सोनी कुमारी, वाराणसी
1-लगभग 350000 (तीन लाख पचास हजार) वर्ष पूर्व होमो सैपियन्स मानव.
2-लगभग 120000 (एक लाख बीस हजार) वर्ष पूर्व नियंडरथल मानव.
3-लगभग 100000 (एक लाख) वर्ष पूर्व आधुनिक होमो सैपियन्स मानव.
4-लगभग 40000 (चालीस हजार) वर्ष पूर्व आधुनिक मानव : यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक.
5-लगभग 33000 (तैंतीस हजार)वर्ष पूर्व क्रोमैग्नन यूरोपियन मानव.
6-लगभग 30000 (तीस हजार)वर्ष पूर्व नियंडरथल मानव का समापन.
7-लगभग 13000 (तेरह हजार)वर्ष पूर्व यूरोप में गुफाओं की चित्रकारी का विकास.
8-लगभग 11000(ग्यारह हजार)वर्ष पूर्व एशिया से मानव का अमरीका में आगमन. बेरिंग की खाड़ी से या पैसिफिक महासागर से : भारत,इंडोनेशिया, दक्षिणी अमेरिकी मार्ग से.
भारत में नागपुर-मनसर इलाके में रहनें वाली मानव शाखा वहां ढाई लाख साल से वास्तव्य कर रही थी. वही शाखा पृथ्वी के पांचों खण्डों में अफ्रीकन शाखा के समान फैली. उसके मानवी जीवित अंश आज भी अंदमान निकोबार द्वीप समूह में पाए जा सकते हैं.
आज से 50000 (पचास हजार) साल पहले आखिरी हिमयुग के समाप्त होने के बाद विदर्भ का मानव स्थलांतर के लिए निकला. उससे पहले तो स्थानिक पर्यावरण के अनुसार अनेक शारीरिक रूपांतर पैदा किये,जिसमें कई मानव उपजातियां पैदा हुई.
विदर्भ का इलाका ज्ञात भौगोलिक इतिहास में भूकंप,बाढ़ और ज्वालामुखी के उद्रेकों से हमेशा सुरक्षित रहा है. यही कारण है कि यहां मानव जाति की श्रेष्ठतम सभ्यता ईसापूर्व ४५०० में ही विकसित हुई थी. यही सभ्यता पूरे भारत में और दक्षिण अमेरिका तक फैली. उसी सभ्यता को आज हम सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जानते हैं.
विदर्भ के इस मानव वंश का बाहर जाना और फिर अपनें केंद्र की तरफ लौटकर आना. विगत ५०००० सालों में कई बार ऐसा हुआ होगा. यही कारण है कि भारत के शिवा नार्डिक आर्यों और आस्ट्रोलाइड के-,सभी मानव जातियाँ पायी जाती हैं.
सिंधुघाटी सभ्यता के उत्खनन से प्राप्त मानव कंकालों से अब तक यही सत्य उजागर होता है. (चेतना विकास मिशन).
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