इंदौर के पार्षद कमलेश कालरा के घर हमले का षड्यंत्र रचने वाले दूसरे पार्षद जीतू यादव के बारे में नित नए खुलासे हो रहे हैं। इसी के साथ बीजेपी में उसके सरपरस्त भी बेनकाब हो रहे हैं। देशभर में पार्टी की किरकिरी करानेवाले जीतू यादव को अब भाजपा ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। सच्चाई ये है कि यह काम ढाई साल पहले टिकट वितरण के दौरान ही हो जाता लेकिन दो नंबरी खेमे के बड़े नेता अड़ गए थे। भोपाल में दबाव बनाने के बाद जीतू यादव के नाम पर मुहर लग गई थी। उस दौरान गैंगस्टर युवराज उस्ताद की पत्नी का टिकट काटा गया था।
रडार पर आएंगे कई पुलिस अफसर
पार्षद कालरा के परिवार के साथ हुए जीतू के विवाद और इससे संबंधित सभी घटनाक्रमों पर सत्ता और भाजपा संगठन नजर बनाए हुए है। मंशा साफ है कि पूरी जांच स्पष्ट और साफ-सुथरी हो ताकि भविष्य में सवाल खड़े न हों। इसके चलते पुलिस कार्रवाई पर भी पूरी नजर रखी जा रही है।
केस से संबंधित कुछ पुलिस अफसरों की शिकायत भी की गई है, जो मामले में कार्रवाई करने से बच रहे हैं। भाजपा का एक गुट शिकायत करने की तैयारी कर रहा है ताकि दोषियों को सजा मिल सके और कार्रवाई मिसाल बने।
आकाश विजयवर्गीय ने गैंगस्टर की पत्नी का दिया नाम
जून 2022 में नगर निगम चुनाव को लेकर भाजपा में टिकट वितरण को लेकर मंथन चल रहा था। उस दौरान क्षेत्र तीन के तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय ने वार्ड-56 से गैंगस्टर युवराज उस्ताद की पत्नी स्वाति काशिद का नाम रखा था तो दो नंबरी नेताओं ने वार्ड-24 से जीतू का सिंगल नाम दिया। जैसे ही काशिद को टिकट देने की बात सामने आई, बवाल खड़ा हो गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर टिकट बदलकर गजानंद गावड़े के नाम की घोषणा की गई।
इधर जीतू के भी आपराधिक रिकॉर्ड सामने आ गए और उसकी टिकट को लेकर कुछ नेताओं ने पार्टी के आला नेताओं को आपत्ति दर्ज कराई। जैसे ही विरोध तेज हुआ, वैसे ही दो नंबरी नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया। विवाद की स्थिति में सूची भोपाल तक पहुंची, जहां जीतू के आकाओं ने दबाव बनाकर टिकट घोषित कर दिया। उस दौरान टिकट काट दिया गया होता तो आज देशभर में भाजपा की किरकिरी नहीं हो रही होती।
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