क्रियायोग अभ्यास की वैज्ञानिक प्रविधि से प्रभावित होकर जो बाइडन प्रशासन की सैन्य अधिकारी हानाई आकचकच त्रिवेणी में डुबकी लगाने के साथ ही सनातन संस्कृति अपनाने भारत आईं। उन्होंने सेना की वर्दी उतारकर जोगिया वस्त्र धारण कर लिया। जल्द ही उनका नया नामकरण होगा।वह बताती हैं, क्रियायोग से प्रभावित होकर 2018 में पहली बार भारत आई थीं। वह मांसाहार भी करती रही हैं, लेकिन अभ्यास से उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। शनिवार को प्रयागराज पहुंचने के बाद उन्होंने बातचीत में अपनी भावना को साझा किया।
अमेरिका के बोस्टन शहर की हानाई सेना के लेखा विभाग में अधिकारी हैं। बचपन से ही पढ़ाई में तेज हानाई घूमने और लिखने की शौकीन रही हैं। महंगे शौक उनकी जीवन शैली का हिस्सा रहे हैं। मां फातिमा और पिता मुहम्मद ने उन्हें बड़े दुलार से पाला।
वेल्स यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई करने वाली हानाई ने 2014 में सैन्य अफसर के रूप में कमान संभाली। वह अमेरिकी वित्त मंत्रालय में टैक्स एडवाइजर भी रही हैं। हानाई पहली बार यूट्यूब के जरिये आध्यात्मिक गुरु स्वामी योगी सत्यम के क्रियायोग अभ्यास से जुड़ीं और तभी से उनका मन माया-मोह से विरत होने लगा।
वह बताती हैं, क्रियायोग से प्रभावित होकर 2018 में पहली बार भारत आई थीं। वह मांसाहार भी करती रही हैं, लेकिन अभ्यास से उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। शनिवार को प्रयागराज पहुंचने के बाद उन्होंने अमर उजाला से बातचीत में अपनी भावना को साझा किया।
महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाली हानाई सनातन धर्म से प्रभावित होकर महाकुंभ में पूरी तरह सनातनी बन गई हैं। वह कहती हैं कि मन करता है कि अब भारत में ही रह जाऊं।
हानाई सनातन धर्म से पूरी तरह जुड़ चुकी हैं। क्रियायोग अभ्यास से उनका जीवन बदल गया। उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ने का मन बना लिया और अब वह यहीं रहना चाहती हैं।
-योगी सत्यम, अध्यक्ष, क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान
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