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जय श्रीराम राजनीतक सफलता की जय सीढ़ी राम

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(राम नाम सत्य करने वाला है यूनिकॉर्न का मामला)
~ पुष्पा गुप्ता

 _एक टीवीन्यूज चैनल इंटरव्यू में राहुल गांधी ने शंका जताई कि पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद यूनिकॉर्न का मतलब नहीं जानते हैं। इसपर वे राहुल गांधी के ज्ञान पर सवाल उठा बैठे और असली पप्पुओं के एक बड़े नेता ने अपनी पोल खुद खुलवा ली। इससे पहले शाहनवाज हुसैन कह चुके थे डिजिटल इंडिया में कैश की क्या जरूरत है? इसके बाद जो हुआ वह और दिलचस्प है।_
  1. राहुल गांधी यूनिकॉर्न कंपनी का मतलब नहीं जानते हैं। एक अरब डॉलर का राजस्व कमाने वाली कंपनी को यूनिकॉर्न कहा जाता है। भारत में हमारे पास कई यूनिकॉर्न हैं। – रविशंकर प्रसाद, भाजपा सांसद और भारत के पूर्व सूचना तकनालाजी मंत्री
  2. राजस्व और मूल्यांकन में अंतर है। पहले इसे समझिये और फिर यूनिकॉर्न मुद्दे पर चर्चा के लिए स्टूडियो में आइएगा। – राहुल गांधी

3.कारोबार में निजी स्वामित्व वाली ऐसी स्टार्ट अप कंपनी यूनिकॉर्न होती है जिसका मूल्यांकन एक बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा हो। यह शब्द (टर्म) पहली बार 2013 में प्रकाशित हुआ था {विकीपीडिया].
वैसे तो यह सब अंग्रेजी का मामला है पर बहुत आम विषय है इसलिए हिन्दी के पाठकों को भी समझना चाहिए कि अपने पूर्व मंत्री और पप्पू बनाने का शौक रखने वाले नेता तथा उनकी पार्टी को अपने प्रमुख पप्पुओं के ज्ञान की परीक्षा लेकर मैदान में उतारना चाहिए। रविशंकर प्रसाद ने राजस्व कमाने की बात की है जबकि राजस्व कमाया नहीं जाता है राजस्व होता है और कमाई वह होती है जो सब काट कर बचता है।

टर्नओवर को कमाना नहीं कह सकते भले उतना पैसा खाते में आता है। वैसे भी कंपनी का मूल्यांकन ज्यादा हो और कारोबार कम या कारोबार ज्यादा हो मूल्यांकन कम दोनों संभव है। पर मोटी बुद्धि वाले लोग शायद इसी कमाई पर आयकर खोजते हैं और कहते हैं कि भारत में लोग आयकर नहीं देते हैं और नोटबंदी जैसे कदम से इसीलिए फायदा नहीं हुआ क्योंकि पूरा मामला लगता है पता ही नहीं है।
वैसे भी यह जरूरी नहीं है कि कानून जानने वाला अर्थशास्त्र समझे पर एंटायर पॉलिटिकल साइंस की बात अलग है।
Peri Maheshwer जी ने सही लिखा है, “राहुल गांधी को यूनिकॉर्न नहीं पता हो तो कोई दिक्कत नहीं है। वे सरकार में नहीं है और नीतियां तय नहीं करते हैं। वे अपनी गलत जानकारी के आधार पर सरकार की आलोचना भी कर सकते हैं, सरकार सही जानकारी के आधार पर उन्हें सुधार सकती है।
लेकिन पूर्व मंत्री को जानकारी नहीं है इसका मतलब उनने कैसे काम किया – यह सवालों में है। यूनिकॉर्न के संबंध में रविशंकर प्रसाद की अज्ञानता बहुत भयंकर है।
एक कंपनी जब बहुत अच्छा कर रही थी तो उसका कारोबार (टर्नओवर) 100 करोड़ (एक अरब) रुपए था और मूल्यांकन 30,000 करोड़ या 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर।”
मैं यह सोचकर कांप जाती हूं कि ऐसी समझ पर उन्होंने कैसे नीतिगत उपायों को मंजूरी दी होगी।
जय श्रीराम असल में मंत्री बनने के लिए जय सीढ़ी राम है।
(चेतना विकास मिशन)

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