पटना : हमने कह दिया है कि सभी बूथों की लिस्ट मंगाइए। जो वोट मिले हैं उसकी समीक्षा हो। कहां चूक रह गई तथा असंतोष रहा, इसकी पूरी पड़ताल करें। सरकार की योजनाओं से लोगों में नाराजगी है या कोई कंफ्यूजन है, इन तमाम बातों की समीक्षा करें। उपरोक्त बयान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है। नीतीश कुमार ने जेडीयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुढ़नी हार पर बोलते हुए पार्टी पदाधिकारियों को ये आदेश जारी कर दिया। नीतीश कुमार के इस बयान में सियासी खीज दिख रही है। वे कुढ़नी की हार से क्षुब्ध हैं। महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद जेडीयू को पूरा विश्वास था कि कुढ़नी जीत लेंगे। हुआ उसका ठीक उल्टा। बीजेपी अपने कोर वोटरों के बल पर कुढ़नी की जीत ले गई। वीआईपी और ओवैसी की पार्टी भी बीजेपी के विजय रथ को रोक नहीं पाई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर जेडीयू से गलती कहां हुई? चुनाव तो पूरी प्लानिंग के साथ लड़ा गया था। आखिर चूक कहां हो गई?
टेस्ट में फेल जेडीयू
गोपालगंज और मोकामा उपचुनाव के बाद कुढ़नी महागठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट की तरह था। राजद ने जेडीयू के लिए ये सीट छोड़ दी थी। जेडीयू ने वैश्य उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा था। जेडीयू ने अपने हिसाब से गुणा-गणित लगा लिया था। जेडीयू के आधार वोट में वैश्य और अति-पिछड़ा वोट शामिल हैं। इधर, राजद के समर्थन से जेडीयू को विश्वास था कि कुढ़नी सीट पार्टी निकाल लेगी। उपचुनाव से ठीक पहले कुढ़नी में बीजेपी सांसद अजय निषाद ने अति-पिछड़ा वोटों को बीजेपी के पक्ष में गोलबंद कर दिया। जेडीयू के आधार वोट पूरी तरह खिसक गए। अब परिणाम के बाद राजद मन ही मन मुस्कुरा रही है। सियासी जानकार मानते हैं कि बीजेपी ने बड़ी चाल चली। बीजेपी को पता था कि जेडीयू को घमंड अपने आधार वोट अति-पिछड़ा को लेकर है। बीजेपी ने सांसद अजय निषाद को इस अभियान में लगा दिया। अजय निषाद ने मल्लाह वोटरों को सबसे पहले वीआईपी में जाने से रोका। उसके साथ अति-पिछड़ा वोटरों को मनोज कुशवाहा के खिलाफ भड़का दिया।
आधार वोट खिसका
जानकारों की मानें, तो जेडीयू के आधार वोट पर सबसे पहले बीजेपी ने हमला किया। मतदान के ठीक एक दिन पहले कुढ़नी के कई इलाकों में देर रात बैठक चली, जिसमें अति-पिछड़ा वोटरों ने मनोज सिंह कुशवाहा का बहिष्कार करने का मन बना लिया। वहीं, स्थानीय जानकारों ने कहा कि तेजस्वी यादव के उम्मीदवार का नहीं होना भी अति-पिछड़ा वोटों को भड़का गया। राजद के समर्थक वोटर अंत समय में बीजेपी की तरफ शिफ्ट होने लगे। कुल मिलाकर कुढ़नी में अति-पिछड़ा वोटरों ने बीजेपी का समर्थन किया। कहा जा रहा है कि जेडीयू की हार के बाद राजद अंदर ही अंदर काफी खुश है। क्योंकि, महागठबंधन में दल मिले हैं, कार्यकर्ताओं के दिल नहीं मिले हैं। सियासी जानकारों की मानें, तो पूर्व विधायक अनिल सहनी का नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगना कहीं न कहीं राजद के किसी बड़े नेता के इशारे पर संभव हुआ है। अनिल सहनी की इतनी सियासी हैसियत नहीं है कि बिना किसी सपोर्ट के नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग कर दें।
कहीं खुशी, कहीं गम
उधर, कुढ़नी में जेडीयू की हार से बीजेपी उत्साहित है। परिणाम के दिन ही सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग दिया। हार से बौखलाई जेडीयू चारों तरफ से घिरती नजर आई। जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा इसे बीजेपी की चालबाजी बताने लगे। उपेंद्र कुशवाहा ने जनता के हिसाब से चलने की बात कह दी। वहीं, नीतीश कुमार के पूर्व करीबी आरसीपी सिंह ने ललन सिंह पर हार का ठिकरा फोड़ दिया। चारों तरफ से सवालों से घिरे नीतीश कुमार अभी तक मीडिया के सामने आकर सफाई नहीं दे पाये हैं। वहीं, जेडीयू की ओर से कहा जा रहा है कि मीडिया एकतरफा काम कर रही है। बीजेपी की हिमाचल और एमसीडी में हार हुई है, उसे बिल्कुल नहीं दिखाया जा रहा है। सारा ध्यान कुढ़नी में जेडीयू की हार पर फोकस किया गया है। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुढ़नी में हार की समीक्षा को लेकर नीतीश ने जो आदेश दिये, उसे लेकर पार्टी एक्टिव हो गई है। जेडीयू ने हार की समीक्षा की सियासी कवायद शुरू कर दी है।
सोशल मीडिया पर सियासत
कुढ़नी की हार को अब सोशल मीडिया के जरिये जस्टिफाई करने का खेल जारी है। नीतीश कुमार के आदेश के बाद पार्टी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कुढ़नी में मिली हार अपनी सफाई दी है। जेडीयू ने अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा है कि भाजपा के डाउन फॉल को भी पैसे और प्रचार से ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे मीडिया की टीआरपी मोदी जी की झूठी लोकप्रियता से बढ़ती है।जबकि हाल ही में हुए 10 जगहों के चुनाव में भाजपा को 7 जगह जनता ने नकार दिया। प्रोपगेंडा आधारित भाजपा का सच कुछ और ही है।लेकिन सच सुपाच्य नहीं होता।इसीलिए कुढ़नी के नाम पर नीतीश कुमार जी को ही निशाना बनाकर भाजपा अपनी बदहज़मी का प्रदर्शन कर रही है। कुल मिलाकर एक बात तो तय है कि नीतीश कुमार अपने आधार वोट के खिसकने के बाद काफी आहत हैं