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जेम्स वेब टेलीस्कोप ने ब्लैक होल और नए तारों के बनने के चित्र खींचा !

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 -निर्मल कुमार शर्मा

 पिछले वर्ष 2021के 25 दिसम्बर को जब से आधुनिकतम् जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप या James Webb Space Telescope को ताकतवर एरियन 5 राकेट से दक्षिण अमेरिका में फ़्रांसीसी क्षेत्र में स्थित फ्रांसीसी गुयाना के कौरो के उत्तर-पश्चिम में स्थित अमेरिका के समुद्री तटीय स्पेस स्टेशन फ्रेंच गुयाना स्पेस स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया,तब से यह आधुनिकतम् जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप नित नए अन्वेषण कर रहा है

            अभी दुनिया भर के समाचार संस्थानों में 

 जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा ली गई एक शानदार तस्वीर की खूब शोहरत हो रही है,जिसमें बताया जा रहा है कि इस टेलीस्कोप ने एक दुर्लभ गैलेक्सी का पता लगाया है,जो रथ के पहिए जैसी दिखाई दे रही है या यूं कहें चक्र की तरह है। इस गोलाकार आकाशगंगा के अंदर तारे का निर्माण भी हो रहा है। वैज्ञानिकों ने इस गैलेक्सी को कार्टह्वील गैलेक्सी या Cartwheel Galaxy नाम दिया है,क्योंकि इस गैलेक्सी का आकार ठीक एक तांगे या रथ के पहिए जैसे दिखाई दे रहा है ! ये कार्टह्वील गैलेक्सी एक बड़ी स्पाइरल गैलेक्सी या Big Spiral Galaxy और एक छोटी स्पाइरल Small Spiral Galaxy गैकेक्सी के टकराने से बनी है।

              जेम्स वेब टेलिस्कोप के Near Infrared Camera और MIRI मतलब इनमें इमेजिंग,लो रिजोल्यूशन स्पेक्ट्रोस्कोपी,मीडियम रिजोल्यूशन स्पेक्ट्रोस्कोपी और कोरोनाग्राफिक इमेजिंग या These Include Imaging,Low Resolution Spectroscopy, Medium Resolution Spectroscopy and Coronagraphic Imaging शामिल हैं,ने गैलेक्सी के अंदर बहुत से तारों के निर्माण की तस्वीर ली हैं। कार्टव्हील गैलेक्सी के केंद्र में विशालकाय ब्लैक होल भी अपनी शुरूआती निर्माण अवस्था में है,जिसके चारों तरफ तारों का निर्माण हो रहा है। इनके बीच में धूल है जो तेजी से घूम रही है।

             जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप अंतरिक्ष को लेकर अक्सर नए-नए अन्वेषण कर रहा है। इस बार इस टेलीस्कोप ने जो बिल्कुल नई जानकारी दी है उससे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भी स्तब्ध कर दिया है ! जब वैज्ञानिकों ने इस अद्भुत टेलीस्कोप के जरिए ब्रह्मांड की शुरुआत के हालात को देखने की कोशिश की तो उन्हें अद्भुत नजारा देखने को मिला। 

        उन्होंने देखा कि एक ब्लैक होल के भीतर बन रहे लाल आभा पुंज यानी क्वासर या Quasarमें कई आकाशगंगाएं एक दूसरे में समा रही हैं यानी Galaxies are Collapsing into each – other इस निष्कर्ष से यह अध्ययन करने का एक अभूतपूर्व अवसर मिलेगा कि कैसे अरबों साल पहले आकाशगंगाओं ने आधुनिक ब्रह्मांड में विलय किया होगा !

             यह गैलेक्सीज धरती से 50 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर एक स्क्लप्चर नक्षत्र या Sculpture Constellation में मौजूद है। यह एक बेहद दुर्लभ प्रकार की गैलेक्सी है। ऐसा इसकी आकृति की वजह से है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार कार्टव्हील गैलेक्सी भी हमारी आकाशगंगा की तरह ही स्पाइरल थी,लेकिन 70 से 80 करोड़ प्रकाश वर्ष पहले यह एक और गैलेक्सी से टकरा गई,फिर इसका आकार बदल गया। अब यह रथ के पहिए की तरह गोलाकार या Spherical like a Chariot Wheel के आकार की तरह हो चुकी है !

