मुनेश त्यागी
18 जुलाई का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। जब हमारे देश में सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष ने अपनी अपनी अहमियत दिखाई। विपक्ष ने ऐतिहासिक काम करते हुए, 26 दलों ने लोकसभा के चुनाव के लिए यूपीए का नाम बदलकर इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस यानी “इंडिया” करने की घोषणा की। इसके मुकाबले में सत्ता पक्ष ने 39 पार्टियों की एनडीए की मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष की एकजुटता को राष्ट्र की राष्ट्र के लिए खतरा और सत्ता की मजबूरी वाला गठबंधन बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सत्ता की मजबूरी, भ्रष्टाचार की नियत, परिवारवाद की राजनीति पर आधारित और जातिवाद व क्षेत्रवाद से प्रेरित गठबंधन ने हमेशा देश को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने विपक्षी एकता को भ्रमित करने वाला करार बताया है। प्रधानमंत्री ने विपक्षी गठबंधन को नकारात्मक राजनीति करने वाला गठबंधन बताया है।प्रधानमंत्री ने विपक्षी एकता पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि यह कट्टर भ्रष्टाचारियों का सम्मेलन है। भ्रष्टाचार की इस दुकान में जुटे ये सभी परिवारवाद के कट्टर समर्थक हैं। इनका मंत्र है,,, न खाता न बही, जो परिवार कहे वही सही।
जबकि 26 दलों ने एकजुट होकर एक विपक्षी गठबंधन बनाया है, जिसका नाम इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलाइंस यानी “इंडिया” रखा है। विपक्ष की बैठक में पारित सामूहिक संकल्प में सभी दलों ने देश की जातिगत जनगणना की मांग की है। इस संकल्प में कहा गया है कि सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के सभी लोगों की आवाज सुने जाने के लिए यह जरूरी है। भारतीय संविधान के आधारभूत स्तंभ धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, आर्थिक स्वायत्तता, सामाजिक न्याय और संघवाद को व्यवस्थित रूप से और खतरनाक तरीके से खत्म किया जा रहा है, उस पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। इस बैठक में सभी विपक्षी दलों ने देश हित में अपने सारे मतभेद भुला दिए और इस बैठक में कहा गया है कि हमारा लक्ष्य संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय को बचाना है।
नए गठबंधन को लेकर समाज में कई तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली जिसमें अधिकांश लोग नए गठबंधन के बनने से खुश थे जैसे उनके जीवन में जीत की नहीं लहर दौड़ गई है। उनकी आंखों में अति उत्साहवर्धक चमक, विश्वास और एक दूसरे के प्रति सहानुभूति थी, उनमें जैसे नए किस्म का आपसी भाईचारा और सौहार्द पैदा हो गया है, उनके बीच से जैसे जातिवादी और धार्मिक नफरत को बढ़ाने वाली नफरत की आंधी हवा में उड़ गई है, उन्हें जैसे एक नया जीवन, नयी दिशा और एक नया उद्देश्य मिल गया है। उन सभी का कहना था कि हम सब मिलकर नए गठबंधन के कार्यक्रम के अनुसार काम करेंगे और देश को भाजपा और आरएसएस के कुशासन से मुक्त कराने के लिए सारे मतभेद भुलाकर तन मन और धन से काम करेंगे।
नया गठबंधन बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इस नए गठबंधन पर हमला किया है, इसे मजबूरी वाला गठबंधन बताया है, इसे भ्रष्टाचार को बढ़ाने वाला, परिवारवाद, जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ाने वाला बताया है और जिस तरह से उन्होंने तंज कसा है कि यह गठबंधन कट्टर भ्रष्टाचारियों का सम्मेलन है और भ्रष्टाचार की इस दुकान में जुड़े ये सभी परिवारवाद के कट्टर समर्थक हैं। भाजपा के कई अन्य मंत्री, सांसद और पदाधिकारी इस गठबंधन बनने से खुश नहीं हैं। वे भी इस गठबंधन के बारे में अनाप-शनाप शब्द बोल रहे हैं।
प्रधानमंत्री के इस आश्चर्यचकित करने वाले बयान से लोग बिल्कुल भी खुश नहीं थे। उनका कहना था कि यह किसी देश के प्रधानमंत्री का बयान नहीं हो सकता, इसकी भाषा संयत नहीं है, इसकी भाषा अपमानित करने वाली है, अपमानजनक और डेफेमेटरी है और देश की सकारात्मक राजनीति के खिलाफ है। उन सभी का कहना था कि भारत के प्रधानमंत्री को ऐसी घटिया स्तर की भाषा प्रयोग नहीं करनी चाहिए और उन्हें प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। उन सभी का एकजुट होकर जोरदार तरीके से कहना था कि इस नए गठबंधन से प्रधानमंत्री और कई अन्य मंत्री भी बौखला गए हैं, कि जैसे नये गठबंधन ने उनकी सत्ता छीनने का काम शुरू कर दिया है और इस वजह से उनकी निजी सत्ता छिनने जा रही है, यह डर उन्हें सताने लगा है।
इसी के साथ साथ हमने देखा कि सम्मान और अभिवादन के शब्द ने आज एक नया जन्म लिया है। आज ज्यादातर लोग एक दूसरे का अभिवादन करने के लिए “जय इंडिया, जय इंडिया” पुकार रहे थे और उनके चेहरों पर खुशी थी, हंसी थी और ऐसा लगा कि जैसे नए गठबंधन के नए नाम ने, लोगों को हंसने और एकजुट होने का एक नया बहाना दे दिया है, एक दिशा दे दी है और उनकी नई कार्य नीति तय कर दी है। सच में यह शब्द जनता के बीच में एक नया पुल बनने का काम कर रहा है और अलग-अलग फिरकों, जातियों और धर्मों में बंटी जनता को, यह नया शब्द “इंडिया” एक दूसरे को जोड़ रहा है।