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कल्पना सरोज : घरों में लगाया झाडू-पोंछा, आज हैं नौ सौ करोड़ की मालकिन

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श्किलें तो कई लोगों के जीवन में आती हैं, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग ही होते हैं, जो रास्ते के कंकड़ से ही अपना महल बना पाते मु हैं। ‘वह पथ क्या पथिक, कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूनाविक की धैर्य कुशलता क्या, जब धाराएं प्रतिकूल तिकूल न हों।। हिंदी के महान कवि जयशंकर प्रसाद की कविता की ये पंक्तियां महाराष्ट्र की कल्पना सरोज के जीवन पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं।

विदर्भ के एक गरीब दलित परिवार में जन्मी कल्पना सरोज को बचपन में सामाजिक प्रथाओं और कुरीतियों के कारण अन्याय सहना पड़ा। एक समय था, जब वह गोवर के उपले बनाकर बेचा करती थीं। उससे मिलने वाले थोड़े-बहुत पैसों से बड़ी मुश्किल से घर चल पाता था। महज दस वर्ष की उम्र में उनका विवाह उनसे उम्र में 10 साल बड़े शख्स से कर दिया गया। शादी के बाद कल्पना विदर्भ से मुंबई की झोपड़पट्टी में आ गईं। एक बहुत ही होनहार और अध्ययनशील बच्ची होने के बावजूद शादी के बाद वह अपनी पढ़ाई को आगे नहीं बढ़ा पाई। ससुराल में घरेलू हिंसा का शिकार भी होना पड़ा। लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई और आज असल जिंदगी की ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ कही जाती हैं। इसके अलावा उन्हें वर्ष 2013 में ‘पद्म श्री’ जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से भी नवाजा गया है और कोई बैंकिंग बैकग्राउंड न होने के बावजूद सरकारने उन्हें भारतीय महिला बैंक के बोर्डऑफ डायरेक्टर्स में शामिल कियाथा। आज, सरोज की कुल संपत्ति लगभग 900 करोड़ रुपये है। उनकी प्रेरणादायक यात्रा लाखों महिलाओं के लिए आशा की किरण है।

वर्षों से बंद पड़ी कंपनी में फूंकी जान

22 वर्ष की उम्र में कल्पना ने अपने बचाए हुए पैसों से अपने विजनेस को आगे बढ़ाने का सोचा। उन्होंने एक फर्नीचर स्टोर खोला। इसके बाद कल्पना ने स्टील फर्नीचर के एक व्यापारी से विवाह कर लिया, उनके जीवन में सबकुछ अच्छा चल रहा था, तभी वर्ष 1989 में उनके पति की मौत हो गई। उसके बाद उन्होंने एक ब्यूटी पार्लर भी खोला। इसी दौरान उन्हें पता चला कि 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। बस फिर क्या था, कल्पना ने इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाते हुए 1988 से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स की कमान अपने हांथों में लेकर उसमें जान फूंक दी। हालांकि, कई चुनौतियां सामने आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने कमानी ट्यूब्स को न सिर्फ आगे बढ़ाया, बल्कि करोड़ों रुपये की फायदे वाली कंपनी भी बना दिया।

घरों में किया झाडू-पोंछा, खुदकुशी की कोशिश की

बारह साल की उम्र में ही उन्हें घर की सफाई, खाना बनाना और झाडू-पोंछा जैसे काम करने पड़े। परिस्थितियों से परेशान होकर वे एक दिन किसी तरह जान बचाकर ससुराल से भागकर घर आ गईं।

कमानी ट्यूब्स की मालकिन कल्पना सरोज कभी झोपड़पट्टी में रहती थीं। घरेलू हिंसा की शिकार हुईं, आत्महत्या की कोशिश भी की, फिर अपने पैरों पर उठ खड़ी हुईं। अपनी मेहनत और लगन के दम पर बंद पड़ी कंपनी को करोड़ों रुपये के मुनाफे वाला संगठन बनाया…

जीवन की नई शुरुआत

सोलह साल की उम्र में कल्पना ने एक नए आत्मविश्वास और हौसले के साथ मुबंई लौटने का फैसला किया। किसी जान-पहचान वाले ने उनकी नौकरी एक गारमेंट कंपनी में लगवा दी। वहां उन्हें रोज दो रुपये की मजदूरी मिलती थी। उन्होंने काम को समझने की कोशिश की। वह समझ गईं कि गारमेंट सेक्टर में बहुत काम है। इसलिए कल्पना ने खुद का काम शुरू करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने सरकारी स्कीम का सहारा लिया और दलितों के लिए शुरू की गई योजना की सहायता से 50,000 रुपये का लोन लिया। इन पैसों से एक सिलाई मशीन और कुछ अन्य सामान खरीद कर एक बुटीक शॉप खोला। शॉप चल निकली तो कल्पना अपने परिवार वालों को भी पैसे भेजने लगी। उस समय उन्हें एक ब्लाउज सिलने के 10 रुपये मिलते थे। वह दिन में 17-18 घंटे काम करती और चार ब्लाउज सिलकर 40 रुपये कमाती थीं। जो कमाती उसमें से खुद के गुजारे के लिए रखकर, बाकी पैसे घर भेज देती थीं।

लेकिन, पंचायत ने कल्पना के ससुराल छोड़ने की सजा, कल्पना और उनके परिवार को दी और उनके परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया। इसके लिए कल्पना ने खुद को जिम्मेदार माना और खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन एक महिला ने उन्हें बचा लिया।

खुद का प्रोडक्शन हाउस भी

कल्पना ने कच्चे माल की सोर्सिंग से लेकर तैयार उत्पाद को बेचने और ग्राहक सेवा प्रदान करने के हर बारीक पहलुओं को सीखा। जल्द ही, उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार करना शुरू कर दिया और रियल एस्टेट के व्यवसाय में उतर गईं। उन्होंने केएस फिल्म प्रोडक्शन के नाम से अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस भी खोला, लेकिन जिस एक चीज के लिए वह प्रसिद्ध हुईं, वह थी ‘कमानी ट्यूब्स कंपनी’ की संकटग्रस्त संपत्ति खरीदना और कंपनी को करोड़ों के मुनाफे में लाना। अब एक गरीब लड़की एक अमीर सीईओ बन चुकी थी। आज उनके पास कमानी ट्यूब्स के अलावा, कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स, कल्पना एसोसिएट्स जैसी कई कंपनियों है। जिसकी नेटवर्थ हजारों करोड़ रुपये है।

युवाओं को सीख

■ सफल होने का सबसे अच्छा तरीका कभी हार न मानना और हमेशा प्रयास करते रहना है।

■ कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच के बदौलत आप जीवन में सफलता पा सकते हैं।

■ विपरीत परिस्थितियों को एक चुनौती की तरह लेकर सफलता की इबारत लिखी जा सकती है।

■ एक बड़े पहाड़ पर चढ़ने के बाद ही पता चलता है कि अभी ऐसे कई पहाड़ चढ़ने बाकी है। 

■ विश्वास वो शक्ति है, जिससे उजड़ी हुई दुनिया को भी प्रकाशित किया जा सकता है।

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