           कार्टव्हील गैलेक्सी में अब दो रिंग्स बने हैं। एक जिसने गैलेक्सी के मध्य को घेर रखा है। दूसरा उसके चारों तरफ बड़ा घेरा,दोनों घेरे इस तरह से बने हैं जैसे तालाब में पत्थर डालने के बाद लहरें निकलती हैं ! बाहर की लहर गैस और धूल को अंतरिक्ष में बाहर निकालती रहती है। इस गैलेक्सी में जहां भी नए तारों का निर्माण हो रहा वह स्थान नीली रोशनी से दिखाए गए हैं।

           अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार इस  गैलेक्सी की बाहरी रिंग पिछले 44 मिलियन साल मतलब 440 लाख वर्षों से फैल रही है। इस तस्वीर में दो आकाशगंगाएं है जो आपस में टकरा रही हैं। इससे तूफानी रफ्तार से नए तारों का निर्माण हो रहा है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि इस टक्कर के केंद्र में एक सुपर मैसिव ब्लैक होल या Super Massive Black Hole बन सकता है ! ये वही जगह है,जहां सितारों का जन्म होता है और यहीं पर सितारों में विस्फोट भी होता है। जैसे ही रिंग बढ़ता है, वह गैस से टकराता है, जिससे नए सितारों का जन्म होता है। इस तस्वीर में गैलेक्सी के पास दो छोटी गैलेक्सी भी दिखाई दे रहीं हैं।

             लेकिन अभी और बहुत से अन्वेषण होने शेष हैं,अंतरिक्ष वैज्ञानिक जकामस्का के अनुसार दुर्लभ लाल और तेज रोशनी फेंक रहे क्वासर के केंद्र में एक बड़ा ब्लैक होल है। जो लगभग 11.5 अरब वर्ष पुराना है और इतनी दूरी से देखे जाने वाला सबसे शक्तिशाली ब्लैक होल्स में से एक है।According to Space Scientist Jakamska, there is a Large Black Hole at the Centre of the Quasar, emitting rare red and bright light. Which is about 11.5 billion years old and is one of the Most Powerful Black Holes seen from such a distance. 

            यह यकीनन एक ब्लैक होल बनने की शुरुआती प्रक्रिया है। वायनर के अनुसार ये अपने चारों ओर की गैस को खा कर अपने द्रव्यमान को तेजी से बढ़ा रहा है। पृथ्वी और ब्लैक होल के पास चमकती गैस के बीच धूल और गैस के बादल क्वासर को लाल रंग दे रहे हैं। अंतरिक्ष वैज्ञानिक जकामस्का के अनुसार अभी जो हम देख रहे हैं वह बहुत बड़े डाटा सेट का एक बहुत छोटा सा हिस्सा मात्र है। यहां बहुत कुछ चल रहा है इसलिए हमने सबसे पहले इस बात पर प्रकाश डाला कि वास्तव में यहां सबसे बड़ा आश्चर्यजनक क्या-क्या है रहा है !

ये आकाशगंगाएं अपने जीवनकाल के खास क्षण में हैं। 

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        आकाशगंगाओं के विकास का अध्ययन करने वाले जॉन्स हॉपकिन्स पोस्ट डॉक्टरल फेलो और सह-लेखक एंड्री वेनर या Johns Hopkins Postdoctoral Fellow and Co-Author Andrey Weiner studying the Evolution of Galaxiesने बताया कि हमें लगता है कि यहां पर बहुत कुछ नाटकीय होने वाला है। ये  आकाशगंगाएं अपने जीवनकाल के खास क्षण में हैं या These Galaxies are at a Special Moment in Their Lifetime.कुछ अरब वर्षों में ये पूरी तरह से बदलने और अलग दिखने वाली हैं।  

              ब्रह्मांड के बारे में समझ बदलने वाली तस्वीर सह-प्रमुख अन्वेषक नादिया एल जकामस्का ने कहा कि पिछली छवियों के साथ हमने सोचा था कि शायद आकाशगंगा एक-दूसरे से बातचीत कर रही थीं, क्योंकि उनकी आकृतियां विकृत हो जाती थीं, लेकिन वेब टेलिस्कोप से मिले डाटा को देख कर हम हैरान हैं। जेम्स वेब टेलीस्कोप ने कम से कम तीन आकाशगंगाओं को अविश्वसनीय रूप से तेजी से आगे बढ़ने का खुलासा किया है

           इससे पता चलता है कि इन आकाशगंगाओं में बड़ी मात्रा में द्रव्यमान मौजूद है। बता दें कि जॉन्स हॉपकिन्स की एस्ट्रोफिजिसिस्ट जकामस्का ने 2017 में तत्कालीन जॉन्स हॉपकिन्स पोस्टडॉक डोमिनिका वायलेज़ेलक के साथ परियोजना पर काम किया था और अब वह हीडलबर्ग विश्वविद्यालय में ग्रुप लीडर हैं या Johns Hopkins Astrophysicist Jakamska worked on the Project in 2017 with then-Johns Hopkins Postdoc Dominika Wielzelek and is now Group Leader at Heidelberg University.

