प्रेम पथ पर
मुझे भी चलना है
चल कान्हा मुझे भी
अब तेरे संग चलना है।
रंग जाऊं
तेरे रंग में सांवरिया
ऐसा प्रेम अब
मुझे भी तुमसे करना है।
मिट जाए अब
मन की हर अभिलाष
मुझे भी तेरे संग
ऐसा योग नाद करना है।
अपने पराये का भेद
मुझे भी अब नहीं करना है
सुनकर तुमसे गीता का ज्ञान
अब महा ध्यान करना है।
डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
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कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
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