एस पी मित्तल,अजमेर
23 और 24 फरवरी को पंजाब के अमृतसर के अज नाला पुलिस स्टेशन पर खालिस्तान समर्थकों ने जो हंगामा किया वह खतरनाक हालातों की ओर इशारा करता है। वारिस दे पंजाब
नामक खालिस्तान समर्थक संस्था के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अपने साथी लवप्रीत तूफानी को छुड़वाने के लिए अजनाला थाने पर कब्जा कर लिया। पुलिस ने जब तक रिहाई की घोषणा नहीं की तब तक थाने को अपने ही कब्जे में रखा। अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में जिस तरह हजारों खालिस्तान समर्थक एकत्रित हुए वह पंजाब के लिए बहुत ही खतरनाक स्थिति है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। ऐसे में 23 व 24 फरवरी के हालातों के लिए इस पार्टी की भी जिम्मेदारी है। पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पंजाब के हालातों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी, लेकिन वे 25 फरवरी को न्यूज़ चैनलों पर बैठ कर न्यू इंडिया का आइडिया दे रहे हैं। सवाल उठता है कि 23 व 24 फरवरी को खालिस्तान समर्थकों ने जो हंगामा किया क्या वह न्यू इंडिया का आइडिया है? सब जानते हैं कि पंजाब पहले भी आतंकवाद के दौर से गुजर चुका है। पंजाब में आतंकवाद की त्रासदी को झेला है। पंजाब एक प्रगतिशील राज्य है और यदि पंजाब फिर से आतंकवाद की चपेट में आता है तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा। गत वर्ष किन हालातों में पंजाब में केजरीवाल की पार्टी की सरकार बनी इसके बारे में सभी जानते हैं। केजरीवाल की यह जिम्मेदारी है कि पंजाब को आतंकवाद की जकड़ से बचाए। दिल्ली में तो मुख्यमंत्री के पास सीमित अधिकार है, लेकिन पंजाब मुख्यमंत्री के पास असीमित अधिकार है। पंजाब में मुख्यमंत्री के अधीन ही पुलिस आती है। लेकिन 23 व 24 फरवरी को सब ने देखा कि पंजाब पुलिस अमृतसर में बेबस थी। जिन पुलिस वालों ने थोड़ा विरोध किया उन पर तलवारों से हमले किए गए। एक तरह से पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अरविंद केजरीवाल चाहते है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के अधीन पुलिस भी हो। यदि केजरीवाल के अधीन दिल्ली पुलिस होगी तो अमृतसर के हालातों के मद्देनजर अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली के हालात कैसे होंगे? जानकारों की मानें तो पंजाब में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, तब से खालिस्तान समर्थक कुछ ज्यादा ही सक्रिय हुए हैं। खालिस्तान समर्थकों को पुलिस का कोई डर नहीं है। वारिस-द पंजाब के प्रमुख अमृत पाल सिंह जो धमकियां दे रहे हैं वे पंजाब की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है। जहां तक पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की भूमिका का सवाल है तो अभी तक उनकी प्रभावी भूमिका सामने नहीं आई है। ऐसा प्रतीत होता है कि पंजाब की सरकार दिल्ली से चल रही है।