               इस अद्भुत खगोलीय परिघटना में दो आकाश गंगाएं एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव में फंसी हुई हैं। दोनों के स्पाइरल आपस में मिल रहे हैं और एक समान केंद्र की ओर बढ़ रहे हैं। अंत में ये आकाशगंगा एक बड़ी आकाशगंगा का निर्माण करेगी। आस-पास के यूनिवर्स में बड़ी और जटिल सर्पिल आकाशगंगाएं शायद इसी तरह की टक्कर से बनी होंगी। जेम्स वेब ने इन्फ्रारेड टेक्नोलॉजी के जरिए इस तस्वीर को बनाया है। वैज्ञानिकों ने कहा कि टेलीस्कोप की क्षमता को परखने के लिए ये सबसे अच्छा आधार रहा है।

                 दो गैलेक्सीस के मिलन को खगोलविद लंबे समय से देख रहे हैं। हबल समेत अन्य टेलीस्कोप ने पहले भी इसकी फोटो खींची थी। लगातार बन रहे तारों से बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकल रही है। गैलेक्सी के आगे धूल की एक मोटी पट्टी है, जिसके कारण हबल टेलीस्कोप इसे साफ नहीं देख पा रहा था, लेकिन जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की इन्फ्रारेड टोक्नोलॉजी से ये साफ-साफ दिखाई दिया है या This is Clearly Visible from the Infrared Technology of the James Webb Space Telescope. इन आकाशगंगाओं का विलय बहुत चमकदार है !

     पिलर्स ऑफ क्रिएशन की भी फोटो खींची

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            जेम्स वेब टेलीस्कोप ने हाल ही में पिलर्स ऑफ क्रिएशन या The Pillars of Creation की एक बहुत ही बेहतरीन तस्वीर खींची थी। यह तारे के बीच धूल और गैस से बने हुए तीन टावरों का एक दृश्य है। पिलर्स ऑफ क्रिएशन हमारी ही आकाश गंगा में ईगल नेबुला में है या The Pillars of Creation is in the Eagle Nebula in Our Own Galaxy. इमेज में गैस और धूल से बने घने बादल देखने को मिले। ये पिलर्स ऑफ क्रिएशन लगभग 6,500 प्रकाश वर्ष दूर हैं। इन पिलर्स में चमकीले लाल धब्बे देखने को मिले हैं। नासा के मुताबिक यहां तारे बन रहे हैं और ये उनकी गर्मी और चमक है या According to NASA, Stars are Forming Here and This is Their Heat and Brightness.

              इस समस्त विश्व के सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों को इस बात की उम्मीद रखनी चाहिए कि मानव प्रजाति की आदिकाल से इस बात की अदम्य इच्छा रही है कि हमारे अंतरिक्ष की सूदूर गहराइयों में हमारी पृथ्वी जैसे जीवन के स्पंदन से युक्त किसी ग्रह पर हम मानवों से मिलते -जुलते कहीं इंसान बसते हैं या नहीं ! इस बात की अब आशा बंधने लगी है, क्योंकि जब से हजारों अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के सहयोग और कठोर परिश्रम से बना ये आधुनिकतम् जेम्स वेब टेलीस्कोप अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है,तब से यह आधुनिकतम् जेम्स वेब टेलीस्कोप लगभग बहुत ही अल्प समयांतराल के बाद अंतरिक्ष की सुदूर गहराइयों में अनसुलझी गुत्थियों को लगातार सुलझाता चला जा रहा है, इससे ऐसी उम्मीद है कि यह एक न एक दिन अंतरिक्ष में बसे एलियंस से युक्त ग्रहों का भी यह पता लगा ही लेगा ! यह भी संभव है कि वर्तमान जेम्स वेब टेलीस्कोप की अगली पीढ़ी का टेलीस्कोप इस काम को निकट भविष्य में सफलतापूर्वक अंजाम दे दे ! ऐसी आशा रखनी ही चाहिए !

        -निर्मल कुमार शर्मा ‘गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक,सामाजिक, राजनैतिक, पर्यावरण आदि विषयों पर स्वतंत्र,निष्पक्ष, बेखौफ,आमजनहितैषी,न्यायोचित व समसामयिक लेखन,संपर्क-9910629632

 

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