*कॉरपोरेट नीतियों को खत्म करो ; मेहनतकश जनता की आजीविका की रक्षा करो*
*इंदौर केंद्रीय श्रम संगठनों की संयुक्त अभियान समिति और संयुक्त किसान मोर्चा सेजुड़े संगठनों के आवाहन पर आगामी 26 नवंबर को संभाग आयुक्त कार्यालय पर दोपहर 12:00 बजे से 2:00 तक घटना दिया जाएगा और बाद मैं प्रदर्शन कर यापन दिया जाएगा तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य, सबको रोजगार, कर्ज मुक्ति, 4 श्रम संहिताओं की वापसी, निजीकरण का खात्मा, महंगाई पर रोक, अहिल्या पथ योजना रद्द करने, सोयाबीन 8000रू में खरीदी करने,186 किसानो का बकाया भुगतान करने आदि की मांग की जाएगी*
गौरतलब है कि पूरे भारत के मजदूर और किसान 26 नवंबर 2024 को अपनी मांगों के तत्काल समाधान को लेकर देश के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे। चार साल पहले इसी दिन तीन काले कृषि कानूनों और चार श्रम संहिताओं के खिलाफ मजदूरों की देशव्यापी आम हड़ताल के साथ समन्वय बनाकर किसानों के महान संघर्ष की शुरुआत की गई थी। 26 नवम्बर इस महान संघर्ष की चौथी वर्षगांठ के महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करता है।
इंदौर म भी यह विरोध कार्रवाई 12 प्रमुख मांगों और 24 अगस्त 2023 को स्वीकृत किए गए मजदूरों और किसानों के मांगपत्र के साथ स्थानीय मांगों पर आधारित है।
उक्त जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चे के रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, अरुण चौहान, शैलेंद्र पटेल ,चंदन सिंह बडवाया और ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच के श्याम सुंदर यादव, कैलाश लिंबोदिया ,रुद्रपाल यादव, सोहनलाल शिंदे, हरि ओम सूर्यवंशी आदि ने बताया कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर सरकार की जन्म विरोधी किसान और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ इंदौर में भी जोरदार विरोध कार्यवाही की जाएगी दोपहर 12:00 बजे पूरे जिले के किसान और मजदूर संभाग आयुक्त कार्यालय पर इकट्ठा होंगे और केंद्रीय मांगों की अतिरिक्त स्थानीय मांग
को लेकर भी धरना प्रदर्शन करेंगे ।इस धरना प्रदर्शन की प्रमुख मांगे हैं । उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण बंद करने इंदौर में लाई जा रही अहिल्यापति योजना सहित तमाम उन योजनाओं को रद्द करने चीन में किसानों की उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है साथ ही सयाबीन की खरीदी ₹8000 प्रति कुंतल किए जाने किसानों को नीलगाय रोजड़ा से मुक्ति दिलाने और इसे बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिए जाने की मांग सहित सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ सी-2+50% पर न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करो ; श्रम का ठेकाकरण पर रोक लगाने, संगठित, असंगठित, योजना कर्मियों, ठेका मजदूरों और कृषि क्षेत्र सहित सभी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 26000 रुपये प्रति माह का न्यूनतम वेतन और 10000 रुपये प्रति माह पेंशन और सामाजिक सुरक्षा लाभ लागू करने,ऋणग्रस्तता और आत्महत्याओं को समाप्त करने के लिए किसानों और खेत मजदूरों के लिए सर्वसमावेशी ऋण माफी ; किसानों और मजदूरों के लिए कम ब्याज दरों पर ऋण सुविधाएं सुनिश्चित करने, रक्षा, रेलवे, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाओ। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को खत्म करने, कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर नहीं, कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली, घरेलू उपयोगकर्ताओं और दुकानों को प्रतिमाह 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने,डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम), राष्ट्रीय सहयोग नीति और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ आईसीएआर समझौते, जो राज्य सरकारों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और कृषि के निगमीकरण को बढ़ावा देते हैं, को खत्म करने, अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण को समाप्त करो और एलएआरआर अधिनियम 2013 और एफआरए को लागू करने, सभी के लिए रोजगार और नौकरी की सुरक्षा की गारंटी दो। मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दो। इसका शहरी क्षेत्रों में विस्तार करो। मनरेगा से ग्रामीण परिवारों को बाहर करने की प्रक्रिया को तुरंत वापस लो। लंबित मजदूरी का भुगतान करने फसलों और मवेशियों के लिए एक व्यापक सर्वसमावेशी सार्वजनिक क्षेत्र बीमा योजना लागू करने, फसल बीमा और सभी योजनाओं का लाभ बटाईदार किसानों के लिए भी सुनिश्चित करने,. महंगाई पर रोक लगाओ। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करो। सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सुनिश्चित करो। सभी के लिए 60 वर्ष की आयु में 10000 रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित करने, इसके लिए संसाधन जुटाने के लिए अति-धनवानों पर कर लगाने,. समाज में सांप्रदायिक विभाजन को रोकने के लिए सख्त कानून बनाओ और उनका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करो। संविधान में परिकल्पित धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा पर कायम रहने, लैंगिक सशक्तिकरण और फास्ट ट्रैक न्यायिक प्रणाली के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करो; दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों सहित हाशिए पर पड़े सभी तबकों के खिलाफ हिंसा, सामाजिक उत्पीड़न और जातिगत तथा सांप्रदायिक आधार पर भेदभाव को समाप्त करने आदि की मांग की जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियन की संयुक्त अभियान समिति के नेताओं ने बताया किमोदी सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के साथ 9 दिसंबर 2021 के लिखित समझौते का उल्लंघन किया है। यह वास्तविक आजीविका के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए लगातार सांप्रदायिक आधार पर मेहनतकश लोगों को ध्रुवीकृत करने और हिंसा भड़काने की कोशिश कर रही है।
इन मांगों पर नवंबर 2023 में महापड़ाव, 16 फरवरी 2024 को औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण बंद तथा उसके बाद भाजपा को बेनकाब करने और उसका विरोध करने के लिए चलाए गए अभियान ऐसे प्रमुख कारक थे, जिनके परिणामस्वरूप 18वीं लोकसभा चुनाव में एनडीए को निर्णायक झटका लगा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी सत्ता में आने के बावजूद एनडीए का वोट शेयर 46.3% से घटकर 39.9% रह गया है।
आम जनता का राजनीतिकरण करने के लिए पूरे भारत में जन संघर्षों को तेज करना ही सही रास्ता है, ताकि चुनावी संघर्षों में भी कॉर्पोरेट समर्थक राजनीतिक दलों को निर्णायक रूप से हराया जा सके।
दोनों मंच 7 से 25 नवंबर तक गांवों और कस्बों में वाहन जत्था, साइकिल जत्था, पदयात्रा, घर-घर जाकर पर्चे बांटने जैसे अभियान चला रहे हैं।
कृषि संकट से किसानों को मुक्ति दिलाने और मजदूरों को उनके संघर्षों में जीत दिलाने के लिए मजदूर-किसान एकता का निर्माण और उसे मजबूत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दोनों मंचों ने सभी तबकों – मजदूरों, किसानों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, हाशिए पर पड़े वर्गों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील व्यक्तियों से बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है।
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