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लालू यादव का आरएसएस बीजेपी पर सीधा हमला…..  कान पकड़ कर करवाएंगे जाति जनगणना

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नई दिल्ली। आरएसएस बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने कहा है कि विपक्ष सरकार पर इतना दबाव डालेगा कि उसे मजबूर होकर जाति जनगणना करानी पड़ जाएगी।

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब आरएसएस ने कहा है कि वह तभी जाति जनगणना का समर्थन करेगा जब इकट्ठा किए गए आंकड़ों को वंचित तबकों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा न कि किन्हीं अन्य राजनीतिक कारणों के लिए।

उन्होंने एक्स पर लिखा कि “इन RSS/BJP वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे। इनका क्या औक़ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा। दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है”।

उन्होंने यह बयान सिंगापुर से लौटने के बाद दिया है। जहां वह अपनी किडनी के रूटीन चेकअप के लिए गए थे। आपको बता दें कि लालू प्रसाद का दिसंबर 22 में सिंगापुर में किडनी का ट्रांसप्लांटेशन हुआ था।

इसके पहले आरजेडी ने एक सितंबर को राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना को सुनिश्चित करने के लिए धरना दिया था। इसके साथ ही बिहार से पारित कोटा के कानून को संविधान की नौंवी सूची में डालने की मांग भी इसमें शामिल थी।

पटना में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य में कार्यरत एनडीए सरकार जाति जनगणना और वंचितों को आरक्षण दोनों के खिलाफ है।

यादव ने कोटा को नौंवी अनुसूची में शामिल करने के मामले में बीजेपी पर संसद और लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।

इसके पहले केरल के पलक्कड़ में खत्म हुई आरएसएस की बैठक में जाति जनगणना को स्वीकार करने पर सहमति बनी। हालांकि इसके लिए संगठन अंदर से तैयार नहीं दिख रहा है। लेकिन मौजूदा राजनीतिक स्थितियों और दलितों-पिछड़ों के दबाव के आगे संघ को झुकना पड़ रहा है। 

इसके राजनीतिक खतरों को देखते हुए हालांकि संघ ने एक रास्ता ढूंढ लिया है। उसका कहना है कि जाति जनगणना हो लेकिन उसका इस्तेमाल वंचितों के कल्याण के लिए हो। यानि उनके लिए योजनाएं बनाने में। वह इसके राजनीतिक इस्तेमाल के खिलाफ है। हालांकि संघ ने खुलकर नहीं बोला कि उसके आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया जाए लेकिन उसका मकसद यही है। आने वाले दिनों में यह तस्वीर और साफ होगी।

अभी तक बीजेपी ने अपने किसी आधिकारिक बयान में जाति जनगणना का समर्थन नहीं किया है। हालांकि उसके सहयोगी ज़रूर इस बात की मांग कर रहे हैं। यह बात ज़रूर है उसके कुछ नेता खुलकर इसके खिलाफ बोल रहे हैं। उन्हीं में से एक कंगना रनावत हैं जिन्होंने इसका जमकर विरोध किया है। 

बीजेपी अब इस मसले पर क्या रुख अपनाती है ये देखने की बात होगी। लेकिन ऐसा दिख रहा है कि राजनीतिक कमांड उसके हाथ से फिसल रहा है।

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