बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे देश की सबसे बड़ी पुरानी पार्टी के लिए नई उम्मीद बनकर आए हैं। दक्षिण भारत का द्वार कहे जाने वाले इस राज्य में कांग्रेस बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है। दक्षिण के दुर्ग में इस जीत के मायने भी बड़े हैं। जहां डीके शिवकुमार जीत के बाद भावुक होकर रो पड़े, वहीं राहुल गांधी जब मीडिया से मुखातिब हुए तो बार-बार नमस्कार किया। आखिर 2018 की तस्वीर को कांग्रेस ने कैसे पलट दिया? 2023 के चुनाव में ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस को 50 से ज्यादा सीटों की बढ़त मिल रही है। इसके लिए दो तस्वीरों को समझना होगा।
2018 के मुकाबले कांग्रेस को 56 सीटें ज्यादा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती चल रही है। चुनाव आयोग से मिले अपडेट के मुताबिक कांग्रेस 82 सीटों पर जीत चुकी है और 54 पर आगे चल रही है। यानी उसका आंकड़ा 136 पहुंच गया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 43 सीटों पर जीत चुकी है और 21 पर आगे चल रही है। यानी उसका आंकड़ा 64 पर है। जनता दल सेक्युलर 14 सीटों पर जीत चुकी है और 6 पर आगे चल रही है। यानी जेडीएस को 20 सीटें मिलती दिख रही हैं। नीचे के ग्राफ को देखें तो कांग्रेस को 43 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिल रहे हैं। वहीं बीजेपी को 35 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल हो रहे हैं। जेडीएस को 13.3 प्रतिशत वोट ही मिल पाया है।
कांग्रेस के वोट शेयर में 5 प्रतिशत के उछाल से पलटा खेल
इस तस्वीर की तुलना अगर 2018 के विधानसभा चुनाव से करें तो आपको इस बार के कर्नाटक चुनाव का फर्क समझ आ जाएगा। कांग्रेस को 80 सीटों के मुकाबले इस बार 56 सीटें ज्यादा मिलती नजर आ रही हैं। वहीं वोट शेयर की बात करें तो उसमें भी कांग्रेस के वोट शेयर में पांच प्रतिशत का स्विंग है। दूसरी ओर बीजेपी का वोट शेयर तकरीबन 2018 के मुकाबले है। पिछले चुनाव में बीजेपी को 36.35 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि इस बार उसका वोट शेयर 35.7 प्रतिशत है। कांग्रेस और बीजेपी में पांच प्रतिशत के फासले ने सीटों के अंतर को डबल कर दिया है। वहीं जेडीएस की बात करें तो उसे 2018 में 18.3 प्रतिशत वोट और 37 सीटें मिली थीं। वहीं इस बार जेडीएस के आंकड़े में सीधे पांच फीसदी की गिरावट है। सीटों के मामले में यह फासला 17 सीटों का हो गया है। 2018 के मुकाबले इस बार वह करीब आधी सीटें यानी 20 पर सिमटती दिख रही है।
हम छाप नहीं छोड़ पाए: बोम्मई
चुनाव रुझानों में भाजपा की स्पष्ट हार नजर आने के बाद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी अपनी छाप छोड़ने में विफल रही है। बोम्मई ने कहा, ‘प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) और पार्टी कार्यकर्ताओं सहित सभी के काफी प्रयासों के बावजूद हम अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं। परिणाम आने के बाद हम विस्तृत विश्लेषण करेंगे। हम इन नतीजों को गंभीरता से लेंगे और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी को पुनर्गठित करने की कोशिश करेंगे।’