरल्स होते हैं। गुड़ की न्यूट्रीशन वैल्यू शहद के बराबर है। 

      बच्चे के जन्म के बाद माता को गुड़ देने से कई बड़ी बीमारियां दूर होती हैं। यह मिनरल्स की कमी को दूर करता है। बच्चे के जन्म के ४० दिनों के अन्दर माता के शरीर में बनने वाले सभी ब्लड क्लाट्स को खत्म करता है। गुड़ आधे सिर के दर्द से बचाव करता है, स्त्रियों में मासिक धर्म से सम्बंधित परेशानियों को ठीक करता है और शरीर को ठंडा रखता है।

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